जयपुर. भाजपा के पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा. उन्होंने पत्र के जरिए इंदिरा रसोई को लेकर कटाक्ष किया. साथ ही यह भी बताया कि सरकार ने सुशीलपुरा के लोगों से सामुदायिक केंद्र की सुविधा छीन ली है और वहां इंदिरा रसोई की शुरुआत की है.
इंदिरा रसोई को लेकर कटाक्ष
पत्र में अरुण चतुर्वेदी में लिखा है 'गहलोत जी 20 अगस्त को आप ने गरीबों के लिए सस्ते भोजन की व्यवस्था के लिए 'इंदिरा रसोई योजना' की शुरुआत की. मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि इस काम के लिए आपकी सरकार को 20 महीने क्यों लगे. नाम बदलने और योजना के आकार को छोटा करने का काम तो एक दिन में भी हो सकता है. आप एक समझदार व्यक्ति हैं, लेकिन मैं फिर भी एक बार यह समझने में असमर्थ हूं कि एक सुविधा देने के लिए आप की सरकार द्वारा गरीबों की दूसरी सुविधा छीनना जरूरी था. योजना में से आपने नाश्ता तो छीना ही है. हालांकि उसको याद दिलाकर आपको दुख नहीं पहुंचाना चाहता.
यह है मामला
अरुण चतुर्वेदी ने पत्र के जरिये बताया कि सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र मे सुशीलपुरा एक जगह है. यह स्थान सीएम के सरकारी आवास से मात्र 2 किलोमीटर दूर होगा. इस क्षेत्र में मेहनतकश लोग रहते हैं, जिनके पारिवारिक सामाजिक कार्यक्रमों जैसे विवाह, जन्मदिन, त्योहार के लिए इस क्षेत्र में कोई सामुदायिक भवन की व्यवस्था नहीं थी. चतुर्वेदी ने पिछले कार्यकाल में यहां के लोगों की इस जरूरत को महसूस करते हुए यहां एक सार्वजनिक स्थान पर सामुदायिक भवन नगर निगम के सहयोग से बनवाया था. लगभग 4 सालों से क्षेत्रीय लोगों की लिए यह सुविधा वरदान साबित हुई है.
गरीबों से छीना उनका स्थान
लॉकडाउन के समय यहां के स्थानीय युवाओं ने जनसहयोग से समुदायिक भवन में एक रसोई भी चलाई थी. जिससे लगभग 500 लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था हो पाई. गरीबों के लिए सस्ते भोजन की योजना तो आपने नए नाम और कलेवर में तो शुरू की. जिससे लगभग 20 महीने बाद लोगों को फिर सस्ता भोजन सुलभ हो पाएगा, लेकिन इसके साथ ही इस क्षेत्र के गरीबों के पारिवारिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए तैयार किए गया स्थान छीन गया.
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चतुर्वेदी ने पत्र में लिखा 'मुझे विश्वास है कि यह जानकारी आपके संज्ञान में अधिकारियों या क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि द्वारा लाई जाती, तो गहलोत जी आप उस स्थान की जगह कहीं और इंदिरा रसोई योजना को प्रारंभ करते. क्षेत्र में ही और स्थान मिल सकता था. अगर आप चाहेंगे तो मैं भी अधिकारियों को और स्थान दिखा सकता हूं. अगर सरकार के पास भवन के लिए बजट नहीं है, तो आपके निर्देश पर विधायक, विधायक कोष से वहां भवन भी बनवा सकते हैं.
अरुण चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि स्थान के निर्णय पर पुनर्विचार करें और सामुदायिक भवन को जनता के उपयोग के लिए ही रहने दें. मेरी बात से आप की भावना आहत हुई हो तो कृपया मुझे क्षमा करें.