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बैंक ने दस्तावेज गुम किए, अब देना होगा ढाई लाख रुपए का हर्जाना

जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण तृतीय ने Home Loan के लिए दिए प्लॉट के दस्तावेज गुम करने पर बैंक पर हर्जाना लगाया है. मंच ने दस्तावेज गुम होने के कारण खर्च हुए 33 हजार रुपए भी ब्याज सहित परिवादी को अदा करने को कहा है.

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बैंक को देना होगा हर्जाना
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Published : Oct 30, 2020, 8:25 PM IST

जयपुर. जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण तृतीय ने होम लोन के लिए दिए प्लॉट के दस्तावेज गुम करने पर IDBI बैंक पर ढाई लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. साथ ही मंच ने दस्तावेज गुम होने के कारण खर्च हुए 33 हजार रुपए भी ब्याज सहित परिवादी को अदा करने को कहा है. मंच ने यह आदेश शिव प्रसाद गुप्ता के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि उसने साल 2005 में आईडीबीआई बैंक से मकान बनाने के लिए होम लोन लिया था. इसके लिए उसने प्लॉट के दस्तावेज और रसीदें बैंक में अमानत के तौर पर जमा कराई थी. परिवादी की ओर से साल 2011 में पूरा लोन ब्याज सहित अदा कर दिया. इस पर बैंक ने उसे नो-ड्यूज प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया.

यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट में 2 नवंबर से नियमित सुनवाई, ई-पास से होगा प्रवेश

परिवादी की ओर से मूल दस्तावेज मांगने पर बैंक ने दस्तावेज गायब होने की जानकारी दी, जिसके चलते परिवादी को नए दस्तावेज बनाने के लिए अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ी. जब परिवादी ने बैंक से यह राशि मांगी तो बैंक प्रशासन ने राशि देने से इनकार कर दिया. इस पर परिवादी की ओर से उपभोक्ता अदालत में परिवाद पेश किया गया.

जयपुर. जिला मंच उपभोक्ता संरक्षण तृतीय ने होम लोन के लिए दिए प्लॉट के दस्तावेज गुम करने पर IDBI बैंक पर ढाई लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. साथ ही मंच ने दस्तावेज गुम होने के कारण खर्च हुए 33 हजार रुपए भी ब्याज सहित परिवादी को अदा करने को कहा है. मंच ने यह आदेश शिव प्रसाद गुप्ता के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि उसने साल 2005 में आईडीबीआई बैंक से मकान बनाने के लिए होम लोन लिया था. इसके लिए उसने प्लॉट के दस्तावेज और रसीदें बैंक में अमानत के तौर पर जमा कराई थी. परिवादी की ओर से साल 2011 में पूरा लोन ब्याज सहित अदा कर दिया. इस पर बैंक ने उसे नो-ड्यूज प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया.

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परिवादी की ओर से मूल दस्तावेज मांगने पर बैंक ने दस्तावेज गायब होने की जानकारी दी, जिसके चलते परिवादी को नए दस्तावेज बनाने के लिए अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ी. जब परिवादी ने बैंक से यह राशि मांगी तो बैंक प्रशासन ने राशि देने से इनकार कर दिया. इस पर परिवादी की ओर से उपभोक्ता अदालत में परिवाद पेश किया गया.

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