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मानदेय नहीं बढ़ने से आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिनों में आक्रोश, रूबेला टीकाकरण में नही लेंगी भाग

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Published : Jul 16, 2019, 3:47 PM IST

प्रदेश में आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिनों का बजट में मानदेय नहीं बढ़ाने से उनमें आक्रोश है और उन्होंने चेतावनी दी है कि 22 जुलाई से शुरू होने वाले रूबेला टीकाकरण में वे भाग नहीं लेंगे और इसके कारण जो नुकसान होगा उसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी.

मानदेय नहीं बढ़ने से आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन में आक्रोश

जयपुर. राजस्थान सरकार ने कुछ दिन पहले अपना बजट पेश किया था. जिसमें सीएम गहलोत ने सिर्फ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का ही मानदेय बढ़ाया है, लेकिन आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन का मानदेय नहीं बढ़ाया है. जिससे उनमें रोष है. आशा सहयोगिनी को वर्तमान में 2500 रुपये प्रतिमाह और ग्राम साथियों को 3300 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है.

आशा सहयोगिनी प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष गुड्डी वर्मा ने बताया कि आशा सहयोगिनी को वर्तमान में 2500 रुपये मानदेय दिया जा रहा है जो सहायक से भी कम है. सहायक को वर्तमान में 4250 रुपये मानदेय दिया जा रहा है. कार्य मूल्यांकन के आधार पर देखा जाए तो दोनों का काम समान है. इसलिए उन्होंने आशा सहयोगिनी के मानदेय में वृद्धि करने की मांग की है. साथ ही आशा सहयोगिनी के लिए एएनएम भर्ती में 25 फीसदी और आशा समन्वयक और आशा पर्यवेक्षक के पदों के लिए 50 फीसदी पद कार्यकर्ता की भांति आरक्षित करने की भी मांग की है.

गुड्डी वर्मा ने कहा कि पता नहीं सरकार ने हमारा मानदेय क्यों नहीं बढ़ाया है. हमारा काम करने का टाइम फिक्स नहीं है. हमें दो डिपार्टमेंट में कार्य करना पड़ रहा है. जब चाहे मेडिकल और जब चाहे महिला बाल विकास वाले बुला लेते हैं. गुड्डी वर्मा ने एक ही विभाग में कार्य करने की मांग भी रखी है. उन्होंने कहा कि हमारा विभाग एक ही कर दिया जाए और जो 2500 रुपये मानदेय दिया जा रहा उसे भी बढ़ाया जाया. आशा सहयोगिनियों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि उनका मानदेय नहीं बढ़ाया जाता है तो 22 जुलाई से जो रूबेला टीकाकरण का कार्य शुरू होना है, उसमें वो काम नहीं करेंगी.

मानदेय नहीं बढ़ने से आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन में आक्रोश

ग्राम साथिन का भी बजट में मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. उन्हें 3300 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है. ग्राम साथिन ने मांग की है कि उनका भी मानदेय बढ़ाया जाए. साथ ही कार्यकर्ता की तरह सेवा नियम बनाए जाएं और महिला पर्यवेक्षक भर्ती में 50 फीसदी पद कार्यकर्ता की तरह आरक्षित किया जाए. इसी तरह शिशु पालना गृह की कार्यकर्ताओं ने भी मानदेय बढ़ाने की मांग की है. इन्हें 3000 प्रतिमाह दिया जा रहा है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की भांति ही शिशु पालना की कार्यकर्ता को भी समान मानदेय दिए जाने की मांग की है.

अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के संस्थापक छोटे लाल बुनकर ने बताया कि बजट में आशा सहयोगिनी, ग्राम साथिन और शिशु पालना गृह की कार्यकर्ता का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. इसे लेकर इन में आक्रोश है. उन्होंने कहा कि यदि संशोधित बजट में इनका मानदेय नहीं बढ़ाया जाता है तो ये हड़ताल भी कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को तो यह मानदेय देने में शर्म नहीं आती है लेकिन इन महिलाओं को इतना मानदेय लेने में बहुत शर्म आती है.

जयपुर. राजस्थान सरकार ने कुछ दिन पहले अपना बजट पेश किया था. जिसमें सीएम गहलोत ने सिर्फ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का ही मानदेय बढ़ाया है, लेकिन आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन का मानदेय नहीं बढ़ाया है. जिससे उनमें रोष है. आशा सहयोगिनी को वर्तमान में 2500 रुपये प्रतिमाह और ग्राम साथियों को 3300 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है.

आशा सहयोगिनी प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष गुड्डी वर्मा ने बताया कि आशा सहयोगिनी को वर्तमान में 2500 रुपये मानदेय दिया जा रहा है जो सहायक से भी कम है. सहायक को वर्तमान में 4250 रुपये मानदेय दिया जा रहा है. कार्य मूल्यांकन के आधार पर देखा जाए तो दोनों का काम समान है. इसलिए उन्होंने आशा सहयोगिनी के मानदेय में वृद्धि करने की मांग की है. साथ ही आशा सहयोगिनी के लिए एएनएम भर्ती में 25 फीसदी और आशा समन्वयक और आशा पर्यवेक्षक के पदों के लिए 50 फीसदी पद कार्यकर्ता की भांति आरक्षित करने की भी मांग की है.

