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डोटासरा की टीम के 25 सदस्य अबतक PCC या AICC सदस्य नहीं, राष्ट्रीय कांग्रेस के चुनाव हुए तो नहीं कर सकेंगे वोटिंग

बीते साल जुलाई में आए सियासी तूफान के साढ़े 11 महीने बीत जाने के बाद भी राजस्थान कांग्रेस का संगठन तैयार नहीं हो सका है. कांग्रेस संगठन के 39 जिला अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी, 400 ब्लॉक अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी, प्रकोष्ठ, विभाग के साथ ही संगठन का एक ऐसा महत्वपूर्ण काम भी रूका हुआ है, जिसके नहीं होने से राजस्थान कांग्रेस के 40 में से 25 कांग्रेस पदाधिकारी वोट देने में भी सक्षम नहीं होंगे.

Rajasthan Congress,  Rajasthan political news
राष्ट्रीय कांग्रेस के चुनाव हुए तो नहीं कर सकेंगे वोटिंग
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Published : Jul 5, 2021, 11:09 PM IST

Updated : Jul 5, 2021, 11:29 PM IST

जयपुर. गोविंद डोटासरा के अध्यक्ष बनने के साढ़े ग्यारह महीने बाद भी एआईसीसी ने नए पीसीसी सदस्य नहीं बनाए हैं. ऐसे में अगर चुनाव होते हैं तो सिर्फ 15 पदाधिकारी ही वोट कर सकेंगे बाकी बचे 25 पदाधिकारी वोट से महरूम रह जाएंगे

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में AICC और PCC सदस्य ही करते हैं मतदान

अब जब भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होंगे और एक से ज्यादा प्रत्याशी चुनाव प्रक्रिया में शामिल हुए तो मतदान होगा. मतदान में प्रदेश कांग्रेस के सदस्य और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भाग लेंगे. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष समेत 40 पदाधिकारियों में से 25 पदाधिकारी मतदान नहीं कर सकेंगे.

पढ़ें- राज्य निर्वाचन आयोग ने 9 जिलों में नगर निकाय उपचुनाव कार्यक्रम किया जारी...मंत्रिमंडल विस्तार फिर अधरझूल

क्या कहता है नियम

नियम यह कि प्रदेश कांग्रेस सदस्यों या ऑल इंडिया कांग्रेस सदस्यों में से पदाधिकारी ही बनते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो तो पदाधिकारियों को पीसीसी सदस्य बनाया जाता है.

राष्ट्रीय कांग्रेस के चुनाव हुए तो नहीं कर सकेंगे वोटिंग

वैसे तो कांग्रेस पार्टी में नियम यह है कि अगर किसी नेता को कांग्रेस का पदाधिकारी बनाया जाता है तो उसका प्रदेश कांग्रेस सदस्य या ऑल इंडिया कांग्रेस समिति का सदस्य होना जरूरी होता है. हालांकि इस नियम में अध्यक्ष शिथिलता ले लेते हैं, लेकिन पदाधिकारी बनने के बाद अगर कोई पदाधिकारी प्रदेश कांग्रेस का सदस्य नहीं है तो उसे पीसीसी मेंबर बना दिया जाता है.

डोटासरा ने साढ़े 11 महीनों में भी पीसीसी सदस्य नहीं बनाए

जब भी किसी प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष बनता है तो उसके साथ प्रदेश कांग्रेस के सदस्य भी नए बनते हैं. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश अध्यक्ष ने अपना 3 साल का कार्यकाल पूरा किया हो. अगर 3 साल के कार्यकाल पूरा किए बगैर कोई अध्यक्ष अपने पद से हटता है तो जब तक पुराने अध्यक्ष का कार्यकाल बाकी होता है, तब तक प्रदेश कांग्रेस सदस्य नहीं बदले जाते.

डोटासरा की कार्यकारिणी में 25 पदाधिकारी नहीं हैं पीसीसी या एआईसीसी मेम्बर

गोविंद डोटासरा को 14 जुलाई 2020 को राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. यानी अब करीब-करीब 1 साल का समय पूरा हो चुका है. शुरुआती 6 महीने में तो प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कार्यकारिणी का भी गठन नहीं कर सके. जब कार्यकारिणी का गठन हुआ तो उनकी 39 की कार्यकारिणी में से 25 सदस्य प्रदेश कांग्रेस के सदस्य या एआईसीसी के सदस्य नहीं थे. इनमें सात उपाध्यक्षों में से एक उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी पीसीसी सहव्रत सदस्य हैं, जिन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होता. 8 महामंत्रियों में से विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ,विधायक राकेश पारीक और विधायक लाखन मीणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य नहीं हैं. हालांकि लाखन मीणा बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक हैं. लेकिन बाकी दो विधायक पुराने कांग्रेसी हैं.

