कोटा. बारां के पूर्व कलेक्टर और आईएस इंद्र सिंह राव 25 दिसंबर से ही रिश्वत के मामले में कोटा सेंट्रल जेल में बंद है. उनकी जमानत याचिका कोर्ट में पेश की गई थी. जिस पर शनिवार को सुनवाई करते हुए एसीबी के न्यायाधीश प्रमोद मलिक ने तल्ख टिप्पणी करते हुए उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.
एसीबी के न्यायाधीश मलिक ने कहा है कि आईएएस अधिकारी इंद्र सिंह राव ने राज्य सरकार के भ्रष्टाचार की नीति जीरो टॉलरेंस का उल्लंघन किया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आईएएस इंद्र सिंह राव अपने रुतबे से गवाहों को प्रताड़ित कर सकते हैं. साथ ही सबूतों के साथ भी छेड़छाड़ की संभावना है. ऐसे में इन्हें अभी जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.
लोक अभियोजक अशोक कुमार जोशी ने बताया कि 28 जनवरी को बारां के पूर्व कलेक्टर और आईएएस इंद्र सिंह राव की जमानत अर्जी पेश की गई थी, जिस पर शनिवार को सुनवाई करते हुए उस पर न्यायधीश प्रमोद मालिक ने जारी किए आदेश में लिखा है कि लोक सेवक आईएस इंद्र सिंह राव बारां के जिला कलेक्टर के अहम पद पर कार्यरत हैं और सरकार के प्रतिनिधि के रूप में प्रतिस्थापित थे. इसके बावजूद अवैध रूप से अपने अधीनस्थ निजी सहायक संयुक्त महावीर प्रसाद नागर के जरिए रिश्वत ली है.
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यदि अभियुक्तों को जमानत का लाभ दिया जाता है, तो वह प्रतिष्ठित पद पर वक्त कार्यवाही प्रतिस्थापित रह चुका है. इसके चलते गवाहों को प्रताड़ित करने के साथ-साथ साक्ष्यों से छेड़छाड़ की संभावना भी है. वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों को देखते हुए, पूर्व के भ्रष्टाचार के मामलों को देखते हुए और प्रकरणों के समस्त तथ्यों परिस्थितियों को अपराध की गंभीरता के मद्देनजर अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन स्वीकार किया जाना उचित नहीं है.
राव ने कहा था- परिवादी उटपटांग है
एसीबी के न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने जारी किया आदेश में केस डायरी के साथ फर्द रूपांतरण मोबाइल वार्ता, जो कि 9 दिसंबर को हुई थी का भी जिक्र किया गया है. जिसमें बताया गया है कि सह अभियुक्त महावीर प्रसाद को आईएएस इंद्र सिंह राव ने कहा था कि उसे परिवादी गोविंद सिंह उटपटांग लग रहा है. अतः उसकी मर्जी के अनुसार ही उससे रुपए ले लेना और उसे एक लाख रुपए वापस लौटा देना और एक लाख रुपए बाद में उससे मौका देख कर ले लेना.