गुड्डी वर्मा ने कहा कि पता नहीं सरकार ने हमारा मानदेय क्यों नहीं बढ़ाया है. हमारा काम करने का टाइम फिक्स नहीं है. हमें दो डिपार्टमेंट में कार्य करना पड़ रहा है. जब चाहे मेडिकल और जब चाहे महिला बाल विकास वाले बुला लेते हैं. गुड्डी वर्मा ने एक ही विभाग में कार्य करने की मांग भी रखी है. उन्होंने कहा कि हमारा विभाग एक ही कर दिया जाए और जो 2500 रुपये मानदेय दिया जा रहा उसे भी बढ़ाया जाया. आशा सहयोगिनियों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि उनका मानदेय नहीं बढ़ाया जाता है तो 22 जुलाई से जो रूबेला टीकाकरण का कार्य शुरू होना है, उसमें वो काम नहीं करेंगी.

मानदेय नहीं बढ़ने से आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिन में आक्रोश

ग्राम साथिन का भी बजट में मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. उन्हें 3300 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है. ग्राम साथिन ने मांग की है कि उनका भी मानदेय बढ़ाया जाए. साथ ही कार्यकर्ता की तरह सेवा नियम बनाए जाएं और महिला पर्यवेक्षक भर्ती में 50 फीसदी पद कार्यकर्ता की तरह आरक्षित किया जाए. इसी तरह शिशु पालना गृह की कार्यकर्ताओं ने भी मानदेय बढ़ाने की मांग की है. इन्हें 3000 प्रतिमाह दिया जा रहा है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की भांति ही शिशु पालना की कार्यकर्ता को भी समान मानदेय दिए जाने की मांग की है.

अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के संस्थापक छोटे लाल बुनकर ने बताया कि बजट में आशा सहयोगिनी, ग्राम साथिन और शिशु पालना गृह की कार्यकर्ता का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. इसे लेकर इन में आक्रोश है. उन्होंने कहा कि यदि संशोधित बजट में इनका मानदेय नहीं बढ़ाया जाता है तो ये हड़ताल भी कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को तो यह मानदेय देने में शर्म नहीं आती है लेकिन इन महिलाओं को इतना मानदेय लेने में बहुत शर्म आती है.

Intro:जयपुर। आशा सहयोगिन और ग्राम साथिनों का बजट में मानदेय नहीं बढ़ाने से उनमें आक्रोश है और उन्होंने चेतावनी दी है कि 22 जुलाई से शुरू होने वाले रूबेला टीकाकरण में वे भाग नहीं लेंगे और इसके कारण जो नुकसान होगा उसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी। आपको बता दें कि इस बजट में सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का ही मानदेय बढ़ाया है। आशा सह्योगिन और ग्राम साथिन का मानदेय नही बढ़ाया। आशा सहयोगिनी को वर्तमान में 2500 रुपये प्रतिमाह और ग्राम साथियों को 3300 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है।


Body:आशा सहयोगिनी प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष गुड्डी वर्मा ने बताया की आशा सहयोगिनी को वर्तमान में 2500 रुपये मानदेय दिया जा रहा है जो सहायक से भी कम है। सहायक को वर्तमान में 4250 रुपये मानदेय दिया जा रहा है। कार्य मूल्यांकन के आधार पर देखा जाए तो दोनों का काम समान है इसलिए उन्होंने आशा सहयोगिन के मानदेय में वृद्धि करने की मांग की। साथ ही आशा सहयोगिन के लिए एएनएम भर्ती में 25% और आशा समन्वयक और आशा पर्यवेक्षक के पदों के लिए 50 फ़ीसदी पद कार्यकर्ता की भांति आरक्षित करने की भी मांग की।
गुड्डी वर्मा ने कहा कि पता नहीं सरकार ने हमारा मानदेय क्यों नहीं बढ़ाया है हमारा काम करने का टाइम फिक्स नहीं है हमें दो डिपार्टमेंट में कार्य करना पड़ रहा है जब चाहे जब मेडिकल और जब चाहे जब महिला बाल विकास वाले बुला लेते हैं। गुड्डी वर्मा ने एक ही विभाग में कार्य करने की मांग रखी उन्होंने कहा कि हमारा विभाग एक ही कर दिया जाए और जो 2500 रुपये मानदेय दिया जा रहा उसे भी बढ़ाया जाए। आशा सहयोगिनियों ने साफ चेतावनी दी कि यदि हमारी मानदेय नहीं बढ़ाया जाता है तो 22 जुलाई से रूबेला टीकाकरण का कार्य शुरू होगा उसमें हम लोग काम नहीं करेंगे। यह हमारी सरकार को चेतावनी है इसके कारण रूबेला टीकाकरण प्रभावित होगा।


Conclusion:ग्राम साथिन का भी बजट में मानदेय नहीं बढ़ाया गया है उन्हें 3300 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है। ग्राम साथिन ने मांग की कि उनका भी मानदेय बढ़ाया जाए। साथ ही कार्यकर्ता की तरह सेवा नियम बनाए जाए और महिला पर्यवेक्षक भर्ती में 50% पद कार्यकर्ता की तरह आरक्षित किया जाए। साथ ही उन्होंने ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश की मांग की। इसी तरह शिश पालना गृह की कार्यकर्ताओं ने भी मानदेय बढ़ाने की मांग की है। इन्हें 3000 प्रतिमाह दिया जा रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की भांति ही शिशु पालना की कार्यकर्ता को भी समान मानदेय दिया जाने की मांग की।
अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के संस्थापक छोटे लाल बुनकर ने बताया बजट में आशा सहयोगिन, ग्राम साथिन और शिशु पालना गृह की कार्यकर्ता का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है इसे लेकर इन में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि यदि संशोधित बजट में इनका मानदेय नहीं बढ़ाया जाता है तो ये हड़ताल भी कर सकते हैं उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को तो यह मानदेय देने में शर्म नहीं आती है लेकिन इन महिलाओं को इतना मानदेय लेने में बहुत शर्म आती है।


बाईट- 1. गुड्डी वर्मा
2. छोटे लाल बुनकर
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