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राजस्थान के लिए कोयले की हुई वैकल्पिक व्यवस्था, ऊर्जा विभाग ने ली राहत की सांस...

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Published : Oct 4, 2022, 6:40 PM IST

राजस्थान में चल रहे कोयले संकट के बीच अब केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए (Coal Supply from Odisha to Rajasthan) ओडिशा महानदी कोलफील्ड से कोयले की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. इससे प्रदेशवासियों को बिजली संकट की समस्या से निजात मिलेगा.

राजस्थान में कोयला संकट
राजस्थान में कोयला संकट

जयपुर. प्रदेश में छत्तीसगढ़ कोयला विवाद के चलते बिजली संकट की स्थिति से अब राजस्थान को लगभग निजात मिल चुका है. केंद्र सरकार की दखल के बाद प्रदेश के लिए महानदी कोलफील्ड, ओडिशा से कोयले की वैकल्पिक व्यवस्था की (Odisha Mahanadi Cold Field) गई है. वहीं, राज्य में बिजली की मौजूदा डिमांड कम होने से बंद पड़ी 8 उत्पादन इकाइयों के बाद भी बिजली सप्लाई पर कुछ खास असर नहीं दिख रहा.

कुछ दिनों पहले तक राजस्थान में जहां कोयले की कमी के चलते बिजली संकट की स्थिति खड़ी हो गई थी, इससे अब बिजली उपभोक्ताओं को निजात मिला है. इसका पहला कारण मौसम में हुए बदलाव को माना जा रहा है. तापमान में कमी के कारण बिजली की खपत कम हुई है. वहीं, दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि मौजूदा समय में कृषि क्षेत्र में बिजली का उपयोग न के बराबर हो रहा है. फिलहाल, किसानों के लिए फसल काटने का समय है. ऐसे में खेती के लिए पानी की व्यवस्था करने में लगने वाली बिजली की खपत कम हो गई है.

पढ़ें. कोयला सीमित, सौर ऊर्जा की भी लिमिटेशन, लेकिन यूरेनियम की कोई कमी नहीं: एनके पुष्‍पकार

छत्तीसगढ़ कोयला विवाद जारी, ओडिशा से वैकल्पिक व्यवस्था : राजस्थान इन दिनों कोयले के संकट से जूझ (Coal Supply from Orissa to Rajasthan) रहा है. इस बीच छत्तीसगढ़ में आवंटित नए खान से भी कोयले का खनन शुरू नहीं हो पाया है. जबकि पुराने कोल ब्लॉक से खनन कार्य लगभग खत्म होने की कगार पर है. छत्तीसगढ़ कोयला विवाद के बीच राहत भरी खबर यह है कि केंद्र सरकार ने दखल देकर ओडिशा के महानदी कोलफील्ड के जरिए राजस्थान के लिए वैकल्पिक व्यवस्था शुरू की है. यहां से राजस्थान को प्रतिदिन तीन रैक कोयला मिलेगा. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि वर्तमान में प्रदेश की उत्पादन इकाइयों के लिए 17 रेलवे रेल के जरिए कोयले की सप्लाई मिल रही है.

उत्पादन निगम की 8 इकाइयां बंद, यह है कारण : राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोल आधारित विद्युत ग्रहों की कुल 23 इकाइयों में से 8 इकाइयां वर्तमान में बंद (8 power units shutdown in Rajasthan) हैं. इनमें से 4 इकाइयां खराबी व दुर्घटना के कारण लंबे समय से बंद हैं और 4 इकाइयों को शॉर्ट मेंटेनेंस के लिए बंद किया गया है. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि लोड डिस्पैच सेंटर की ओर से विद्युत उत्पादन को निर्देश मिलने पर इकाइयों को तुरंत चालू कर दिया जाएगा.

पढ़ें. Coal Crisis in Rajasthan: छत्तीसगढ़ के सरगुजा कोल माइंस में कोयला खत्म होने की कगार पर, केंद्र से अतिरिक्त कोयले की मांग..

वर्तमान में 7580 मेगावाट की कुल कोल आधारित यूनिटों में से 2090 मेगावाट क्षमता की 8 इकाइयां बंद हैं. इसके अलावा सभी विद्युत ग्रहों में 4-5 दिन से ज्यादा का कोयला स्टॉक है. रोजाना औसतन 17 कोयले की रैक प्राप्त हो रही है. मौजूदा परिस्थितियों में भले ही इन इकाइयों में कोयले का स्टॉक ज्यादा दिन का न हो लेकिन इन्हें बिजली की डिमांड बढ़ने पर तुरंत चालू किया जा सकता है.

380 मेगावाट प्रतिदिन का हुआ इंतजाम : वर्तमान में राजस्थान में गुजरात स्थित टाटा ग्रुप की उत्पादन इकाई से बिजली की व्यवस्था की है. यहां से 380 मेगावाट यूनिट प्रतिदिन राजस्थान को मिल रही है. ऐसे में प्रदेश में बिजली के संकट से काफी हद तक राहत मिली है.

