जयपुर. विधानसभा सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू होगी जिसमें विभिन्न विभागों के लगे सवालों का संबंधित विभाग के मंत्री जवाब देंगे. शून्य काल में स्थगन और नियम 295 के जरिए विधायक अपने क्षेत्र के मामले उठाएंगे. इसी दौरान भाजपा विधायक सालासर बालाजी धाम के सुजानगढ़ स्थित प्रवेश द्वार और उस पर स्थापित राम दरबार की मूर्तियां तोड़ने के मामले में सरकार को घेरेगी (bjp in rajasthan vidhansabha).
सोमवार को इस मामले में राजेंद्र राठौड़ और अशोक लाहोटी सहित कुछ विधायकों ने स्थगन लगाए थे लेकिन स्पीकर ने इसे केंद्र का मामला बताते हुए अनुमति देने से इनकार (Speaker On Ram darbar Murti) कर दिया था. हालांकि बाद में जब स्पीकर को मामले की तथ्यात्मक जानकारी हुई तो सदन की कार्यवाही अगले दिन के लिए स्थगित करने से पहले उन्होंने इस मामले में सदस्यों की भावना राज्य सरकार को अवगत कराने की बात कही थी.
सदन में आज अजमेर से भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और अनीता बदेल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी लगाया है. आज राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर संशोधन विधेयक 2022, गुरुकुल विश्वविद्यालय सीकर विधेयक, हरिदेव जोशी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय जयपुर संशोधन विधेयक, सौरव विश्वविद्यालय हिंडौन सिटी विधेयक और ड्यून्स विश्वविद्यालय जोधपुर विधायक 2022 चर्चा के बाद पारित किए जाएंगे.
सालासर मामले को लेकर फ्रंट फुट पर भाजपा: सालासर बालाजी के सुजानगढ़ स्थित प्रवेश द्वार और इसमें लगे राम दरबार से जुड़ी मूर्तियों को जेसीबी से गिराने के मामले में चल रही सियासत के बीच अब भाजपा नेताओं ने ट्विटर पर इस पूरे प्रकरण की कथित वास्तविक रिपोर्ट जारी की है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और राष्ट्रीय पदाधिकारी अमित मालवीय ने ट्विटर के जरिए यह रिपोर्ट जारी कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है.
पूनिया और मालवीय की ओर से ट्विटर पर की गई पोस्ट में जो पत्र लगाया गया है, उसे सालासर बालाजी के प्रवेश द्वार सीताद्वार गिराए जाने की वास्तविक रिपोर्ट दर्शाया गया है. इसमें 15 मार्च को यह प्रवेश द्वार सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा गिराया जाना सहित कुछ अन्य तथ्य दिए गए हैं. इस कथित वास्तविक रिपोर्ट के जरिए यह भी दावा किया गया कि पूर्व में सुजानगढ़ सालासर मार्ग NH65 का हिस्सा था, जिसको भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा सालासर नागौर परियोजना के सुजानगढ़ बाइपास निर्माण के बाद साल 2019 में सार्वजनिक निर्माण विभाग राजस्थान को हैंडओवर कर दिया गया था.