जयपुर. प्रदेश में मिसिंग टाइगर्स को लेकर एक बार फिर से वन महकमा कठघरे में आ गया है. लगातार गायब हो रहे बाघों को लेकर वन विभाग मौन नजर आ रहा है. एक दशक से लापता बाघों का अभी तक कोई पता नहीं चला. आखिरकार लापता बाघ कहां गए, कहीं शिकार तो नहीं हो गए. एक दशक में एक-एक करके 30 बाघ लापता हो गए.
एक गोपनीय रिपोर्ट से सामने आया था कि रणथंभौर में करीब 25 बाघ लापता हैं. जिनमें से कुछ के मरने या मारे जाने की संभावना हो सकती है. राजस्थान में सरिस्का, रणथंभौर और मुकुंदरा तीन टाइगर रिजर्व हैं. टाइगर रिजर्व में काफी संख्या में दूरदराज से पर्यटक घूमने आते हैं, जिससे सरकार को भी राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन इसी तरह धीरे-धीरे बाघ खत्म हो जाएंगे तो पर्यटकों को दिखाने के लिए क्या रह जाएगा.
टूरिज्म से हो रही इनकम के आगे बाघों की सुरक्षा फीकी पड़ती नजर आ रही है. मिसिंग बाघो को लेकर हमेशा सवाल खड़े होते हैं लेकिन कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है. विभाग भी इस मामले को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. वन अभयारण्यों में शिकारियों की गतिविधियां भी तेज हो रही हैं. ऐसे में कई बाघों के शिकार होने की भी संभावनाएं जताई जा रही है. हाल ही में रणथंभौर में टाइगर टी-108 के गले में तार का फंदा भी पाया गया था. इससे भी अनुमान लगाया जा रहा है कि एक बार फिर से शिकारी सक्रिय हो रहे हैं.
टाइगर के फंदा मिलने के बाद अब वन विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है. सभी वन अभ्यारण, टाइगर रिजर्व और वन संरक्षित क्षेत्रों में सघन निगरानी के निर्देश दिए गए हैं. वन विभाग के फील्ड अधिकारियों और कर्मचारियों का अवकाश भी रद्द कर दिया गया है.
पिछले 10 सालों से मिसिंग टाइगर
- सरिस्का से कुछ वर्ष पहले एसटी-5 बाघिन लापता हुई थी, जिसका शिकारियों ने शिकार किया था
- उम्रदराज़ बाघिन टी-14 दिसंबर 2010 से रणथंभौर से लापता है
- बाघिन टी-17 सुंदरी मार्च 2013 से रणथंभौर से लापता है
- रेडियो कॉलर टी-21 बाघ रणथंभौर से 2010 से लापता है
- टी- 22 नागडी फीमेल 2015 से रणथंभौर से लापता है
- टी- 26 खातोला फीमेल 2015 से रणथंभौर से लापता है
- टी-27 गिलासागर फीमेल 2010 से रणथंभौर से लापता है
- टी-29 मंडूप मेल बाघ वर्ष 2010 से रणथंभौर से लापता है
- टी- 31 इंडाला फीमेल वर्ष 2013 से रणथंभौर से लापता है
- टी- 40 बेरधा नर शावक 2010 से रणथंभौर से लापता है
- टी- 42 फतेह पिछले कुछ समय से रणथंभौर से लापता है
- टी-43 भैरोंपुरा मेल 2015 से रणथंभौर से लापता है
- टी-47 मोहन कुछ समय पहले से रणथंभौर से लापता है
- टी-49 शावक वर्ष 2011 से रणथंभौर से लापता
- टी-50 शावक वर्ष 2011 से रणथंभौर से लापता
- टी-53 किला खंडार फीमेल 2014 से रणथंभौर से लापता
- टी- 55 भीड़ नर बाघ वर्ष 2014 से रणथंभौर से लापता
- टी- 67 दर्रा फीमेल शावक 2013 से रणथंभौर से लापता
- टी- 68 दर्रा नर शावक 2013 से रणथंभौर से लापता
- टी-70 गिलासागर फीमेल शावक नम्बर 2 रणथंभौर से 2014 से लापता
- टी- 71 रणथंभौर से लापता
- टी- 76 चिरौली टी 41 का शावक वर्ष 2014 से रणथंभौर से लापता
- टी-88 कालिया बाघ झूमरबावड़ी रणथंभौर से लापता
