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भावुक हुए पूनिया, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद पर पूरे किए 3 साल...ट्विटर पर जताया आभार

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर डॉ सतीश पूनिया के 3 वर्ष पूरे हो गए (3 years of Satish Poonia) हैं. इस अवधि के अपने संस्मरणों को उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया. बुधवार देर रात पूनिया ने लंबी चौड़ी भावुक पोस्ट ट्विटर पर डाली.

3 years of Satish Poonia as BJP state President
भावुक हुए पूनिया
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Published : Sep 15, 2022, 10:45 AM IST

जयपुर. पोस्ट में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने सबका आभार जताया (BJP state President Emotional tweet). फिर लंबी से पोस्ट चस्पा की. इसमें उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षा और फ्यूचर प्लानिंग का संकेत दिया. लिखा कि जैसा प्रचारित किया जाता है वैसी मेरी मंशा नहीं और महत्वाकांक्षा भी नहीं. हां, ये मंशा जरूर है कि अध्यक्ष का दायित्व निर्माण करने में इस प्रकार निरत रहूं कि राजस्थान में पार्टी दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा हासिल करे.

देर रात पूनिया ने (Satish Poonia as BJP state President) संगठन में बिताए 35 साल के अच्छे बुरे सभी पलों को पोस्ट के जरिए साझा किया. तीन पन्नों की खुली चिट्ठी में छात्र जीवन से लेकर प्रदेशाध्यक्ष के संघर्ष, उपलब्धियों को शब्दों में पिरोने की कोशिश की. हरिवंश राय बच्चन की कविता के जरिए अपने बीते हुए दिनों को समेटने का प्रयास भी किया. अंत में लिखा राजनीति और राजनीति की बातें 'हरि अनंत हरि कथा अनंता' है. पूनिया की ये पोस्ट भाजपा के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुकी है.

उप चुनाव में हार को बताया निराशाजनक: पूनिया ने उप चुनावों में भाजपा की हार को निराश करने वाला बताया. माना कि उस वक्त कुछ रणनीतिक कमजोरी रह गई थी. लेकिन उसे फिर पंचायत इलेक्शन में अच्छे प्रदर्शन के बल पर पूरा करने का दम भी भरा. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार जताया.

आपको बता दें कि सतीश पूनिया का मनोनयन 3 साल पहले 14 सितंबर 2019 को किया गया था. जून 2019 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के आकस्मिक निधन के बाद पूनिया को ये जिम्मेदारी मिली थी सैनी के निधन के करीब ढाई महीने बाद उनकी नियुक्ति हुई थी. वही प्रदेशाध्यक्ष पद पर उनका निर्वाचन दिसंबर 2019 को हुआ था.

पढ़ें-भारत जोड़ो यात्रा के बजाय बेहतर होता राहुल अपनी पार्टी को जोड़ लेते: सतीश पूनिया

उपचुनाव में भाजपा को मिली थी करारी शिकस्त: पूनिया के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए उनमें पार्टी को एकमात्र सीट राजसमंद में ही जीत मिली सबसे पहले मंडावा उपचुनाव में पार्टी ने हार का मुंह देखा उसके बाद सुजानगढ़ और मांडलगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस अपनी सीटों पर कब्जा बरकरार रखने पर कामयाब रही और जीत का अंतर भी काफी बढ़ा रहा वही धरियावाद में भाजपा प्रत्याशी उपचुनाव में तीसरे स्थान पर रहा इसी तरह वल्लभनगर सीट पर तो उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई थी.

निकाय चुनाव और पंचायती राज चुनाव में भाजपा की स्थिति पहले के प्रदर्शनों की तुलना में कुछ बेहतर रही वही संगठनात्मक रूप से यदि बात की जाए तो सतीश पूनिया के पास कमान जाने के बाद संगठन पहले से ज्यादा मजबूत दिखा.

ये भी पढ़ें-Rajasthan Politics: पूनिया, शेखावत और चौधरी की सियासी यात्रा पर क्यों लगा ब्रेक, ये बताई जा रही वजह

पूनिया के भविष्य पर होना है निर्णय: हाल ही में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के प्रभारियों के दायित्व में बदलाव किया लेकिन राजस्थान में अरुण सिंह को बतौर प्रदेश प्रभारी यथावत रखा गया. अरुण सिंह की गुड बुक में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया आते हैं. सियासी गलियारों में ये भी चर्चा है कि जब प्रदेश प्रभारी को चुनावी वर्ष से ठीक पहले यथावत रखा गया तो संभवत प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बदलाव न हो.

