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MSP में बढ़ोतरी की घोषणा से भाजपा नेता उत्साहित, किसान महापंचायत ने घोषणा को बताया दिखावा - Rajasthan News

MSP में बढ़ोतरी की घोषणा से राजस्थान भाजपा के नेता उत्साहित हैं. वहीं, किसान महापंचायत ने केंद्र सरकार की इस घोषणा को दिखावा करार दिया है.

Rampal Jat,  Satish Poonia , Rajasthan BJP
किसान महापंचायत ने घोषणा को बताया दिखावा
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Published : Jun 9, 2021, 11:06 PM IST

जयपुर. केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का एलान किया, जिससे प्रदेश भाजपा के नेता उत्साहित हैं और सरकार के निर्णय को किसानों के हित में बता रहे हैं. वहीं, किसान महापंचायत ने एमएसपी में बढ़ोतरी की घोषणा को मात्र दिखावा करार दिया है. साथ ही इसे सरकारी भेदभावपूर्ण दोहरी नीति को ढकने का असफल प्रयास बताया है.

किसान महापंचायत ने घोषणा को बताया दिखावा

पढ़ें- RPSC प्राध्यापक-व्याकरण प्रतियोगी परीक्षा 2018 के परिणाम जारी, मुख्य सूची में 51 और आरक्षित सूची में 26 अभियर्थी हुए सफल

किसान महापंचायत राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने एक बयान जारी कर कहा कि जो बढ़ोतरी केंद्र सरकार ने की है वो 'हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और' की कहावत को चरितार्थ करती है. जाट ने कहा कि अभी भी किसानों को अपना चना घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 500 रुपए प्रति क्विंटल का घाटा उठाकर बेचना पड़ रहा है.

सामान्यत: यही स्थिति मूंग, उड़द, अरहर जैसी दलहनों की रहती है. सरकार ने दालों के आयात से प्रतिबंध हटा कर किसानों पर कहर ढाया है. इसके कारण दलहनों के दाम 1500 रुपए प्रति क्विंटल तक गिर गए. राजस्थान में मूंग का उत्पादन संपूर्ण देश का 47 फीसदी है तो भी किसानों को अपना मूंग औने-पौने दामों में बेचना पड़ा था.

न्यूनतम समर्थन मूल्य होते हुए भी कुल उत्पादन में से 75 फीसदी दलहन एवं तिलहन की उपजों को तो सरकार खरीद की परिधि से बाहर किया हुआ है, जिससे तीन चौथाई उत्पादों को तो घाटे में बेचने की विवशता है. इसी सरकार के कार्यकाल में कच्चे तेलों के दाम कम होने पर भी वर्ष 2021 में ही डीजल एवं पेट्रोल के दाम 21 बार बढ़ा दिए.

पढ़ें- DPC नहीं होने पर जलदाय विभाग के तकनीकी कर्मचारियों में आक्रोश, अधिकारियों पर लगाया आरोप

गंगानगर, हनुमानगढ़ में तो एक लीटर डीजल के दाम 100 रुपए तक चुकाने पड़ते हैं. इसे तो सरकार ने अपनी आय का साधन बनाने के लिए किसानो को महंगाई का चाबुक लगाना शुरू कर दिया, दूसरी ओर यही सरकार मंहगाई रोकने के नाम पर दलहनों के आयात पर से प्रतिबंध हटा रही है.

बाजरा का प्रमुख उत्पादक राजस्थान है. जहां संपूर्ण देश का 40 फीसदी से अधिक उत्पादन होता है. राजस्थान में बाजरे की खरीद नहीं होने के कारण किसानों को अपना बाजरा औने-पौने दामों में बेचना पड़ा था. जबकि सरकार ने तब भी बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ोतरी का श्रेय लेने के लिए निरंतर ढोल पिटा था.

सतीश पूनिया ने जताया पीएम का आभार

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि मोदी सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी कर देश के किसानों के हित में ऐतिहासिक फैसला लिया है. जिससे आर्थिक मजबूती के साथ किसानों की और उन्नति होगी. पूनिया ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने कृषि उपज की सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी करने से देश ए‌वं प्रदेश के किसानों की आमदनी और बढ़ेगी.

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी एमएसपी में की गई बढ़ोतरी के लिए केंद्र सरकार का आभार जताया है. साथ ही इसे किसानों के हित में बताया है.

जयपुर. केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का एलान किया, जिससे प्रदेश भाजपा के नेता उत्साहित हैं और सरकार के निर्णय को किसानों के हित में बता रहे हैं. वहीं, किसान महापंचायत ने एमएसपी में बढ़ोतरी की घोषणा को मात्र दिखावा करार दिया है. साथ ही इसे सरकारी भेदभावपूर्ण दोहरी नीति को ढकने का असफल प्रयास बताया है.

किसान महापंचायत ने घोषणा को बताया दिखावा

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किसान महापंचायत राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने एक बयान जारी कर कहा कि जो बढ़ोतरी केंद्र सरकार ने की है वो 'हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और' की कहावत को चरितार्थ करती है. जाट ने कहा कि अभी भी किसानों को अपना चना घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 500 रुपए प्रति क्विंटल का घाटा उठाकर बेचना पड़ रहा है.

सामान्यत: यही स्थिति मूंग, उड़द, अरहर जैसी दलहनों की रहती है. सरकार ने दालों के आयात से प्रतिबंध हटा कर किसानों पर कहर ढाया है. इसके कारण दलहनों के दाम 1500 रुपए प्रति क्विंटल तक गिर गए. राजस्थान में मूंग का उत्पादन संपूर्ण देश का 47 फीसदी है तो भी किसानों को अपना मूंग औने-पौने दामों में बेचना पड़ा था.

न्यूनतम समर्थन मूल्य होते हुए भी कुल उत्पादन में से 75 फीसदी दलहन एवं तिलहन की उपजों को तो सरकार खरीद की परिधि से बाहर किया हुआ है, जिससे तीन चौथाई उत्पादों को तो घाटे में बेचने की विवशता है. इसी सरकार के कार्यकाल में कच्चे तेलों के दाम कम होने पर भी वर्ष 2021 में ही डीजल एवं पेट्रोल के दाम 21 बार बढ़ा दिए.

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गंगानगर, हनुमानगढ़ में तो एक लीटर डीजल के दाम 100 रुपए तक चुकाने पड़ते हैं. इसे तो सरकार ने अपनी आय का साधन बनाने के लिए किसानो को महंगाई का चाबुक लगाना शुरू कर दिया, दूसरी ओर यही सरकार मंहगाई रोकने के नाम पर दलहनों के आयात पर से प्रतिबंध हटा रही है.

बाजरा का प्रमुख उत्पादक राजस्थान है. जहां संपूर्ण देश का 40 फीसदी से अधिक उत्पादन होता है. राजस्थान में बाजरे की खरीद नहीं होने के कारण किसानों को अपना बाजरा औने-पौने दामों में बेचना पड़ा था. जबकि सरकार ने तब भी बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ोतरी का श्रेय लेने के लिए निरंतर ढोल पिटा था.

सतीश पूनिया ने जताया पीएम का आभार

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि मोदी सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी कर देश के किसानों के हित में ऐतिहासिक फैसला लिया है. जिससे आर्थिक मजबूती के साथ किसानों की और उन्नति होगी. पूनिया ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने कृषि उपज की सरकारी खरीद, सीजन 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी करने से देश ए‌वं प्रदेश के किसानों की आमदनी और बढ़ेगी.

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी एमएसपी में की गई बढ़ोतरी के लिए केंद्र सरकार का आभार जताया है. साथ ही इसे किसानों के हित में बताया है.

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