जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वायत शासन विभाग के प्रमुख सचिव, निदेशक और जयपुर नगर निगम के आयुक्त को नोटिस जारी कर पूछा है कि सफाई कर्मचारी भर्ती- 2018 में चयनित अभ्यर्थियों की डेढ़ साल की सेवा के बाद सेवा समाप्ति क्यों की गई है. न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश बाबूलाल और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने वर्ष 2012 की सफाई कर्मचारी भर्ती में आवेदन किया था, लेकिन बाद में भर्ती निरस्त कर दी गई. वहीं स्वायत शासन विभाग ने वर्ष 2018 में भर्ती निकालते हुए वर्ष 2012 में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को भी पात्र मानकर उनके आवेदन स्वीकार कर लिए. याचिका में कहा गया कि सितंबर 2018 में याचिकाकर्ताओं का चयन कर नियुक्ति भी दे दी गई.
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वहीं, गत 21 मई को निगम आयुक्त आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं को आवेदन के समय ओवर एज होना बताकर नियुक्ति आदेश निरस्त कर दिए. याचिका में कहा गया कि नई भर्ती में पुराने भर्ती के अभ्यर्थियों को शामिल करने का प्रावधान किया गया था. इसके चलते याचिकाकर्ताओं के आवेदन स्वीकार कर उन्हें नियुक्ति दी गई और उनसे डेढ़ साल काम भी लिया गया. ऐसे में अब उनकी नियुक्ति निरस्त करने का आदेश गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
वीसी और डीन को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के वीसी और विधि संकाय के डीन को नोटिस जारी कर पूछा है कि विद्यार्थियों की परीक्षाएं कराने के संबंध में क्या निर्णय लिया गया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश लोकेंद्र सिंह की जनहित याचिका पर दिए.