जयपुर. राजस्थान में 18 से 44 वर्ष की आयु के लाभार्थियों को सरकार पेड वैक्सीनेशन कर रही है. लेकिन इसी बीच वैक्सीन की कमी का सामना भी राज्य सरकार को करना पड़ रहा है. इसके बाद सरकार की ओर से वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर करने की बात कही गई थी. लेकिन ग्लोबल टेंडर के माध्यम से भी वैक्सीन से जुड़ी समस्या हल होती नजर नहीं आ रही है तो ऐसे में अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.
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चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार ने तकरीबन 3000 करोड़ खर्च करके 18 प्लस लोगों को वैक्सीन लगाने का टारगेट रखा था. इसी बीच सरकार की ओर से वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर करने की भी तैयारी कर ली गई थी और तकरीबन 9 कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी भी दिखाई थी. वैक्सीन के लिए सिरम इंस्टीट्यूट को तकरीबन 47 करोड़ और भारत बायोटेक को तकरीबन 12 करोड़ का पेमेंट भी किया जा चुका है लेकिन इसके बावजूद भी जितनी वैक्सीन की आवश्यकता है उतनी वैक्सीन राज्य को नहीं मिल पा रही. ऐसे में 18 प्लस से जुड़े वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर भी राजस्थान में ब्रेक लग गया है.
रघु शर्मा ने कहा कि वैक्सीन की कमी को देखते हुए अब राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सोची है. माना जा रहा है कि 2 से 3 दिन में राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है. रघु शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ही अब आखिरी रास्ता सरकार के पास बचा है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही ग्लोबल टेंडर से जुड़ा मामला आगे बढ़ सकेगा. ग्लोबल टेंडर करना केंद्र सरकार का काम है. लेकिन केंद्र सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि देश की वैक्सीन उत्पादन करने वाली कंपनियां केंद्र सरकार को तो सस्ती दर पर वैक्सीन उपलब्ध करा रही हैं. लेकिन वही वैक्सीन राज्य सरकारों को महंगी दरों पर दे रही हैं.
राजस्थान में वैक्सीनेशन बंद
राजस्थान में 18 प्लस वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर ब्रेक लग गया है. वैक्सीन की कमी के चलते वैक्सीनेशन कार्यक्रम को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है. आंकड़ों की बात की जाए तो अब तक 18 से 44 वर्ष की आयु के तकरीबन 14 लाख 87 हजार 248 लाभार्थियों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. हालांकि बताया जा रहा है कि गुरुवार रात तक प्रदेश में 2.92 लाख कोवैक्सीन की पेड कैटेगरी की पहली खेप आएगी. इसके बाद शुक्रवार तक जिलों में इस वैक्सीन को पहुंचाने का काम चिकित्सा विभाग करेगा.