जयपुर. आमेर में वॉच टावर (Amer Watch Tower) पर आकाशीय बिजली गिरने का मामला आमेर के लिए नया नहीं है. साल 2013 में भी आमेर महल (Amer Fort) के नीचे बिजली गिर चुकी है, जिसमें दो व्यक्ति की मौत हुई थी.
इसके बाद आमेर विकास प्राधिकरण (Amer Development Management Authority) द्वारा मावठे के नजदीक लाइटनिंग अरेस्टर लगाया गया था और अब 11 जुलाई को हुए हादसे के बाद विभिन्न मॉन्यूमेंट्स से लाइटनिंग अरेस्टर लगाने की मांग उठ रही है.
नाहरगढ़ और अल्बर्ट हॉल का काम देख रहे राकेश छोलक ने बताया कि अल्बर्ट हॉल पर तो लाइटनिंग अरेस्टर लगा हुआ है, जिसका फायदा भी मिला है. लेकिन नाहरगढ़, जहां बड़ी संख्या में पर्यटकों की आवाजाही रहती है, वहां प्राकृतिक आपदा (Natural Disaster) से बचने के लिए लाइटनिंग अरेस्टर लगाए जाने की मांग भेजी हुई है. हालांकि अब तक लगाया नहीं गया. नाहरगढ़ पर तैनात गार्डों को जरूर इस तरह प्रशिक्षित किया गया है कि यदि मौसम ज्यादा खराब होता है तो पर्यटकों को महल के अंदर भेज दिया जाता है.
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वहीं, आमेर महल अधीक्षक पंकज धरेंद्र के अनुसार आकाशीय बिजली प्राकृतिक आपदा है, ये कहीं पर भी गिर सकती है. आकाशीय बिजली आमेर की पहाड़ी पर स्थित वॉच टावर पर गिरी. ये वॉच टावर परकोटे का संरक्षित स्मारक है, जिसका स्वामित्व वन विभाग के अधीन आता है और ये वन्य क्षेत्र में है. आमतौर पर पर्यटक वहां नहीं जाते हैं. बारिश का मौसम होने के कारण कुछ लोग वहां घूमने चले गए और इस घटना का शिकार हो गए.
उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं का दोहरान ना हो, इसके लिए वन विभाग को यहां पेट्रोलिंग करनी चाहिए और जहां तक तड़ित चालक (Lightning Arrester) यंत्र की बात है, वो 360 डिग्री पर 20 मीटर का एरिया कवर करता है. ऐसे में उन्होंने वन विभाग द्वारा इस पर कार्रवाई करने की अपेक्षा व्यक्त की.
संरक्षित इमारतों पर तड़ित चालक लगाने के मामले पर पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर प्रकाश चंद शर्मा ने बताया कि वर्तमान में आमेर मावठा के पास और अल्बर्ट हॉल पर तड़ित चालक लगा हुआ है. जयपुर में स्थित अन्य मॉन्यूमेंट पर तड़ित चालक लगाने के लिए आमेर विकास प्राधिकरण को पत्र लिखा गया है, जिस पर शीघ्र कार्रवाई की जा रही है.
आपको बता दें कि तड़ित चालक तांबे का बना हुआ एक यंत्र है और तांबे की ही एक केबल अर्थिंग की जाती है. इसके रेडियस में गिरने वाली आकाशीय बिजली को ये कैच करता है और जमीन के नीचे छोड़ता है. बहरहाल, आमेर विकास प्राधिकरण 2013 के हादसे से पूरी तरह नहीं चेता. यही वजह है कि 2021 में बड़ा हादसा घटित हुआ. हालांकि, अभी भी विभागीय अधिकारी यदि एक दूसरे विभाग पर टालते रहेंगे तो इस तरह के हादसे दोबारा घटित होने की आशंका बनी रहेगी.
गौरतलब है कि 11 जुलाई को आमेर के सामने बने वॉच टावर पर आकाशीय बिजली गिरी थी. जिसमें करीब 12 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग जख्मी हुए थे. इस विभत्स हादसे के बाद रातभर एसडीआरफ (SDRF) और पुलिस की टीमें लाशें और घायलों की तलाश करती रहीं.