जयपुर. कृषि विशेक्षज्ञ डॉ. अतुल गुप्ता ने भारत का गौरव बढ़ाया है. मॉरीशस में डायबिटीज को कंट्रोल करने की (Dr Atul Gupta honored by Mauritius Government) दिशा में डॉ. अतुल गुप्ता के अभूतपूर्व योगदान के लिए मॉरीशस सरकार की तरफ से जयपुर में बुधवार को उन्हें सम्मानित किया गया है.
जयपुर के एक निजी होटल में हुए कार्यक्रम में जयपुर शहर सांसद रामचरण बौहरा और मॉरीशस के उच्च अधिकारी मौजूद रहे. डॉ. अतुल गुप्ता की ओर से मॉरीशस में स्टीविया को लेकर शुरू किए पायलट प्रोजेक्ट ने आज एक विशाल रूप ले लिया है. वहां की पूरी आबादी का 60 प्रतिशत अपने घरों में स्टीविया पौधा लगाकर उसका उपयोग कर रहा है. स्टीविया के उपयोग से मॉरीशस ने डायबिटीज बीमारी को एक बड़े स्तर पर कंट्रोल करने में सफलता हासिल की. जिसका श्रेय डॉक्टर अतुल गुप्ता के योगदान को जाता है.
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दरसअल मॉरीशस के 'एसोसिएशन फॉर द एजुकेशन ऑफ डिसएडवांटेजेस चिल्ड्रन' की डायरेक्टर डॉ. अनुराधा पूरण ने वर्ष 2011 में भारत का दौरा किया. मॉरीशस में डायबिटीज एक बड़ी बीमारी थी और डॉ. पूरण इसकी रोकथाम की दिशा में कार्य कर रहीं थी. इंटरनेट पर सर्च करते करते उन्हें डॉ. अतुल गुप्ता के बारे में जानकारी मिली. भारत दौरे पर आने के बाद उन्हें डॉ. अतुल गुप्ता से हर्बल उत्पादों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिली.
भारत से मॉरीशस लौट कर डॉ. अनुराधा ने अपने अनुभवों और स्टीविया से जुड़ी जानकारियां अपने देश के कृषि म़ंत्रालय विभाग के अधिकारियों और अन्य एक्सपर्ट्स से साझा की. मॉरीशस सरकार ने डॉ. अतुल गुप्ता को अपने देश आने का न्यौता दिया. डॉ. अतुल गुप्ता ने मॉरिशस का दौरा कर वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को देखा और अलग-अलग जिलों में जाकर किसानों से मिले. इसके बाद मॉरीशस में स्टीविया खेती का सफर शुरू हुआ जो आज तक जारी है.
मधुमेह रोग के मामले में विश्व के टॉप 3 देशों में शुमार मॉरिशस ने इसकी रोकथाम को लेकर सकारात्मक प्रयास किए और इसी का नतीजा है कि आज बड़े स्तर पर डायबिटीज पर कंट्रोल किया जा चुका है. करीब 1.4 मिलियन आबादी वाले मॉरिशस में एक बड़ा प्रतिशत डायबिटीज से पीड़ित था. लेकिन धीरे-धीरे इसमें कमी देखने को मिल रही है. डायबिटीज कंट्रोल करने की दिशा में वहां के नागरिक भी काफ़ी जागरूक हो चुके हैं.
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खाने पीने की चीजों में बढ़ा स्टीविया का इस्तेमाल: डॉ. अनुराधा ने बताया कि स्टीविया उत्पादन और इसके इस्तेमाल के बेहतर परिणाम सामने आए हैं. अब इसका उपयोग होटल, बेकरी और अन्य फूड प्रोडक्ट से जुड़े सेक्टर में किया जा रहा है. चाय, कॉफी, मिठाइयां और खाने-पीने के उत्पादों में स्टीविया का इस्तेमाल अपेक्षा से ज्यादा बढ़ा है. खासकर युवा वर्ग अपनी सेहत को लेकर ध्यान केन्द्रित कर रहा है और डायबिटीज कंट्रोल करने में अपनी भूमिका निभाने को लेकर एक्टिव है.
साल 2011 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्टीविया उत्पादन की हुई शुरुआत: डॉ. अतुल गुप्ता के अनुभवों का फायदा दिलाने की दिशा में मॉरीशस सरकार ने 2011 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्टीविया उत्पादन की शुरूआत की थी. डॉ. अतुल गुप्ता की ओर से भेजे गए 10 हजार पौधों से मॉरिशस में स्टीविया खेती की शुरूआत हुई. धीरे-धीरे यह संख्या 30 हजार पौधों तक पहुंची और वर्तमान में करीब एक लाख पौधे लगाए जा चुके हैं. यह सिलसिला आज भी जारी है. मॉरिशस में स्टीविया खेती से करीब 3 हजार किसान जुड़े हैं, जो अपनी आमदनी के साथ-साथ लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में भी अपना योगदान दे रहे हैं. राजस्थान और देश में जैविक खेती के प्रति जागरूकता फैला रहे डॉ. अतुल गुप्ता राजस्थान मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड के मेंबर हैं.
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भारत में यह है स्थिति: भारत में 20 से 70 वर्ष के उम्र के लोगों में डायबिटीज मरीजों की संख्या 2021 में 74.2 मिलियन थी और वर्ष 2045 में यह संख्या बढ़कर 124.8 मिलियन तक पहुंच सकती है. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने 3 दिसंबर 2021 को लोकसभा में इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की डायबिटीज एटलस 2021 के आंकड़ों को साझा करते हुए यह जानकारी दी. आईडीएफ डायबिटीज एटलस टेंथ एडिशन 2021, दुनिया भर में डायबिटीज से जुड़े आंकडेंन उपलब्ध कराता है.
इसके अनुसार प्रत्येक दो में से एक यानी करीब 240 मिलियन डायबिटीक व्यस्क अनडायगनोस्ड हैं. 6.7 मिलियन मौतें डायबिटीज के कारण होती हैं. डायबिटीज के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में 966 बिलियन डॉलर्स का व्यय हुआ. 1.2 मिलियन से ज्यादा बच्चे और किशोर टाईप 1 डायबिटीज के साथ जी रहे हैं. गर्भावस्था के दौरान प्रत्येक 6 में से 1 यानी 21 मिलियन प्रसव डायबिटीज से प्रभावित हैं. 541 मिलियन व्यस्क का जीवन बढ़ते टाईप 2 डायबिटीज के बड़े जोखिम स्तर पर है।