जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को 2 साल पूरे हो चुके है लेकिन अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने राज्य सरकार के पिछले 2 साल के कार्यकाल को निराशाजनक बताया है. एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने प्रेसवार्ता कर प्रदेश सरकार पर कर्मचारी हितों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.
गजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद प्रदेश के राज्य कर्मचारियों में यह उम्मीद जगी थी कि सरकार कर्मचारियों के हितों में कुछ करेगी लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार ने 2 साल के कार्यकाल में कर्मचारियों को दिया कुछ नहीं है बल्कि इन 2 साल में सरकार ने केवल कर्मचारियों के वेतन से कटौती के रास्ते ही ढूंढे हैं. राठौड़ ने कहा कि 7 अगस्त 2020 को कोविड-19 पर आयोजित वीडियो कांफ्रेंस में कर्मचारियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आश्वस्त किया था कि कर्मचारियों की मांगों पर जल्द ही वार्ता की जाएगी लेकिन आज तक वार्ता की कोई पहल नहीं हुई.
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महासंघ के मुख्य महामंत्री राजेंद्र शर्मा का कहना है कि राज्य कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने, वेतन कटौती के आदेश निरस्त करने, सेवा अवधि पूर्ण करने पर पदोन्नति, पुरानी पेंशन योजना लागू करने, कांग्रेस घोषणा पत्र 2018 के अनुरुप संविदा कर्मियों, ठेका कर्मियों और अस्थाई कर्मचारियों को नियमित करने की मांग कर रहा है. ऐसे में एकीकृत महासंघ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कर्मचारियों की वाजिब मांगों का वार्ता के जरिए शीघ्र निराकरण करने की मांग कर रहा है. यदि मांगे नहीं मानी गई तो कर्मचारी महासंघ आंदोलन की राह अपनाएगा.