जयपुर. प्रदेश में राजस्व मामलों के निपटारों के लिए सरकारों की ओर से कई अभियान चलाए जाते हैं, इसके बावजूद भी राजस्व मामलों की लाखों की संख्या में बकाया मामले सरकार के इन दावों की पोल खोल रहे हैं. राजस्व मामलों के ये केस सालों तक चलते हैं. बता दें कि पूरे प्रदेश में 4 लाख 63 हजार राजस्व प्रकरण बकाया चल रहा है.
प्रदेश में एसडीएम कोर्ट न्याय देने के मामले में सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित हो रहा है. एसडीएम कोर्ट में राजस्व प्रकरण के सबसे ज्यादा प्रकरण बकाया है और इसके कारण लोग यहां न्याय की आस में भटकते रहते हैं. अदालतों में राजस्व से संबंधित करीब 4 लाख 63 हजार मामलों की पेंडेंसी चल रही है. वहीं, एसडीएम कोर्ट की बात की जाए तो इनमें 2 लाख 69 हजार मुकदमे लंबित है. इसके अलावा राजस्व मंडल में 63 हजार मुकदमे बकाया चल रहे हैं.
पढ़ें- जिले का पूरा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन, 33 वें स्थान से पहले पायदान पर आया जयपुर
वहीं, राजस्व अधीनस्थ अदालतों में लंबित मुकदमे 4 लाख 305, उपखंड अधिकारी कोर्ट में 2 लाख 69 हजार प्रकरण लंबित है. सहायक कलेक्टर (एसीएम) कोर्ट में 50 हजार, आरएए कोर्ट में 20 हजार 164, एडीएम कोर्ट में 17 हजार 182, जिला कलेक्टर कोर्ट में 12063, संभागीय आयुक्त न्यायालय में 5 हजार 500 और अतिरिक्त संभागीय आयुक्त न्यायालय में 1900 मुकदमें लंबित चल रहे हैं.
इसी तरह तहसील में 7 हजार 424, नायब तहसीलदार में 3 हजार 952 और कॉलोनाइजेशन में 1 हजार 490 मुकदमें लंबित हैं. राजस्व मंडल में टीनेंसी एक्ट के 35 हजार 558, एलआर एक्ट के 24 हजार, कॉलोनाइजेशन के 1 हजार 966, सीलिंग के 875, डायरेक्टर लैंड रिकॉर्ड के 38, पब्लिक डिमांड रिकवरी के 77, एससी एक्ट के 22, जमीदारी बिसवेदारी एक्ट के 6, जागीरदारी एबोलोशन एक्ट के तहत 30, फारेस्ट एक्ट के 14 और 2018 में दर्ज हुआ राजस्थान धार्मिक स्थल एक्ट का एक मुकदमा लंबित चल रहा है.
विभाग में पद भी हैं खाली
राजस्व मंडल में सदस्यों की कुल संख्या 20 है. इनमें से 10 पद रिक्त हैं. 5 आईएएस कोटे, 11 आरएएस कोटे, 2 न्यायिक कोटे और अधिवक्ता कोटे के 2 पद खाली हैं. इनमें आईएस कोटे के 2 पद रिक्त चल रहे हैं , आरएएस कोटे के 6 पद रिक्त हैं, जबकि वकील कोटा पूरा खाली पड़ा है. पदों के रिक्त होने से भी लोग चक्कर काटने को मजबूर है और उन्हें न्याय मिलने में देरी हो रही है.
सदस्यों की संख्या को देखते हुए मंडल में नए कोर्ट भी बनाए गए थे, लेकिन उसका उपयोग भी नहीं हो पा रहा है. मामलों के जल्द निपटारे के लिए जयपुर में वर्कशॉप का आयोजन भी हुआ था, जिसमें मामलों के जल्द निपटारे के लिए कर्मचारियों को कहा गया था. अधिकारी भी रोजाना कानून व्यवस्था और प्रोटोकॉल अदालतों में रिट के साथ ही दूसरे कारणों से नियमित सुनवाई नहीं कर पा रहे है.