जयपुर. मोदी सरकार भले ही आयुष चिकित्सा पद्धति के विस्तार पर जोर देती हो लेकिन राजस्थान में केंद्र के आयुष मंत्रालय की तरफ से संचालित एनपीसीडीसीएस परियोजना में लगे सैकड़ों संविदाकर्मी बेरोजगार हो गए हैं. परियोजना 30 अप्रैल तक ही बढ़ाई गई. जिसके बाद से संविदाकर्मी परेशान हैं और अपनी परेशानी को बयां करने के लिए जयपुर स्थित भाजपा मुख्यालय पहुंच कर प्रदर्शन किया.
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कोरोना प्रोटोकॉल के तहत इस प्रकार के कार्यक्रम नहीं होने चाहिए. लेकिन बेरोजगारों ने अपनी मांग को लेकर भाजपा मुख्यालय के बाहर दो गज की दूरी पर खड़े होकर व हाथों में बैनर लेकर प्रदर्शन भी किया. सभी संविदाकर्मी भीलवाड़ा आयुष स्टाफ यूनियन से जुड़े थे. जो पिछले 5 साल 3 महीने से इस परियोजना के तहत भीलवाड़ा में संविदा पर काम कर रहे थे. प्रदर्शनकारी आयुष संविदाकर्मियों का कहना है कि केंद्र ने यह प्रोग्राम राजस्थान के भीलवाड़ा के सुरेंद्र नगर में फरवरी 2016 में शुरू किया थाय इसके काफी अच्छे परिणाम भी सबके सामने आए.
योजना के अंतर्गत जीवन शैली से संबंधित रोग जिसमें हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कैंसर, लकवा, मोटापा जैसे रोगों पर योग और आयुर्वेद के माध्यम से उपचार किया जा रहा था. प्रदर्शनकारियों के अनुसार इस कार्यक्रम के जरिये गांव में आयुष चिकित्सा पद्धति को लेकर जन जागृति भी फैली. लेकिन फिलहाल इस कार्यक्रम को आगे नहीं बढ़ाया गया. जिससे हम सभी संविदाकर्मियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है.
संविदाकर्मियों का यह भी कहना था कि लंबा समय इस परियोजना में देने के कारण वह सरकारी नौकरियों के लिए ओवर एज हो गए हैं. ऐसे में सरकार इस प्रोग्राम को राष्ट्रीय आयुष मिशन में समायोजित कर संविदाकर्मियों को अन्य रोजगार दे. ताकि इनका भविष्य सुरक्षित रहे. प्रदर्शनकारियों ने भाजपा मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से भी मुलाकात की और आग्रह किया कि मोदी सरकार से निवेदन कर उनकी मांग पूरी करवाएं. सतीश पूनिया ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखने और उनकी मांग को वहां तक पहुंचाने का आश्वासन दिया.