जयपुर. 71 वें संविधान दिवस की मौके पर राज्यपाल कलराज मिश्र और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित भाजपा के कई नेताओं ने देश और प्रदेशवासियों को अपनी शुभकामनाएं दी हैं. राज्यपाल ने जहां भारतीय संविधान को भारतीय संस्कृति का गौरव ग्रंथ करार दिया वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि संविधान माननीय और जानने में ही भारतीय लोकतंत्र का भविष्य निहित है.
राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने संदेश में कहा कि भारतीय संविधान विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत के लोकतंत्र संचालन का लिखित कानून ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का गौरव ग्रंथ है. उन्होंने कहा हमारा संविधान मानवीय अधिकारों और कर्तव्यों के संतुलन का आवश्यक दस्तावेज है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने संविधान दिवस पर संवैधानिक मूल्यों नैतिकता मर्यादा के साथ संविधान की गरिमा कायम रखने का आह्वान भी किया. उन्होंने कहा कि आज का दिन हमें राग देश और भेदभाव से मुक्त रहते संविधान निर्माताओं की भावनाओं को सम्मान देने का है.
पढ़ेंः कोरोना वैक्सीनेशन की तैयारियों में जुटी राजस्थान सरकार, इन्हें लगाया जाएगा सबसे पहले टीका
मिश्र ने संविधान दिवस पर संवैधानिक संस्थाओं का आदर करते हुए नागरिकों से यह संकल्प लेने की अपील भी की कि सभी देश के नियम कानून की पालना करते हुए सर्वधर्म सद्भाव के साथ महिलाओं की सुरक्षा और उनके सम्मान को बरकरार रख भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपराओं को समृद्ध करने में अपना योगदान देंगे. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी ट्विटर के जरिए संविधान दिवस की सभी राष्ट्र प्रेमियों को शुभकामनाएं दी हैं. वसुंधरा राजे ने लिखा कि संविधान मानने और जानने में भारतीय लोकतंत्र का भविष्य निहित है. साथ ही कहा कि आइए हम सभी राष्ट्र की एकता अखंडता और समरसता को बनाए रखकर देश के विकास में भागीदारी बनने का संकल्प लें.
पढ़ेंः बीकानेर: शादी में 100 से ज्यादा लोगों को बुलाना पड़ा महंगा, लगा जुर्माना
वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने भी देश और प्रदेशवासियों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी है. राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट के जरिए लिखा आइए हम सब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी द्वारा निर्मित संविधान में प्रदत्त अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करें संवैधानिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखने और राष्ट्रीय एकता अखंडता और समरसता को बनाए रखने का संकल्प लें. राठौड़ ने लिखा आज 26 नवंबर के दिन ही गुलामी की जंजीरों से आजाद होकर स्वतंत्र अस्तित्व में को आकार देने का प्रयास कर रहे राष्ट्र के संविधान को अंगीकार किया गया था.