वहीं राजस्थान भाजपा नेताओं से जुड़े एक अलग धड़े में जल्द ही पूनिया के बदलाव की चर्चाएं जोर पकड़ रही है. हालांकि अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान को लेना है और फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष पद पर पूनिया अपना काम कर रहे हैं.

जयपुर. पोस्ट में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने सबका आभार जताया (BJP state President Emotional tweet). फिर लंबी से पोस्ट चस्पा की. इसमें उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षा और फ्यूचर प्लानिंग का संकेत दिया. लिखा कि जैसा प्रचारित किया जाता है वैसी मेरी मंशा नहीं और महत्वाकांक्षा भी नहीं. हां, ये मंशा जरूर है कि अध्यक्ष का दायित्व निर्माण करने में इस प्रकार निरत रहूं कि राजस्थान में पार्टी दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा हासिल करे.

देर रात पूनिया ने (Satish Poonia as BJP state President) संगठन में बिताए 35 साल के अच्छे बुरे सभी पलों को पोस्ट के जरिए साझा किया. तीन पन्नों की खुली चिट्ठी में छात्र जीवन से लेकर प्रदेशाध्यक्ष के संघर्ष, उपलब्धियों को शब्दों में पिरोने की कोशिश की. हरिवंश राय बच्चन की कविता के जरिए अपने बीते हुए दिनों को समेटने का प्रयास भी किया. अंत में लिखा राजनीति और राजनीति की बातें 'हरि अनंत हरि कथा अनंता' है. पूनिया की ये पोस्ट भाजपा के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुकी है.

उप चुनाव में हार को बताया निराशाजनक: पूनिया ने उप चुनावों में भाजपा की हार को निराश करने वाला बताया. माना कि उस वक्त कुछ रणनीतिक कमजोरी रह गई थी. लेकिन उसे फिर पंचायत इलेक्शन में अच्छे प्रदर्शन के बल पर पूरा करने का दम भी भरा. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार जताया.

आपको बता दें कि सतीश पूनिया का मनोनयन 3 साल पहले 14 सितंबर 2019 को किया गया था. जून 2019 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के आकस्मिक निधन के बाद पूनिया को ये जिम्मेदारी मिली थी सैनी के निधन के करीब ढाई महीने बाद उनकी नियुक्ति हुई थी. वही प्रदेशाध्यक्ष पद पर उनका निर्वाचन दिसंबर 2019 को हुआ था.

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उपचुनाव में भाजपा को मिली थी करारी शिकस्त: पूनिया के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए उनमें पार्टी को एकमात्र सीट राजसमंद में ही जीत मिली सबसे पहले मंडावा उपचुनाव में पार्टी ने हार का मुंह देखा उसके बाद सुजानगढ़ और मांडलगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस अपनी सीटों पर कब्जा बरकरार रखने पर कामयाब रही और जीत का अंतर भी काफी बढ़ा रहा वही धरियावाद में भाजपा प्रत्याशी उपचुनाव में तीसरे स्थान पर रहा इसी तरह वल्लभनगर सीट पर तो उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई थी.

निकाय चुनाव और पंचायती राज चुनाव में भाजपा की स्थिति पहले के प्रदर्शनों की तुलना में कुछ बेहतर रही वही संगठनात्मक रूप से यदि बात की जाए तो सतीश पूनिया के पास कमान जाने के बाद संगठन पहले से ज्यादा मजबूत दिखा.

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पूनिया के भविष्य पर होना है निर्णय: हाल ही में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के प्रभारियों के दायित्व में बदलाव किया लेकिन राजस्थान में अरुण सिंह को बतौर प्रदेश प्रभारी यथावत रखा गया. अरुण सिंह की गुड बुक में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया आते हैं. सियासी गलियारों में ये भी चर्चा है कि जब प्रदेश प्रभारी को चुनावी वर्ष से ठीक पहले यथावत रखा गया तो संभवत प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बदलाव न हो.

वहीं राजस्थान भाजपा नेताओं से जुड़े एक अलग धड़े में जल्द ही पूनिया के बदलाव की चर्चाएं जोर पकड़ रही है. हालांकि अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान को लेना है और फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष पद पर पूनिया अपना काम कर रहे हैं.

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