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अक्टूबर के सियासी संग्राम में वसुंधरा राजे की भूमिका पर सबकी नजर...

राजस्थान में पंचायत चुनाव में वसुंधरा राजे की भूमिका पर सबकी निगाहें हैं. राजे का उपचुनाव और पंचायत चुनाव में सक्रियता कई कार्यक्रम तय करेंगे.

Rajasthan Panchayat elections
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Published : Sep 30, 2021, 3:09 PM IST

Updated : Sep 30, 2021, 5:09 PM IST

जयपुर. राजस्थान में आगामी अक्टूबर माह सियासी संग्राम वाला (Rajasthan Panchayat Election 2021) रहने वाला है. इसी महीने खुलेगा वसुंधरा राजे (Vasundhra Raje) का वो 'राज' जिस पर सबकी निगाहें टिकी है. इस महीने 2 सीटों पर उपचुनाव और 2 जिलों में पंचायत राज चुनाव में वसुंधरा राजे की भूमिका पर सबकी नजर है. इन चुनावों में राज्य की सक्रियता प्रदेश में उनके कई आगामी कार्यक्रम और गतिविधियों को तय करेंगे.

वसुंधरा राजे पर ही सबकी निगाहें क्यों

जिन 2 जिलों में पंचायत राज चुनाव होने हैं उनमें से एक जिला धौलपुर है और वसुंधरा राजे को धौलपुर की महारानी भी कहते हैं. वहां उनका राजमहल भी है और वहां के चुनाव से उनकी प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है. हालांकि, राजे का राजनीतिक गृह जिला झालावाड़ है, जहां से वे विधायक भी है और उनके दुष्यंत सिंह पुत्र सांसद है. लेकिन धौलपुर राजघराने के उनका संबंध होने के कारण धौलपुर जिले में होने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव और उसके परिणाम काफी कुछ वसुंधरा राजे के प्रतिष्ठा से भी जुड़े माने जा रहे हैं. यही कारण है कि राजे इन चुनाव में धौलपुर क्षेत्र में अपनी चहल कदमी करती है या नहीं, इस पर सबकी निगाहें टिकी है.

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वल्लभनगर उपचुनाव और रणधीर भींडर भी एक कारण

अक्टूबर महीमे में दो सीट धरियावद और वल्लभनगर में विधानसभा उपचुनाव (Vallabhnagar by-election) है. इसमें से वल्लभनगर सीट पर वसुंधरा राज्य के नजदीकी नेताओं में शामिल पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर का भी खासा प्रभाव है. पिछले दिनों भींडर ने वसुंधरा राजे से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात भी की थी लेकिन रणधीर से भींडर की भाजपा में वापसी फिलहाल नहीं हुई है. पार्टी नेताओं का एक धड़ा भींडर को भाजपा में देखना चाहता है तो एक अन्य धड़ा इसके खिलाफ है.

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Leader of Opposition Gulabchand Katariya) तो खुले तौर पर भिंडर की खिलाफत करते हैं. ऐसे में इन चुनावों में भींडर की वापसी को लेकर राजे के प्रयास कर भी सबकी निगाहें टिकी है. इसके लिए 2 अक्टूबर को प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की बैठक है. जिसमें यदि वसुंधरा राजे शामिल हुई तो संभवत इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. मतलब वल्लभनगर सीट और रणधीर सिंह भींडर की भाजपा में वापसी से जुड़े मसले पर भी अक्टूबर महीने में वसुंधरा राजे की सक्रियता बहुत कुछ निर्भर करेगी.

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पिछले चुनाव में नहीं दिखी वसुंधरा राजे, इस बार भी रहेगा संशय

प्रदेश में पिछली बार हुए 3 सीटों पर उपचुनाव और पंचायत राज और निकाय चुनाव में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान में ज्यादा सक्रियता नहीं दिखी. हालांकि, यह चुनाव छोटे हैं. वसुंधरा राजे सियासी कद काफी बड़ा है लेकिन राजनीति में यह चीजें ज्यादा मायने नहीं रखती. क्योंकि पिछले उपचुनाव को पंचायत राज चुनाव में राजस्थान से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों ने सक्रियता दिखाई थी. पिछले दिनों हुए राजस्थान विधानसभा के सत्र उसके बाद भाजपा की कुंभलगढ़ में हुई चिंतन बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुई थी. तर्क दिया जा रहा था कि वसुंधरा राजे की पुत्रवधू निहारिका का स्वास्थ बेहद खराब चल रहा है. ऐसे में अक्टूबर महीने में राजस्थान में होने वाले सियासी संग्राम में वसुंधरा राजे की सक्रिय भूमिका रहने की संभावना थोड़ी कम ही है लेकिन राजनीति में कभी भी कुछ नहीं कहा जा सकता.

यदि अक्टूबर के सियासी संग्राम में राजे की भूमिका रही सक्रिय तो जल्द बनेगा जिलों का दौरा

अक्टूबर महीने में 2 जिलों में पंचायत राज चुनाव और 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के दंगल में यदि वसुंधरा राजे की सक्रियता नजर आई. फिर आगामी दिनों में उदयपुर और अजमेर संभाग में उनके सियासी प्रवास जल्द ही बन सकते हैं लेकिन यह सब कुछ निर्भर करेगा अक्टूबर महीने के सियासी संग्राम में वसुंधरा राजे की सक्रियता पर क्योंकि उसी के आधार पर राज्य के आगामी प्रस्तावित कार्यक्रम तय होने की संभावना है.

