ETV Bharat / city

हाथियों पर कोरोना संकट: लॉकडाउन में महावत खुद के खर्चे बचाकर भर रहे हाथियों का पेट

जयपुर के एलिफेंट विलेज में रह रहे हाथियों पर भी लॉकडाउन का असर देखने को मिल रहा है. विश्व की पर्यटन नगरी आमेर के हाथियों का इन दिनों पेट भरना मुश्किल हो रहा है. लेकिन हाथी मालिक अपने खर्चों में से हाथियों का पेट पाल रहे हैं. जानिए इस रिपोर्ट में की क्या है इन आमेर के हाथियों का हाल.

rajasthan elephant news, राजस्थान के हाथियों की खबर
इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट
author img

By

Published : Apr 27, 2020, 9:03 PM IST

जयपुर. प्रदेश की विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी आमेर, देसी विदेशी सैलानियों का आकर्षण का केंद्र रहती है. आमेर की हाथी सवारी भी देश-विदेश में प्रसिद्ध है. हाथी सवारी करने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आमेर पहुंचते हैं. वहीं इस हाथी सवारी से कई लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे उनके परिवारों का पेट भी पलता है.

इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट

हाथी मालिकों की समस्याः

लेकिन कोरोना महामारी के चलते सभी पर्यटन उद्योग बंद हो गए. प्रदेश में लॉकडाउन होने से हाथी मालिकों और महावतों का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा हैं. आमेर महल में होने वाली हाथी सवारी बंद होने के बाद हाथी मालिकों के सामने रोजगार का संकट आ गया. ऐसे में हाथियों का खर्चा उठाना भी मुश्किल हो रहा है. आमेर महल में करीब 104 हाथी राइडिंग में चलते हैं. आमेर महल में हाथी सवारी करवाने से प्रत्येक हाथी को तीन से चार रोटेशन मिलते थे. आमेर महल में हाथी सवारी से प्रति हाथी कि आय करीब 4 से 5 हजार रुपये होती थी. जिससे हाथी मालिकों और महावतों का खर्चा चलता था. लेकिन लॉकडाउन होने से आमेर महल में हाथी सवारी भी बंद हो चुकी है. ऐसे में हाथियों को चारा खिलाना भी मुश्किल हो रहा है.

एक हाथी पर कितना खर्चः

एक हाथी पर रोजाना 2हजार रुपये का खर्चा होता है. हालांकि हाथी कल्याण विकास समिति की ओर से एक हाथी के लिए 600 रुपये प्रतिदिन का खर्चा दिया जा रहा है. जो की एक हाथी के लिए बहुत कम है. हाथी मालिकों को अपनी जेब से ही हाथियों को चारा खिलाना पड़ रहा है. ऐसे में हाथी मालिकों को कर्ज के नीचे दबना भी पड़ रहा है. यानी रोजना 4 से 5 हजार रुपये कमा कर देने वाले हाथियों पर अब 2 हजार रुपए रोजाना खर्चा करना पड़ रहा है. लेकिन फिर भी हाथी मालिक अपना पेट काटकर भी हाथियों को चारा खिला रहे हैं.

rajasthan elephant news, राजस्थान के हाथियों की खबर
इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट

हाथी मालिक और महावत बेरोजगारः

लॉकडाउन के चलते हाथी मालिकों के साथ महावत भी बेरोजगार हो गए. ऐसे में महावतों के घर का खर्चा भी चलना मुश्किल हो रहा है. हाथी मालिकों की ओर से महावतों को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा हैं. हाथी मालिक आसिफ खान ने बताया कि जयपुर की हाथी सवारी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. आमेर महल में 104 हाथी चलते हैं. जिनमें से 60 हाथी हाथी गांव में रहते हैं बाकी हाथी गांव से बाहर अपने मालिकों के ठिकानों पर रहते हैं.

