जयपुर. राजधानी जयपुर की पतंगबाजी देश दुनिया में मशहूर है. लेकिन (Makar Sankranti 2022) मकर संक्रांति पर पतंगबाजी बेजुबान पक्षियों की जिंदगी पर खतरा बन जाती है. मकर सक्रांति से पहले ही शहर में पतंगबाजी शुरू हो गई है. पतंगबाजी के साथ ही पक्षियों का घायल होना भी शुरू हो गया है. राजधानी जयपुर में रोजाना करीब 24 पक्षी घायल हो रहे हैं. घायल पक्षियों के इलाज के लिए वन विभाग की ओर से और एनजीओ के सहयोग से जयपुर शहर में पक्षी उपचार शिविर (Bird Treatment Camp In Jaipur) लगाए जा रहे हैं.
सुबह और शाम को पतंगबाजी नहीं करें
जयपुर शहर में 12 जगहों पर पक्षियों के उपचार के लिए कैंप लगाया जा रहे हैं. पक्षी उपचार शिविर 13 जनवरी से 15 जनवरी तक रहेंगे. वन विभाग के अधिकारियों की ओर से अपील की गई है कि किसी को भी कोई घायल पक्षी मिले तो तुरंत वन विभाग को सूचना दें. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पक्षी को छायादार स्थान पर रखें. इसके बाद जहां से ब्लीडिंग हो रही हो उस जगह पर एंटीसेप्टिक लगाकर उस ब्लड को रोकने का प्रयास करें. घायल पक्षियों को तुरंत खाने पीने की वस्तु नहीं दें. सुबह और शाम के समय पतंगबाजी नहीं करें इस दौरान पक्षियों का स्वच्छंद विचरण रहता है.
12 जगहों पर पक्षी उपचार केंद्र
डीएफओ अजय चित्तौड़ा ने बताया कि जयपुर शहर में 12 जगहों पर पक्षी उपचार शिविर (Bird Treatment Camp In Jaipur) बनाए जा रहे हैं. मुख्य उपचार केंद्र अशोक विहार में रहेगा. साथ ही सभी उपचार केंद्रों पर पशु चिकित्सक रहेंगे. मकर सक्रांति पर जो भी घायल पक्षी आएगा उसका उपचार किया जाएगा. वन विभाग एनजीओ के सहयोग से पक्षी उपचार शिविर लगा रहा है. मकर सक्रांति पर पक्षियों के उपचार के लिए 12 एनजीओ को अधिकृत किया जा चुका है.
रक्षा संस्थान के रोहित गंगवाल ने बताया कि जयपुर में (Makar Sankranti 2022) मकर सक्रांति पर पतंगबाजी होती है. कई लोग चाइनीज मांजे से भी पतंगबाजी करते हैं. पतंग की डोर से काफी पक्षी घायल हो जाते हैं. पतंगबाजी के चलते अभी से ही पक्षियों का घायल होना शुरू हो गया है. रोजाना करीब 12 से अधिक पक्षी पतंग की डोर से घायल हो रहे हैं. इनमें ज्यादातर कबूतर घायल हो रहे हैं. उन्होंने सभी लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोई भी पक्षी घायल अवस्था में मिले तो रक्षा एनजीओ को सूचना दें. सुबह 6:00 से 8:00 बजे और शाम को 5:00 से 7:00 बजे तक पतंगबाजी नहीं करें, क्योंकि इस समय पक्षियों का स्वच्छंद विचरण रहता है. बची हुई डोर को कचरा पात्र में फेंके और चाइनीज मांझा का उपयोग नहीं करें.