जयपुर. राजस्थान में आगामी अक्टूबर माह सियासी संग्राम वाला (Rajasthan Panchayat Election 2021) रहने वाला है. इसी महीने खुलेगा वसुंधरा राजे (Vasundhra Raje) का वो 'राज' जिस पर सबकी निगाहें टिकी है. इस महीने 2 सीटों पर उपचुनाव और 2 जिलों में पंचायत राज चुनाव में वसुंधरा राजे की भूमिका पर सबकी नजर है. इन चुनावों में राज्य की सक्रियता प्रदेश में उनके कई आगामी कार्यक्रम और गतिविधियों को तय करेंगे.

वसुंधरा राजे पर ही सबकी निगाहें क्यों

जिन 2 जिलों में पंचायत राज चुनाव होने हैं उनमें से एक जिला धौलपुर है और वसुंधरा राजे को धौलपुर की महारानी भी कहते हैं. वहां उनका राजमहल भी है और वहां के चुनाव से उनकी प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है. हालांकि, राजे का राजनीतिक गृह जिला झालावाड़ है, जहां से वे विधायक भी है और उनके दुष्यंत सिंह पुत्र सांसद है. लेकिन धौलपुर राजघराने के उनका संबंध होने के कारण धौलपुर जिले में होने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव और उसके परिणाम काफी कुछ वसुंधरा राजे के प्रतिष्ठा से भी जुड़े माने जा रहे हैं. यही कारण है कि राजे इन चुनाव में धौलपुर क्षेत्र में अपनी चहल कदमी करती है या नहीं, इस पर सबकी निगाहें टिकी है.

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वल्लभनगर उपचुनाव और रणधीर भींडर भी एक कारण

अक्टूबर महीमे में दो सीट धरियावद और वल्लभनगर में विधानसभा उपचुनाव (Vallabhnagar by-election) है. इसमें से वल्लभनगर सीट पर वसुंधरा राज्य के नजदीकी नेताओं में शामिल पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर का भी खासा प्रभाव है. पिछले दिनों भींडर ने वसुंधरा राजे से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात भी की थी लेकिन रणधीर से भींडर की भाजपा में वापसी फिलहाल नहीं हुई है. पार्टी नेताओं का एक धड़ा भींडर को भाजपा में देखना चाहता है तो एक अन्य धड़ा इसके खिलाफ है.

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Leader of Opposition Gulabchand Katariya) तो खुले तौर पर भिंडर की खिलाफत करते हैं. ऐसे में इन चुनावों में भींडर की वापसी को लेकर राजे के प्रयास कर भी सबकी निगाहें टिकी है. इसके लिए 2 अक्टूबर को प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की बैठक है. जिसमें यदि वसुंधरा राजे शामिल हुई तो संभवत इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. मतलब वल्लभनगर सीट और रणधीर सिंह भींडर की भाजपा में वापसी से जुड़े मसले पर भी अक्टूबर महीने में वसुंधरा राजे की सक्रियता बहुत कुछ निर्भर करेगी.

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पिछले चुनाव में नहीं दिखी वसुंधरा राजे, इस बार भी रहेगा संशय

प्रदेश में पिछली बार हुए 3 सीटों पर उपचुनाव और पंचायत राज और निकाय चुनाव में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान में ज्यादा सक्रियता नहीं दिखी. हालांकि, यह चुनाव छोटे हैं. वसुंधरा राजे सियासी कद काफी बड़ा है लेकिन राजनीति में यह चीजें ज्यादा मायने नहीं रखती. क्योंकि पिछले उपचुनाव को पंचायत राज चुनाव में राजस्थान से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों ने सक्रियता दिखाई थी. पिछले दिनों हुए राजस्थान विधानसभा के सत्र उसके बाद भाजपा की कुंभलगढ़ में हुई चिंतन बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुई थी. तर्क दिया जा रहा था कि वसुंधरा राजे की पुत्रवधू निहारिका का स्वास्थ बेहद खराब चल रहा है. ऐसे में अक्टूबर महीने में राजस्थान में होने वाले सियासी संग्राम में वसुंधरा राजे की सक्रिय भूमिका रहने की संभावना थोड़ी कम ही है लेकिन राजनीति में कभी भी कुछ नहीं कहा जा सकता.

यदि अक्टूबर के सियासी संग्राम में राजे की भूमिका रही सक्रिय तो जल्द बनेगा जिलों का दौरा

अक्टूबर महीने में 2 जिलों में पंचायत राज चुनाव और 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के दंगल में यदि वसुंधरा राजे की सक्रियता नजर आई. फिर आगामी दिनों में उदयपुर और अजमेर संभाग में उनके सियासी प्रवास जल्द ही बन सकते हैं लेकिन यह सब कुछ निर्भर करेगा अक्टूबर महीने के सियासी संग्राम में वसुंधरा राजे की सक्रियता पर क्योंकि उसी के आधार पर राज्य के आगामी प्रस्तावित कार्यक्रम तय होने की संभावना है.

Last Updated : Sep 30, 2021, 5:09 PM IST
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