सचिवों की बात की जाए तो गोविंद डोटासरा की कार्यकारिणी में 24 सदस्य हैं. इनमें से केवल प्रशांत सहदेव शर्मा और राजेंद्र मुंड ही दो सचिव हैं, जो प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य हैं. बाकी बचे 22 सदस्य ना प्रदेश कांग्रेस के और ना ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं.

यह 25 पदाधिकारी नहीं हैं पीसीसी या एआईसीसी के सदस्य

पीसीसी उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सहव्रत सदस्य हैं. इनके अलावा पीसीसी महासचिव विधायक वेद प्रकाश सोलंकी, विधायक लखन मीणा, विधायक राकेश पारीक प्रदेश कांग्रेस कमेटी या एआईसीसी के सदस्य नहीं हैं. सचिवों में भूराराम सीरवी ,देशराज मीणा, गजेंद्र सिंह सांखला, जसवंत गुर्जर, जियाउर रहमान, ललित तूनवाल, ललित यादव, महेंद्र सिंह खेड़ी, महेंद्र सिंह गुर्जर, मुकेश वर्मा, निंबाराम गरासिया, फूल सिंह ओला, प्रतिष्ठा यादव ,पुष्पेंद्र भारद्वाज, राजेंद्र यादव ,राखी गौतम, रामसिंह कस्वा, रवि पटेल, सचिन सरवटे, शोभा सोलंकी ,सरवन पटेल और विशाल जांगिड़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी या ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी दोनों में से किसी के सदस्य नहीं हैं.

कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव

कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का आखिरी बार चुनाव साल 2000 में हुआ था. सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद ने चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट ने भी जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया था. हालांकि जीत सोनिया गांधी की हुई थी.

जब 1997 में पायलट ने ठोकी थी ताल...

इससे पहले साल 1997 में हुए चुनाव में भी सीताराम केसरी के सामने सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट ने चुनाव में ताल ठोकी थी. हालांकि वह जीत नहीं दर्ज कर सके थे.

एक साल में तीन बार टाले गए चुनाव

अब एक बार फिर कहा जा रहा है कि राहुल गांधी चुनाव लड़ कर ही अध्यक्ष बनना चाहते हैं. कांग्रेस पार्टी ने कई बार चुनाव की तैयारी भी कर ली है. जनवरी महीने में तो ऑनलाइन वोटिंग के लिए पीसीसी मेंबर और एआईसीसी मेंबर के वोटिंग कार्ड बनने भी शुरू हो गए थे. लेकिन कोरोना के बढ़ते असर के चलते कांग्रेस पार्टी का चुनाव लगातार टलता जा रहा है.

एक साल में लगातार तीन बार कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव टाले गए हैं. अंतिम बार 23 जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों ने कोरोना की स्थितियों को देखते हुए चुनाव टाल दिए थे.

जयपुर. गोविंद डोटासरा के अध्यक्ष बनने के साढ़े ग्यारह महीने बाद भी एआईसीसी ने नए पीसीसी सदस्य नहीं बनाए हैं. ऐसे में अगर चुनाव होते हैं तो सिर्फ 15 पदाधिकारी ही वोट कर सकेंगे बाकी बचे 25 पदाधिकारी वोट से महरूम रह जाएंगे

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में AICC और PCC सदस्य ही करते हैं मतदान

अब जब भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होंगे और एक से ज्यादा प्रत्याशी चुनाव प्रक्रिया में शामिल हुए तो मतदान होगा. मतदान में प्रदेश कांग्रेस के सदस्य और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भाग लेंगे. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष समेत 40 पदाधिकारियों में से 25 पदाधिकारी मतदान नहीं कर सकेंगे.

पढ़ें- राज्य निर्वाचन आयोग ने 9 जिलों में नगर निकाय उपचुनाव कार्यक्रम किया जारी...मंत्रिमंडल विस्तार फिर अधरझूल

क्या कहता है नियम

नियम यह कि प्रदेश कांग्रेस सदस्यों या ऑल इंडिया कांग्रेस सदस्यों में से पदाधिकारी ही बनते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो तो पदाधिकारियों को पीसीसी सदस्य बनाया जाता है.

राष्ट्रीय कांग्रेस के चुनाव हुए तो नहीं कर सकेंगे वोटिंग

वैसे तो कांग्रेस पार्टी में नियम यह है कि अगर किसी नेता को कांग्रेस का पदाधिकारी बनाया जाता है तो उसका प्रदेश कांग्रेस सदस्य या ऑल इंडिया कांग्रेस समिति का सदस्य होना जरूरी होता है. हालांकि इस नियम में अध्यक्ष शिथिलता ले लेते हैं, लेकिन पदाधिकारी बनने के बाद अगर कोई पदाधिकारी प्रदेश कांग्रेस का सदस्य नहीं है तो उसे पीसीसी मेंबर बना दिया जाता है.

