जयपुर. कोरोना संकट से जूझ रही पूरी दूनिया इस महामारी से निपटने के लिए एक होकर लड़ रही है. ऐसे हालात में बीते दिनों जयपुर में कोरोना वायरस के शिकार इटालियन नागरिक की ट्रीटमेंट रिपोर्ट ने राजस्थान का देश में मान बढ़ाया था. इसके बाद भीलवाड़ा जिले के 38 मरीजों का सफलता पूर्ण इलाज करके राजस्थान सरकार ने पूरे देश के सामने इसे 'मॉडल' के रूप में पेश करते हुए खुद की पीठ भी थपथपाई. हर जगह कोरोना को मात देने के लिए भीलवाड़ा मॉडल को अपनाने और इसे कारगर तरीका मानते हुए इस प्रयास की जमकर तारीफ भी हुई. लेकिन, भीलवाड़ा से सामने आई ताजा रिपोर्ट ने भीलवाड़ा मॉडल की विश्वसनीयता और सरकारी दावों को सवालों के घेरे में ला दिया है.
कोरोना बीमारी से लड़कर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले ने देश के सामने जो मिसाल पेश की, उसके बाद इसे उपचार पद्धति और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए देशभर में विशेष नजरिये से देखा जाने लगा. इसके पीछे कारण यह है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने भीलवाड़ा को मॉडल जिले के रूप में पेश करते हुए जमकर इसकी प्रशंसा की.
भीलवाड़ा मॉडल को मिशाल के तौर पर किया गया पेश
भीलवाड़ा कलेक्टर राजेंद्र भट्ट रातों रात देश की सुर्खियों का हिस्सा बन गए और कहा जाने लगा कि कोरोना से अगर लड़कर जीतना है तो फिर भीलवाड़ा मॉडल सबसे बेहतर तरीका है. इस मॉडल को एक मिसाल के तौर पर पेश किया गया. लेकिन, 21 अप्रैल की सुबह 9:00 बजे वाली रिपोर्ट में मॉडल के रूप में पेश भीलवाड़ा की उजली तस्वीर को ना सिर्फ धुंधला कर दिया, बल्कि सरकार पर भी सवाल खड़े कर दिए. इस रिपोर्ट में भीलवाड़ा से चार और लोगों को कोरोना वायरस पॉजिटिव बताया गया है.
भीलवाड़ा ने नहीं हुआ है कोरोना खत्म
मतलब साफ है कि भीलवाड़ा से अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ, जबकि 2 दिन पहले ही जिले को कोरोना मुक्त घोषित किया गया था. ऐसी जल्दबाजी लगभग 2 हफ्ते पहले भी स्थानीय प्रशासन और सरकार की तरफ से दोहराई गई थी. इन सबके बीच सवाल यह है कि इस मुश्किल घड़ी में श्रेय लेने की होड़ क्या इतना ज्यादा जरूरी है कि हकीकत का सामना और धरातल के हालात को नहीं देखते हुए खुद की पीठ थपथपाने के लिए बस एलान कर दिया जाता है.
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मंगलवार को भीलवाड़ा में आए 4 कोरोना वायरस के मरीजों ने राजस्थान सरकार को आईना दिखा दिया. यह वह लोग हैं जिन्हें होम क्वॉरेंटाइन किया गया था. भीलवाड़ा एक मसला है तो राजस्थान के लिए जयपुर का रामगंज क्षेत्र भी कम परेशानी का सबब नहीं है. हाल के दिनों में राजस्थान सरकार के मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक भीलवाड़ा के बाद रामगंज को लेकर खुद की पीठ थपथपाते हुए नजर आए हैं.
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I am happy to learn that Indian Ambassador to Canada #AjayBisaria has shared #Bhilwara model to contain Covid19 with Canadian Govt. #Rajasthan #India #राजस्थान_सतर्क_है https://t.co/3kgqlqtgLg
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बीते हफ्ते लगातार तीन दिनों तक रामगंज से सुखद खबरें मिली थी. ऐसे हालात में जल्दबाजी दिखाते हुए चिकित्सा मंत्री और परिवहन मंत्री दोनों ही दावों में रामगंज मॉडल का जिक्र करने लग गए थे. लेकिन, उसके बाद रविवार, सोमवार और मंगलवार को एक के बाद एक पॉजिटिव मामलों की फेहरिस्त ने राजस्थान के मुंह पर कालिख पोतने वाले आंकड़ों को सबके सामने जाहिर कर दिया.
बीते 3 दिनों में रामगंज से 100 से ज्यादा मामले
बीते 3 दिनों में 100 से ज्यादा के आसपास मामले सिर्फ रामगंज से पॉजिटिव आए हैं. ऐसे हालात में सरकार की यह जल्दबाजी महज हालात में माखौल उड़ाने जैसा है. खुद चिकित्सा मंत्री ने भी बीते दिनों ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में इस बात को स्वीकार किया था कि पेंडिंग चल रहे सैंपल्स की रिपोर्ट आने के बाद पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ेगी.
8 हजार सैंपल्स की रिपोर्ट आना बाकी
21 अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में अभी 8 हजार के आसपास सैंपल्स की रिपोर्ट आना बाकी है. वहीं, भीलवाड़ा शहर से ही सैकड़ों सैंपल जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं और रामगंज के आंकड़ों को लेकर खुद राजस्थान सरकार पसोपेश में है, तो फिर यह जल्दबाजी क्यों. बीते दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस बात को बढ़ाचढ़ा कर पेश किया था. यहां तक कि राजस्थान के इस दावे पर भीलवाड़ा मॉडल को लेकर कनाडा की सरकार को भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने जानकारी दी थी. जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर साझा भी किया था.
यह तय है कि भारत ने और राजस्थान में कोरोना जैसी इस समस्या से लड़ने में बेहतर तरीके से काम किया है पर क्या यह वाजिब वक्त है जब जल्दबाजी करते हुए इस महामारी पर सियासत के दौर में एक अनचाही होड़ के बीच बस सब श्रेय लेने के लिए दावे करने लगे.