15 नवंबर के बाद बढ़ेगा बिजली का लोड : वर्तमान में बिजली की खपत और मांग पहले की तुलना में कम हुई है. इसका बड़ा कारण कृषि क्षेत्र में बिजली की डिमांड कम होना है. लेकिन आगामी 15 नवंबर के बाद रबी सीजन की फसलों की सिंचाई में बिजली की खपत अधिक होगी. हालांकि राजस्थान ऊर्जा विकास निगम से जुड़े अधिकारी कहते हैं इसके लिए भी पर्याप्त बिजली का इंतजाम बैंकिंग और अन्य माध्यमों से किया गया है.

जयपुर. प्रदेश में छत्तीसगढ़ कोयला विवाद के चलते बिजली संकट की स्थिति से अब राजस्थान को लगभग निजात मिल चुका है. केंद्र सरकार की दखल के बाद प्रदेश के लिए महानदी कोलफील्ड, ओडिशा से कोयले की वैकल्पिक व्यवस्था की (Odisha Mahanadi Cold Field) गई है. वहीं, राज्य में बिजली की मौजूदा डिमांड कम होने से बंद पड़ी 8 उत्पादन इकाइयों के बाद भी बिजली सप्लाई पर कुछ खास असर नहीं दिख रहा.

कुछ दिनों पहले तक राजस्थान में जहां कोयले की कमी के चलते बिजली संकट की स्थिति खड़ी हो गई थी, इससे अब बिजली उपभोक्ताओं को निजात मिला है. इसका पहला कारण मौसम में हुए बदलाव को माना जा रहा है. तापमान में कमी के कारण बिजली की खपत कम हुई है. वहीं, दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि मौजूदा समय में कृषि क्षेत्र में बिजली का उपयोग न के बराबर हो रहा है. फिलहाल, किसानों के लिए फसल काटने का समय है. ऐसे में खेती के लिए पानी की व्यवस्था करने में लगने वाली बिजली की खपत कम हो गई है.

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छत्तीसगढ़ कोयला विवाद जारी, ओडिशा से वैकल्पिक व्यवस्था : राजस्थान इन दिनों कोयले के संकट से जूझ (Coal Supply from Orissa to Rajasthan) रहा है. इस बीच छत्तीसगढ़ में आवंटित नए खान से भी कोयले का खनन शुरू नहीं हो पाया है. जबकि पुराने कोल ब्लॉक से खनन कार्य लगभग खत्म होने की कगार पर है. छत्तीसगढ़ कोयला विवाद के बीच राहत भरी खबर यह है कि केंद्र सरकार ने दखल देकर ओडिशा के महानदी कोलफील्ड के जरिए राजस्थान के लिए वैकल्पिक व्यवस्था शुरू की है. यहां से राजस्थान को प्रतिदिन तीन रैक कोयला मिलेगा. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि वर्तमान में प्रदेश की उत्पादन इकाइयों के लिए 17 रेलवे रेल के जरिए कोयले की सप्लाई मिल रही है.

उत्पादन निगम की 8 इकाइयां बंद, यह है कारण : राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोल आधारित विद्युत ग्रहों की कुल 23 इकाइयों में से 8 इकाइयां वर्तमान में बंद (8 power units shutdown in Rajasthan) हैं. इनमें से 4 इकाइयां खराबी व दुर्घटना के कारण लंबे समय से बंद हैं और 4 इकाइयों को शॉर्ट मेंटेनेंस के लिए बंद किया गया है. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि लोड डिस्पैच सेंटर की ओर से विद्युत उत्पादन को निर्देश मिलने पर इकाइयों को तुरंत चालू कर दिया जाएगा.

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वर्तमान में 7580 मेगावाट की कुल कोल आधारित यूनिटों में से 2090 मेगावाट क्षमता की 8 इकाइयां बंद हैं. इसके अलावा सभी विद्युत ग्रहों में 4-5 दिन से ज्यादा का कोयला स्टॉक है. रोजाना औसतन 17 कोयले की रैक प्राप्त हो रही है. मौजूदा परिस्थितियों में भले ही इन इकाइयों में कोयले का स्टॉक ज्यादा दिन का न हो लेकिन इन्हें बिजली की डिमांड बढ़ने पर तुरंत चालू किया जा सकता है.

380 मेगावाट प्रतिदिन का हुआ इंतजाम : वर्तमान में राजस्थान में गुजरात स्थित टाटा ग्रुप की उत्पादन इकाई से बिजली की व्यवस्था की है. यहां से 380 मेगावाट यूनिट प्रतिदिन राजस्थान को मिल रही है. ऐसे में प्रदेश में बिजली के संकट से काफी हद तक राहत मिली है.

15 नवंबर के बाद बढ़ेगा बिजली का लोड : वर्तमान में बिजली की खपत और मांग पहले की तुलना में कम हुई है. इसका बड़ा कारण कृषि क्षेत्र में बिजली की डिमांड कम होना है. लेकिन आगामी 15 नवंबर के बाद रबी सीजन की फसलों की सिंचाई में बिजली की खपत अधिक होगी. हालांकि राजस्थान ऊर्जा विकास निगम से जुड़े अधिकारी कहते हैं इसके लिए भी पर्याप्त बिजली का इंतजाम बैंकिंग और अन्य माध्यमों से किया गया है.

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