जयपुर. पतंजलि की ओर से हाल ही में कोरोनिल नाम की एक दवा लांच की गई थी, जिसे लेकर ये दावा किया गया था कि यह कोरोना वायरस के इलाज में कारगर साबित होगी. वहीं, इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल जयपुर की निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी में किया गया था, जिसे लेकर काफी हंगामा भी हुआ था.
इस मामले को लेकर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने यह भी कहा था कि यदि यह दवा प्रदेश में बिकती दिखाई दी, तो बाबा रामदेव जेल में होंगे और वहीं निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है. दरअसल निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी ने इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल की बात कही थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से जवाब मांगा है और कहा है कि आखिर किसकी अनुमति से मरीजों पर यह क्लिनिकल ट्रायल किया गया.
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इस मामले को लेकर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने यह भी कहा है कि फिलहाल मामले की पूरी जांच की जा रही है और जैसे ही जांच रिपोर्ट प्राप्त होगी उसके अनुसार ही किसी तरह की कार्रवाई NIMS प्रशासन पर की जाएगी. वहीं, प्रशासन ने यह भी दावा किया था कि उन्होंने अनुमति लेकर ही यह क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया था. जिसकी जानकारी उन्होंने चिकित्सा विभाग और आयुष मंत्रालय को भी दी थी.
NIMS चेयरमैन का दावा- झूठ बोल रहा आयुष मंत्रालय
लॉन्च के बाद ही विवादों में आई पतंजलि की कोरोनिल दवा को लेकर NIMS के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर ने दावा किया है कि आयुष मंत्रालय को इसकी जानकारी पहले से थी. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया और उसके क्या नतीजे निकले.
निम्स मेडिकल यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉक्टर बीएस तोमर ने कहा कि हमने गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा सहित अन्य आयुर्वेदिक दवाएं सिर्फ पतंजलि से ली थी और जिस का ट्रायल करीब 100 मरीजों पर किया गया. जिसे लेकर उन्होंने दावा किया कि इन 100 मरीजों में से 35 मरीज की रिकवरी काफी तेज थी और बाकी 65 मरीज भी ठीक हो गए.