जयपुर. राजस्थान में अगर अब किसी मंत्री ने पद से हटने के बाद 2 महीने में अपना सरकारी आवास खाली नहीं किया तो सरकारी आवास उनके लिए फाइव स्टार होटल से भी महंगा पड़ेगा. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को मंत्रियों के पद से हटने के बाद नियत अवधि में निवास खाली नहीं करने पर 10 हजार प्रतिदिन जुर्माना लगाए जाने का कानून पारित किया गया.
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हालांकि भाजपा के सदस्यों ने इस कानून पर ये कहते हुए आपत्ती जताई कि 2 महीने में खाली करने का समय कम है. सरकार कम से कम ये तो बताए कि आज तक कितने लोगों से पूर्व में तय 5 हजार का जूर्माना लिया गया है. वहीं, नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने ये भी आपत्ती जताई कि अगर किसी ने 2 महीने में अपना आवास खाली नहीं किया और 10 हजार रोजाना की पेनाल्टी भी नहीं चुकायी तो उसके बाद प्रशासन जबरन भी इसे खाली करवा सकती है. ऐसे में क्या कुछ प्रशासन कर सकता है. इसकी भी जानकारी इस विधेयक में देनी चाहिए थी. वहीं, कानून पर चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्रियों को पद से हटने के बाद भी आजीवन कैबिनेट मंत्री के समान सुविधाएं देने का मामला भी उठा.
निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने इसे लेकर प्रतिपक्ष को घेरने की कोशिश की. इसे लेकर हंगामा भी हुआ और हंगामे के बीच ही कानून पारित भी किया गया. राजस्थान में अब तक मंत्री पद से हटने के बाद नियत अवधि में सरकारी आवास खाली नहीं करने पर पांच हजार रुपए प्रतिदिन जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान थाा. वहीं, मौजूदा सरकार ने इसे बढ़ा कर दस हजार रुपए प्रतिदिन कर दिया. सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि पूर्व मंत्रियों के समय पर आवास खाली नहीं करने के कारण नए मंत्रियों को आवास नहीं मिल पाते. इसलिए ऐसा कानून लाया गया है. भाजपा के विधायकों ने इस कानून को काफी कड़ा बताते हुए इसे स्थगित करने की मांग की.
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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का कहना थाा कि आवास समय पर खाली होने चाहिए, लेकिन इसकी जो समयावधि तय की गई है, उस पर फिर से विचार करना चाहिए. क्योंकि कई बार पारिवारिक परिस्थितियों के कारण निर्धारित अवधि में आवास खाली कर पाना सम्भव नहीं होता. ऐसे में इतना जुर्माना लगाया जाना सही नहीं है. यह कानून कभी न कभी हमारे लिए ही मुश्किल बनेगा. प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड ने कहा कि इसके पीछे सरकार अपने विधायकों के भीतर चल रहे असंतोश को खत्म करना चाहती है। वासुदेव देवनानी, किरण माहेश्वरी और रामलाल शर्मा ने कहा कि यह कानून एक तरह से अब तक रहे मंत्रियों को आरोपित करने की कोशिश है और इसके जरिए समाज में यह संदेश जा रहा है कि मंत्री मकान खाली नहीं करना चाहते.
इस बीच निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा और आवास देने का मामला उठा दिया. राजस्थान में भाजपा ने अपने कार्यकाल के दौरान यह संशोधन कानून पारित कराया था. संयम लोढ़ा ने कहा कि पिछली सरकार ने जो कानून पारित करा लिया, उससे सरकार पर हर महीने एक करोड़ रुपए का भार आएगा, जिसकी कोई जरूरत नहीं है. लोढ़ा के संबोधन के दौराान ही सदन में हंगामा हो गया. भाजपा के सदस्यों ने इसका विरोध शुरू कर दिया और कुछ सदस्य बेल में भी आ गए. हालांकि हंगामे के बीच ही सभापतिश राजेन्द्र पारीक ने यह कानून पारित करा दिया.