जयपुर. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद सोमवार को जयपुर दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्य सचिव निरंजन आर्य से मुलाकात कर प्रदेश में अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.
हालांकि उनका कहना है कि उनके द्वारा काफी प्रयास करने के बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें मिलने के लिए समय नहीं दिया. प्रदेश में सरकार बनने के दो साल बाद भी अल्पसंख्यकों से जुड़े बोर्ड और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने पर भी उन्होंने चिंता जताई है.
राजस्थान में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से होने वाली आय को भी उन्होंने काफी कम बताया और कहा कि प्रदेश में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को अतिक्रमण मुक्त करवाया जाना बहुत जरूरी है. इससे पहले उन्होंने प्रदेश के अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र सरकार की ओर से मुहैया करवाई गई राशि के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते इस बार भी हज यात्रा जयपुर के यात्री दिल्ली से ही उड़ान भरेंगे.
पत्रकारों से बातचीत में आतिफ रशीद ने कहा कि माइनॉरिटी प्रमाण पत्र बनने में भी प्रदेश में समस्या आ रही है. इस संबंध में मुख्यसचिव निरंजन आर्य को अवगत करवाया गया है. उन्होंने कहा कि दो साल से ज्यादा का समय सरकार बने बीत चुका है. लेकिन अल्पसंख्यक आयोग, वक्फ बोर्ड, हज कमेटी और उर्दू अकेडमी का गठन नहीं हुआ है.
राज्य सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्परता से इनमें नियुक्तियां की जानी चाहिए. राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात में भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया है. इस मुद्दे पर राज्य सरकार को पत्र लिखने की बात भी आतिफ रशीद ने कही है. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष आतिफ रशीद का कहना है कि राजस्थान में 11 फीसदी अल्पसंख्यक हैं. लेकिन राज्य और केंद्र की योजनाओं में इनकी भागीदारी महज 7 फीसदी है.
इसे भी बढ़ाए जाने के प्रयास करने की दरकार है. उर्दू शिक्षकों के खाली पद जल्दी भरने की मांग भी उन्होंने राज्य सरकार से की है. प्रदेश में एक पासबुक और किताब में इस्लाम से संबंधित विवादित तथ्यों के मामले में उन्होंने कहा कि हालांकि प्रकाशक द्वारा माफी मांग ली गई है और विवादित तथ्य हटाने की बात कही गई है. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी धर्म का अनुयायी किसी अन्य धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है तो उस पर कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए.