जयपुर. राजधानी के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में अब ठाकुर जी के दर्शन, भजन और प्रसाद के साथ श्रद्धालुओं को ज्ञान भी मिलेगा. वहीं, कर्मकांड, पौरोहित्य और ज्योतिष वास्तु जैसे पाठ्यक्रमों की विधिवत शिक्षा दी जाएगी. मंदिर प्रशासन और जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के बीच 2 पाठ्यक्रमों को लेकर समझौता हुआ है. दोनों ही पाठ्यक्रमों में 1 साल का डिप्लोमा किया जा सकेगा.
डिप्लोमा पूरा होने पर संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाएगा. जिसके आधार पर छात्र सरकारी, गैर सरकारी और अन्य योजनाओं में रोजगार प्राप्त करने के अवसरों का लाभ उठा सकेंगे. शुक्रवार को इसकी विधिवत शुरुआत हुई. गोविंद देव जी मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि दोनों पाठ्यक्रमों की फीस का भुगतान मंदिर प्रबंधन करेगा. यहां छात्रों को यूनिफॉर्म भी निशुल्क दी जाएगी. उन्होंने बताया कि मंदिर प्रबंधन और संस्कृत विश्वविद्यालय दोनों मिलकर अध्यापन के लिए विद्वानों का चयन करेंगे.
वहीं, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अशोक शर्मा ने बताया कि गोविंद देव जी ट्रस्ट की ओर से मान्यता के लिए अप्लाई किया गया था. वर्तमान में विश्वविद्यालय ने 185 संस्थान और महाविद्यालय को मान्यता दी हुई है. ऐसे में इस संस्था को भी दो विषय के डिप्लोमा कराने की 1 साल की मान्यता दी गई है. जबकि डिप्लोमा कोर्स के लिए महिलाओं में भी खासा उत्साह देखने को मिला. खुद महंत परिवार की निवेदिता गोस्वामी ने पहला एंट्रेंस फॉर्म सबमिट किया. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पुरुष वर्ग ज्यादा सक्रिय रहता है, लेकिन महिलाएं जब किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं तो यहां भी पीछे नहीं रहनी चाहिए.
आपको बता दें कि विद्यार्थियों को ज्योतिष पंचांग का ज्ञान, ग्रह-नक्षत्र, राशियों की जानकारी, पौरोहित्य में सोलह संस्कार, देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना, संध्या वंदन, विशिष्ट पर्व पूजन का ज्ञान करवाया जाएगा. वहीं वास्तु कला में सभी प्रकार के भवनों का प्रकृति के सिद्धांतों के अनुरूप निर्माण करना सिखाया जाएगा.