डोटासरा ने साढ़े 11 महीनों में भी पीसीसी सदस्य नहीं बनाए

जब भी किसी प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष बनता है तो उसके साथ प्रदेश कांग्रेस के सदस्य भी नए बनते हैं. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश अध्यक्ष ने अपना 3 साल का कार्यकाल पूरा किया हो. अगर 3 साल के कार्यकाल पूरा किए बगैर कोई अध्यक्ष अपने पद से हटता है तो जब तक पुराने अध्यक्ष का कार्यकाल बाकी होता है, तब तक प्रदेश कांग्रेस सदस्य नहीं बदले जाते.

डोटासरा की कार्यकारिणी में 25 पदाधिकारी नहीं हैं पीसीसी या एआईसीसी मेम्बर

गोविंद डोटासरा को 14 जुलाई 2020 को राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. यानी अब करीब-करीब 1 साल का समय पूरा हो चुका है. शुरुआती 6 महीने में तो प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कार्यकारिणी का भी गठन नहीं कर सके. जब कार्यकारिणी का गठन हुआ तो उनकी 39 की कार्यकारिणी में से 25 सदस्य प्रदेश कांग्रेस के सदस्य या एआईसीसी के सदस्य नहीं थे. इनमें सात उपाध्यक्षों में से एक उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी पीसीसी सहव्रत सदस्य हैं, जिन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होता. 8 महामंत्रियों में से विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ,विधायक राकेश पारीक और विधायक लाखन मीणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य नहीं हैं. हालांकि लाखन मीणा बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक हैं. लेकिन बाकी दो विधायक पुराने कांग्रेसी हैं.

सचिवों की बात की जाए तो गोविंद डोटासरा की कार्यकारिणी में 24 सदस्य हैं. इनमें से केवल प्रशांत सहदेव शर्मा और राजेंद्र मुंड ही दो सचिव हैं, जो प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य हैं. बाकी बचे 22 सदस्य ना प्रदेश कांग्रेस के और ना ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं.

यह 25 पदाधिकारी नहीं हैं पीसीसी या एआईसीसी के सदस्य

पीसीसी उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सहव्रत सदस्य हैं. इनके अलावा पीसीसी महासचिव विधायक वेद प्रकाश सोलंकी, विधायक लखन मीणा, विधायक राकेश पारीक प्रदेश कांग्रेस कमेटी या एआईसीसी के सदस्य नहीं हैं. सचिवों में भूराराम सीरवी ,देशराज मीणा, गजेंद्र सिंह सांखला, जसवंत गुर्जर, जियाउर रहमान, ललित तूनवाल, ललित यादव, महेंद्र सिंह खेड़ी, महेंद्र सिंह गुर्जर, मुकेश वर्मा, निंबाराम गरासिया, फूल सिंह ओला, प्रतिष्ठा यादव ,पुष्पेंद्र भारद्वाज, राजेंद्र यादव ,राखी गौतम, रामसिंह कस्वा, रवि पटेल, सचिन सरवटे, शोभा सोलंकी ,सरवन पटेल और विशाल जांगिड़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी या ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी दोनों में से किसी के सदस्य नहीं हैं.

कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव

कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का आखिरी बार चुनाव साल 2000 में हुआ था. सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद ने चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट ने भी जितेंद्र प्रसाद का साथ दिया था. हालांकि जीत सोनिया गांधी की हुई थी.

जब 1997 में पायलट ने ठोकी थी ताल...

इससे पहले साल 1997 में हुए चुनाव में भी सीताराम केसरी के सामने सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट ने चुनाव में ताल ठोकी थी. हालांकि वह जीत नहीं दर्ज कर सके थे.

एक साल में तीन बार टाले गए चुनाव

अब एक बार फिर कहा जा रहा है कि राहुल गांधी चुनाव लड़ कर ही अध्यक्ष बनना चाहते हैं. कांग्रेस पार्टी ने कई बार चुनाव की तैयारी भी कर ली है. जनवरी महीने में तो ऑनलाइन वोटिंग के लिए पीसीसी मेंबर और एआईसीसी मेंबर के वोटिंग कार्ड बनने भी शुरू हो गए थे. लेकिन कोरोना के बढ़ते असर के चलते कांग्रेस पार्टी का चुनाव लगातार टलता जा रहा है.

एक साल में लगातार तीन बार कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव टाले गए हैं. अंतिम बार 23 जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों ने कोरोना की स्थितियों को देखते हुए चुनाव टाल दिए थे.

Last Updated : Jul 5, 2021, 11:29 PM IST
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