जयपुर. राजस्थान में होने वाले राज्यसभा चुनाव में अब नाटकीय मोड़ आ गया है. भाजपा की ओर से प्रत्याशी राजेंद्र गहलोत के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत ने भी शुक्रवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. हालांकि लखावत ने चुनाव में उतरने का फैसला पार्टी आलाकमान और प्रदेश नेतृत्व के निर्णय पर ही लिया है. मतलब साफ है कि भाजपा ने प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत ही लखावत को चुनाव मैदान में उतार कर सत्तारूढ़ कांग्रेस पर दबाव बनाया है.
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ओंकार सिंह लखावत से खास बातचीत
ईटीवी भारत ने नामांकन दाखिल करने आए ओंकार सिंह लखावत से खास बात की. इस दौरान उन्होंने ने कहा कि राजनीति संभावनाओं पर टिकी रहती है तो जिस तरह का निर्देश उन्हें पार्टी की ओर से मिला उसके बाद उन्होंने नामांकन दाखिल किया है. लखावत से जब पूछा गया कि संख्या बल के आधार पर आपकी जीत सुनिश्चित नहीं है, तो वे बोले कि राज्यसभा की 3 सीटों पर चुनाव हो रहा है. ऐसे में भाजपा ने दूसरी सीट पर यदि प्रत्याशी उतार दिया तो इसमें आश्चर्य जनक क्या है.
इस सवाल का नहीं मिला कोई जवाब
लखावत के अनुसार विधानसभा में 200 विधायक हैं. जिन्हें मतदान का अधिकार है और वही अपने मत से राज्यसभा जाने वाले प्रत्याशी का चुनाव करेंगे, हालांकि लखावत से पूछा गया कि क्या यह सदस्य अंतरात्मा की आवाज पर उन्हें मत देंगे तो इसका जवाब उनके पास नहीं था.
पार्टी आलाकमान के निर्देशों की पालना
वहीं मध्यप्रदेश में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद राजस्थान में लखावत को उतारने के फैसले से जुड़े सवाल के जवाब में लखावत ने कहा यह सब मीडिया के आकलन का विषय है. उनका काम पार्टी आलाकमान के निर्देशों की पालना करना था और वह उन्होंने कर दिया. आपको बता दें कि लखावत के प्रस्तावक के रूप में वरिष्ठ भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख सहित 10 विधायक ने उनके नामांकन फॉर्म पर हस्ताक्षर किए हैं. फिलहाल राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत के रूप में भाजपा ने प्रदेश में 3 राज्यसभा सीटों में से 2 पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं जबकि विधायकों की संख्या और बहुमत के आधार पर भाजपा केवल एक ही सीट पर जीत दर्ज कर सकती है.
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भाजपा की एक रणनीति
मतलब साफ है कि ओंकार सिंह लखावत उतारने के पीछे भाजपा की एक रणनीति है. जिसके तहत भाजपा भी मध्य प्रदेश में हुए सियासी घटनाक्रम के आधार पर राजस्थान में भी इन राज्यसभा चुनाव में अपने पक्ष में कुछ संभावनाएं तलाश रही है.