जयपुरः राजस्थान विधानसभा में राजस्थान विनियोग संख्या 1 विधेयक 2020 के पारण के दौरान उठी मत विभाजन की मांग पर सभापति राजेंद्र पारीक की कार्यशैली पर भाजपा ने सवाल खड़े किए हैं.
प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यदि आज सदन में मत विभाजन करवा लिया जाता, तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ जाती और गिर जाती. वहीं वरिष्ठ विधायक किरण माहेश्वरी ने भी सभापति राजेंद्र पारीक की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब वे सभापति जैसे संवैधानिक पद पर बैठे थे, तो उन्हें न्याय करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
माहेश्वरी ने कहा सदन में सरकार के विधायक और मंत्री बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं, यही कारण है कि प्रश्नकाल में अधूरी तैयारी से ही मंत्री आते हैं, और सवालों का भी समुचित जवाब नहीं दे पाते हैं. माहेश्वरी के अनुसार आज की घटना ने साबित कर दिया है कि प्रदेश में कांग्रेस के भीतर भी एक-दूसरे को लेकर अविश्वास की स्थिति बन गई है.
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उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में भी विनियोग विधेयक जो कि वित्त विधेयक के समान होता है, और यदि सदन में वह मत विभाजन में पास नहीं होता तो सरकार में आ जाती है. नैतिकता के आधार पर इस्तीफा तक देना पड़ जाता है, लेकिन सदन में आज मत विभाजन नहीं करवा कर सरकार को अल्पमत में आने से बचा लिया गया.
राठौड़ ने कहा जब विधेयक सदन में लाया गया तब सरकार के अधिकतर मंत्री अपने कमरों में आराम फरमा रहे थे, और सत्ता दल के नाराज विधायक सदन से लौट चुके थे. लेकिन सभापति ने सदन का गेट बंद नहीं करवाया. अगर गेट बंद करवाकर मत विभाजन कराया जाता तो असली स्थिति सामने आ जाती.