पढ़ेंः जयपुर: जालूपुरा थाना इलाके में कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद चिन्हित इलाके में लगा कर्फ्यू

17 मार्च को प्रदेश के सभी पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया था. इसके साथ ही आमेर महल की हाथी सवारी भी बंद कर दी गई. लॉकडाउन से हाथी मालिकों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है. हाथी सवारी से होने वाली आमदनी से ही हाथियों का और मालिकों का गुजारा चलता है. लेकिन लॉकडाउन होने से हाथियों को पालना भी मुश्किल हो रहा है. हाथी कल्याण संस्था की तरफ से प्रति हाथी 6 सौ रुपये रोजाना हाथियों के चारे के लिए खर्चा दिया जा रहा है. लेकिन 600 रुपये प्रतिदिन भी एक हाथी के लिए कम है. एक हाथी का खर्चा 2 हजार रुपये प्रतिदिन का होता है.

rajasthan elephant news, राजस्थान के हाथियों की खबर
इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट

पढ़ेंः राजसमंद में कोरोना स्कैनिंग का काम Digital तरीके से, एक ही App में पूरी जानकारी

ऐसे में हाथी मालिकों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान हाथियों को हाथी गांव में ही रूटीन के हिसाब से वॉक करवाई जाती है, ताकि उनके शरीर में समस्या ना हो. हाथियों को घुमाने के बाद रोजाना स्नान करवाया जाता है. लॉकडाउन होने के बाद इंसानों की तरह हाथियों की दिनचर्या में भी बदलाव आ गया है.अब उन्हें दिन भर खड़े रहने की आदत सी बन गई है.कोरोना वायरस को देखते हुए हाथी गांव में भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना की जा रही है. हाथियों को भी एक दूसरे से दूर रखा जा रहा है.

rajasthan elephant news, राजस्थान के हाथियों की खबर
इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट

कोरोना वायरस का प्रभाव पर्यटन पर भी

विदेशी सैलानियों का भारत आना बंद रहेगा जिसके चलते अब आने वाले समय में भी हाथियों और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए काफी परेशानियां होंगी. हाथी महावतों का कहना है कि पहले आमेर हाथी सवारी के लिए जाते थे, तो घर का खर्चा भी चल पाता था. लेकिन हाथी सवारी बंद होने से अब खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है. जेब का पैसा खर्च हो चुका है. ऐसे में खाने की भी समस्या हो रही है. हालांकि हाथी मालिकों की ओर से दो वक्त की रोटी का इंतजाम किया जा रहा हैं.

जयपुर. प्रदेश की विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी आमेर, देसी विदेशी सैलानियों का आकर्षण का केंद्र रहती है. आमेर की हाथी सवारी भी देश-विदेश में प्रसिद्ध है. हाथी सवारी करने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आमेर पहुंचते हैं. वहीं इस हाथी सवारी से कई लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे उनके परिवारों का पेट भी पलता है.

इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट

हाथी मालिकों की समस्याः

लेकिन कोरोना महामारी के चलते सभी पर्यटन उद्योग बंद हो गए. प्रदेश में लॉकडाउन होने से हाथी मालिकों और महावतों का पेट पालना भी मुश्किल हो रहा हैं. आमेर महल में होने वाली हाथी सवारी बंद होने के बाद हाथी मालिकों के सामने रोजगार का संकट आ गया. ऐसे में हाथियों का खर्चा उठाना भी मुश्किल हो रहा है. आमेर महल में करीब 104 हाथी राइडिंग में चलते हैं. आमेर महल में हाथी सवारी करवाने से प्रत्येक हाथी को तीन से चार रोटेशन मिलते थे. आमेर महल में हाथी सवारी से प्रति हाथी कि आय करीब 4 से 5 हजार रुपये होती थी. जिससे हाथी मालिकों और महावतों का खर्चा चलता था. लेकिन लॉकडाउन होने से आमेर महल में हाथी सवारी भी बंद हो चुकी है. ऐसे में हाथियों को चारा खिलाना भी मुश्किल हो रहा है.

