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इलाज में लापरवाही, अमर जैन अस्पताल पर 15 लाख का हर्जाना - Negligence in treatment

राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर की बैंच-2 दो ने हॉस्पिटल में आईसीयू नहीं होने और मरीज को रेफर करने में देरी होने पर चौड़ा रास्ता स्थित अमर जैन हॉस्पिटल और डॉ. अरुण जैन सहित तीन पर 15 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग के न्यायिक सदस्य केके बागड़ी और सदस्य मीना मेहता ने यह आदेश अनिल शर्मा और अन्य के परिवाद पर दिया.

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Published : Nov 5, 2019, 11:13 PM IST

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर की बैंच-2 दो ने हॉस्पिटल में आईसीयू नहीं होने और मरीज को रेफर करने में देरी होने के मामले में फैसला सुनाया है. आयोग ने आदेश में कहा कि हॉस्पिटल में आईसीयू नहीं होने और मरीज को देरी से रेफर करने पर अस्पताल और डॅा. परिवादी को हर्जाना राशि 5 लाख रुपए 6 मई 2015 से 9 प्रतिशत ब्याज सहित दे. इ

सके अलावा मृतका के परिवादी दोनों बेटों यश और कृष के नाम दस लाख रुपए की एफडी भी ब्याज सहित बनाई जाए. जो उन्हें 18 साल की उम्र पूरी होने पर दी जाए. मामले के अनुसार परिवादी ने अमर जैन हॉस्पिटल सहित अन्य के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर कहा था कि उसकी पत्नी शालू शर्मा को सर्दी और बुखार होने पर सांस लेने में परेशानी हुई. जिस पर उसने अमर जैन हॉस्पिटल में पत्नी को दिखाया तो डॉक्टर ने भर्ती करने की सलाह दी. इस दौरान टेस्ट कराए और दवाई दी. लेकिन किसी सीनियर डॉक्टर ने उसे नहीं देखा. एक्सरे में लंग्स सिकुडें हुए पाए गए.

पढ़ें- सालेड़ी गांव में हुई युवक की मौत के बाद परिजनों ने शव उठाने से किया इनकार

परिवादी ने जब पत्नी को आईसीयू में शिफ्ट करने के लिए कहा तो पता चला कि हॉस्पिटल में आईसीयू ही नहीं है. चार दिन में उसकी पत्नी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उसने जब डिस्चार्ज करवाने के लिए कहा तो उससे खाली कागजों पर दस्तखत कराए. एंबुलेंस मांगने पर वह नहीं दी और जब दूसरे वाहन से दूसरे अस्पताल गए तो वहां पर उसकी पत्नी को स्वाइन फ्लू होना बताया. लेकिन समय पर अमर जैन अस्पताल में स्वाइन फ्लू का इलाज नहीं किया गया. जिस कारण उसकी पत्नी की मौत हो गई.

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर की बैंच-2 दो ने हॉस्पिटल में आईसीयू नहीं होने और मरीज को रेफर करने में देरी होने के मामले में फैसला सुनाया है. आयोग ने आदेश में कहा कि हॉस्पिटल में आईसीयू नहीं होने और मरीज को देरी से रेफर करने पर अस्पताल और डॅा. परिवादी को हर्जाना राशि 5 लाख रुपए 6 मई 2015 से 9 प्रतिशत ब्याज सहित दे. इ

सके अलावा मृतका के परिवादी दोनों बेटों यश और कृष के नाम दस लाख रुपए की एफडी भी ब्याज सहित बनाई जाए. जो उन्हें 18 साल की उम्र पूरी होने पर दी जाए. मामले के अनुसार परिवादी ने अमर जैन हॉस्पिटल सहित अन्य के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर कहा था कि उसकी पत्नी शालू शर्मा को सर्दी और बुखार होने पर सांस लेने में परेशानी हुई. जिस पर उसने अमर जैन हॉस्पिटल में पत्नी को दिखाया तो डॉक्टर ने भर्ती करने की सलाह दी. इस दौरान टेस्ट कराए और दवाई दी. लेकिन किसी सीनियर डॉक्टर ने उसे नहीं देखा. एक्सरे में लंग्स सिकुडें हुए पाए गए.

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परिवादी ने जब पत्नी को आईसीयू में शिफ्ट करने के लिए कहा तो पता चला कि हॉस्पिटल में आईसीयू ही नहीं है. चार दिन में उसकी पत्नी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उसने जब डिस्चार्ज करवाने के लिए कहा तो उससे खाली कागजों पर दस्तखत कराए. एंबुलेंस मांगने पर वह नहीं दी और जब दूसरे वाहन से दूसरे अस्पताल गए तो वहां पर उसकी पत्नी को स्वाइन फ्लू होना बताया. लेकिन समय पर अमर जैन अस्पताल में स्वाइन फ्लू का इलाज नहीं किया गया. जिस कारण उसकी पत्नी की मौत हो गई.

Intro:जयपुर।राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर की बैंच-2 दो ने हॉस्पिटल में आईसीयू नहींं होने व मरीज को रेफर करने में देरी होने पर चौड़ा रास्ता स्थित अमर जैन हॉस्पिटल व डॉक्टर अरुण जैन सहित तीन पर 15 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है। आयोग के न्यायिक सदस्य केके बागड़ी व सदस्य मीना मेहता ने यह आदेश अनिल शर्मा व अन्य के परिवाद पर दिया।Body:आयोग ने आदेश में कहा कि हॉस्पिटल में आईसीयू नहीं होने व मरीज को देरी से रेफर करने पर अस्पताल व डाॅक्टर परिवादी को हर्जाना राशि 5 लाख रुपए 6 मई 2015 से 9 प्रतिशत ब्याज सहित दे। इसके अलावा मृतका के परिवादी दोनों बेटों यश व कृष के नाम दस लाख रुपए की एफडी भी ब्याज सहित बनाई जाए जो उन्हेें 18 साल की उम्र पूरी होने पर दी जाए। मामले के अनुसार, परिवादी ने अमर जैन हॉस्पिटल सहित अन्य के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर कहा था कि उसकी पत्नी शालू शर्मा को सर्दी व बुखार होने पर सांस लेने में परेशानी हुई। जिस पर उसने अमर जैन हॉस्पिटल में पत्नी को दिखाया तो डॉक्टर ने भर्ती करने की सलाह दी। इस दौरान टेस्ट कराए व दवाई दी। लेकिन किसी सीनियर डॉक्टर ने उसे नहीं देखा। एक्सरे में लंग्स सिकुडें हुए पाए। परिवादी ने जब पत्नी को आईसीयू में शिफ्ट करने के लिए कहा तो पता चला कि हॉस्पिटल में आईसीयू ही नहीं है। चार दिन में उसकी पत्नी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उसने जब डिस्चार्ज करवाने के लिए कहा तो उससे खाली कागजों पर दस्तखत कराए। एंबुलेंस मांगने पर वह नहीं दी और जब दूसरे वाहन से दूसरे अस्पताल गए तो वहां पर उसकी पत्नी को स्वाइन फ्लू होना बताया। लेकिन समय पर अमर जैन अस्पताल में स्वाइन फ्लू का इलाज नहीं किया गया। जिस कारण उसकी पत्नी की मौत हो गई।Conclusion:
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