- टी-90 फीमेल शावक टी-30 की रणथंभौर से मां की मौत के बाद से लापता
- टी-39 नूर के दो नर शावक कालू और धोलू रणथंभौर से लापता
- टी- 92 रणथंभौर से लापता
- एमटी-1 नर बाघ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व से लापता
- एमटी-2 का एक शावक मुकुंदरा से लापता
- एमटी-4 का एक शावक मुकुंदरा से लापता (एमटी-4 का एक शावक कैमरा ट्रैप में आ गया था, जबकि ग्रामीण इसके 2 शावक बता रहे थे)
रणथंभौर, मुकुंदरा और सरिस्का तीनों टाइगर रिज़र्व से लापता बाघों का अभी तक वन विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं आ पाया. मिसिंग टाइगर्स के मामले को लेकर वन विभाग लीपापोती करने में लगा है. वन्यजीव प्रेमी और वन्यजीव विशेषज्ञ मिसिंग टाइगर्स को लेकर वन विभाग पर कई सवाल खड़े कर रहे हैं. राजस्थान में बाघों की वर्तमान हालात को देखते हुए कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे पहला सवाल टाइगर मॉनिटरिंग पर खड़ा होता है. वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि टाइगर की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम होने चाहिए. साथ ही नए टाइगर रिजर्व भी घोषित होने चाहिए.
बाघों को लेकर वन विभाग पर यह सवाल उठ रहे हैं
- जब सभी टाइगर रिजर्व में बेहतरीन टाइगर मॉनिटरिंग और ट्रेकिंग का हवाला दिया जाता है तो इतने बाघ गायब कैसे हो गए
- क्या करोड़ों रुपए का एन्टी पोचिंग और सर्विलांस सिस्टम फेल हो गया
- क्या कैमरा ट्रैप मॉनिटरिंग भी कारगर सिद्ध नहीं हो रही
- क्या टाइगर प्रोटेक्टक्शन फोर्स के गठन में कोई कमी रह गई
- क्या अधिकारियों का पूरा फोकस टूरिज्म पर है, टाइगर की सुरक्षा पर नहीं
- क्या बाघ को लापता बता कर इतिश्री कर ली जाती है और उसे ढूंढने के प्रयासों को ताक पर रख दिया जाता है
- टाइगर्स की मौत और लापता होने की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती
- क्यों नहीं स्टेट वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो का गठन किया जाता है
- क्यों नहीं एडवाइजरी कमेटी में वन्यजीव मामलों के जानकार एवं अनुभवी लोगों को जगह नहीं दी जाती
- क्यों 33 जिलों में मानद वन्यजीव प्रतिपालकों की नियुक्तियां बीते सात वर्षों से नहीं की गई, जबकि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्टक्शन एक्ट में इसका प्रावधान है
- क्यों नहीं कुंभलगढ़, रामगढ़, विषधारी और धौलपुर में नए टाइगर रिज़र्व की स्थापना की जाती है ? कुंभलगढ़ की फाइल सीएमओ तक पहुंचने पर भी इसे आगे क्यों नहीं बढ़ाया जाता है
- अहम सवाल क्या अधिकारी किसी राजनीतिक अथवा तथाकथित होटल या माइनिंग लॉबी के दबाव में काम कर रहे हैं
कुछ दिन पहले भी टाइगर के गले में शिकारियों का फंदा मिला था, शिकारियों की करतूत सामने आई थी, टाइगर रिजर्व के अंदर विस्फोटक सामग्री से एक मवेशी का गला फट गया था. मवेशी की जगह अगर टाइगर होता तो उसका भी यही हाल होता. रेड अलर्ट जारी होने के बाद भी जंगलों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाए. वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि इसके लिए वन विभाग को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया जाए ताकी वन और वन्यजीवों की सुरक्षा हो सके.