एक हाथी पर कितना खर्चः

एक हाथी पर रोजाना 2हजार रुपये का खर्चा होता है. हालांकि हाथी कल्याण विकास समिति की ओर से एक हाथी के लिए 600 रुपये प्रतिदिन का खर्चा दिया जा रहा है. जो की एक हाथी के लिए बहुत कम है. हाथी मालिकों को अपनी जेब से ही हाथियों को चारा खिलाना पड़ रहा है. ऐसे में हाथी मालिकों को कर्ज के नीचे दबना भी पड़ रहा है. यानी रोजना 4 से 5 हजार रुपये कमा कर देने वाले हाथियों पर अब 2 हजार रुपए रोजाना खर्चा करना पड़ रहा है. लेकिन फिर भी हाथी मालिक अपना पेट काटकर भी हाथियों को चारा खिला रहे हैं.

rajasthan elephant news, राजस्थान के हाथियों की खबर
इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट

हाथी मालिक और महावत बेरोजगारः

लॉकडाउन के चलते हाथी मालिकों के साथ महावत भी बेरोजगार हो गए. ऐसे में महावतों के घर का खर्चा भी चलना मुश्किल हो रहा है. हाथी मालिकों की ओर से महावतों को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा हैं. हाथी मालिक आसिफ खान ने बताया कि जयपुर की हाथी सवारी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. आमेर महल में 104 हाथी चलते हैं. जिनमें से 60 हाथी हाथी गांव में रहते हैं बाकी हाथी गांव से बाहर अपने मालिकों के ठिकानों पर रहते हैं.

पढ़ेंः जयपुर: जालूपुरा थाना इलाके में कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद चिन्हित इलाके में लगा कर्फ्यू

17 मार्च को प्रदेश के सभी पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया था. इसके साथ ही आमेर महल की हाथी सवारी भी बंद कर दी गई. लॉकडाउन से हाथी मालिकों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है. हाथी सवारी से होने वाली आमदनी से ही हाथियों का और मालिकों का गुजारा चलता है. लेकिन लॉकडाउन होने से हाथियों को पालना भी मुश्किल हो रहा है. हाथी कल्याण संस्था की तरफ से प्रति हाथी 6 सौ रुपये रोजाना हाथियों के चारे के लिए खर्चा दिया जा रहा है. लेकिन 600 रुपये प्रतिदिन भी एक हाथी के लिए कम है. एक हाथी का खर्चा 2 हजार रुपये प्रतिदिन का होता है.

rajasthan elephant news, राजस्थान के हाथियों की खबर
इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट

पढ़ेंः राजसमंद में कोरोना स्कैनिंग का काम Digital तरीके से, एक ही App में पूरी जानकारी

ऐसे में हाथी मालिकों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान हाथियों को हाथी गांव में ही रूटीन के हिसाब से वॉक करवाई जाती है, ताकि उनके शरीर में समस्या ना हो. हाथियों को घुमाने के बाद रोजाना स्नान करवाया जाता है. लॉकडाउन होने के बाद इंसानों की तरह हाथियों की दिनचर्या में भी बदलाव आ गया है.अब उन्हें दिन भर खड़े रहने की आदत सी बन गई है.कोरोना वायरस को देखते हुए हाथी गांव में भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना की जा रही है. हाथियों को भी एक दूसरे से दूर रखा जा रहा है.

rajasthan elephant news, राजस्थान के हाथियों की खबर
इस लॉकडाउन में कैसे भरेगा हाथियों का पेट

कोरोना वायरस का प्रभाव पर्यटन पर भी

विदेशी सैलानियों का भारत आना बंद रहेगा जिसके चलते अब आने वाले समय में भी हाथियों और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए काफी परेशानियां होंगी. हाथी महावतों का कहना है कि पहले आमेर हाथी सवारी के लिए जाते थे, तो घर का खर्चा भी चल पाता था. लेकिन हाथी सवारी बंद होने से अब खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है. जेब का पैसा खर्च हो चुका है. ऐसे में खाने की भी समस्या हो रही है. हालांकि हाथी मालिकों की ओर से दो वक्त की रोटी का इंतजाम किया जा रहा हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.