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Rape In Rajasthan: शर्मनाक! गहलोत सरकार बनने के बाद 15 से ज्यादा रेप Victims ने दी जान

NCRB के हालिया आंकड़ों ने राजस्थान में महिला उत्पीड़न के दर्द को कुरेद दिया है (Rape in Rajasthan). डाटा को लेकर अलग अलग तरह के विचार सामने आ रहे हैं. राजनैतिक छींटाकशी भी खूब हो रही है. इस बीच एक सच और भी है जो प्रदेश सरकार के दामन पर एक बड़ा गहरा धब्बा है वो रेप विक्टिम्स की आत्महत्या से जुड़ा है.

Suicide In Rajasthan
15 से ज्यादा रेप Victims ने की आत्महत्या
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Published : Sep 6, 2022, 12:05 PM IST

Updated : Sep 7, 2022, 8:17 AM IST

जयपुर. एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों ने राजस्थान की छवि को ठेस पहुंचाई है (NCRB on Rape in Rajasthan). दुष्कर्म के इस कलंक को सरकार मिटाने की जुगत में है (Rape in Rajasthan). तर्क एफआईआर अनिवार्य करने का दिया जा रहा है. आंकड़ों को बताने, छुपाने या फिर तर्क से सही ठहराने का खेल चल रहा है लेकिन एक मानवीय पहलू को नकारा नहीं जा सकता कि प्रदेश में दुष्कर्म शिकार को न्याय दिलाने और उन्हें संरक्षण देने में सरकार नाकाम रही है. आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में बदनामी के डर या फिर न्याय प्रक्रिया में सहयोग नहीं मिलने से हताश 15 से ज्यादा दुष्कर्म पीड़िताओं ने पिछले 3 से 4 सालों में खुदकुशी कर ली.

सरकार ने स्वीकारा सच: पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने सवाल पूछा था कि 2019 से लेकर 2021 तक बलात्कार और गैंगरेप की घटना के मामलों में कितनी महिलाओं ने बदनामी के डर या अन्य कारणों से आत्महत्या की. सरकार के गृह विभाग की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया कि 2019 , 2020 और 2021 में बलात्कार और गैंगरेप पीड़ितों में से 15 ने आत्महत्या की. खास बात ये है कि अलवर जिला जहां पर सबसे ज्यादा दुष्कर्म के मामले को लेकर सवाल उठते रहे, उस जिले में करीब आधा दर्जन दुष्कर्म पीड़ितों ने खुदकुशी की.

खुदकुशी संख्या पर एक नजर:

जिला संख्या
अलवर7
जयपुर2
सीकर2
झुंझुनू 1
बीकानेर1
दौसा 1
भीलवाड़ा1

समाज का ताना बाना जिम्मेदार- सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू दो पहलूओं की बात करती हैं. कहती हैं- इसमें दो तरह का सिस्टम है , एक तो यह कि कानूनी प्रक्रिया है न्याय time-bound यानी समय पाबंद नहीं है. पीड़ितों को न्याय के लिए भटकना पड़ता है इसलिए वह कई बार हताश निराश होकर जान देती हैं. दूसरा हमारा सामाजिक ताना-बाना. जिन महिलाओं को कोई अपराध नहीं है और जिनके साथ घटना हुई है समाज उनको ही हीन भावना से देखता है. समाज मे सिर उठा कर जीने की इजाजत नहीं देता . उनके ऊपर टीका टिप्पणी होती है. इसकी वजह से वो सुसाइड जैसा घातक कदम उठाती हैं. निशा के मुताबिक राजस्थान के अंदर उनको मजबूत संबल देने के लिए जो परामर्श , काउंसलिंग की सुविधाएं बालिका और महिलाओं को दी जानी चाहिए वो नही मिल रही है. अगर समय पर परामर्श मिले तो वह अपना जीवन अच्छे से जी सकती हैं. उन्होंने कहा कि समाज का नजरिया भी स्वस्थ होना चाहिए ताकि महिलाएं इस तरह से अपने आपको Guilty फील न करें और सुसाइड जैसा कदम नहीं उठाएं .

15 से ज्यादा रेप Victims ने की आत्महत्या

पढ़ें-Rape in Rajasthan: सीएम गहलोत बोले- रेप करने कोई विदेश से नहीं आता, 56 परसेन्ट महिलाओं का भी लिया नाम!

आयोग की अपील- राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज ने कहा कि ये सही है कि आज भी हमारे समाज में दुष्कर्म पीड़िता को हीन भावना के साथ देखा जाता है . जैसे उसने खुद कोई अपराध किया है , जबकि दुष्कर्म की शिकार पीड़िता का इसमें किसी तरह से कोई कसूर नहीं होता है. रेहाना रियाज कहती हैं- मैं तमाम सामाजिक संगठनों और उन महिलाओं से अपील करती हूं कि वो इस बात का भरोसा रखें कि सरकार न्याय के लिए उनके साथ खड़ी है. महिला आयोग में सप्ताह में 2 दिन इन पीड़ित महिलाओं की सुनवाई होती है. अगर किसी भी पीड़ित महिला को लगता है कि उसके साथ न्याय नहीं हो रहा है तो वह आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकती है.

पढ़ें-UP-MP में कुल जितने रेप, उससे ज्यादा अकेले राजस्थान में

दावा हम Rape Victim के साथ- रियाज दावा करती हैं कि आयोग हमेशा उनके (RSWC on Rape Victims) अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहा है. रेहाना रियाज ने कहा कि जो घटना हुई उसे तो रोका नहीं जा सकता लेकिन भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो और दोषियों को उनके किए की कड़ी से कड़ी सजा मिले , इसके लिए हम अधिकारियों को पाबंद करते हैं . इसके साथ ही पीड़िता को समाज में किसी भी आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जाए यह भी हम सुनिश्चित करते हैं. रेहाना रियाज गंभीरता से दोहराती हैं- महिलाओं को आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाने की जरूरत नहीं है, वह सम्मान से समाज में जीने का अधिकार रखती हैं.

जयपुर. एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों ने राजस्थान की छवि को ठेस पहुंचाई है (NCRB on Rape in Rajasthan). दुष्कर्म के इस कलंक को सरकार मिटाने की जुगत में है (Rape in Rajasthan). तर्क एफआईआर अनिवार्य करने का दिया जा रहा है. आंकड़ों को बताने, छुपाने या फिर तर्क से सही ठहराने का खेल चल रहा है लेकिन एक मानवीय पहलू को नकारा नहीं जा सकता कि प्रदेश में दुष्कर्म शिकार को न्याय दिलाने और उन्हें संरक्षण देने में सरकार नाकाम रही है. आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में बदनामी के डर या फिर न्याय प्रक्रिया में सहयोग नहीं मिलने से हताश 15 से ज्यादा दुष्कर्म पीड़िताओं ने पिछले 3 से 4 सालों में खुदकुशी कर ली.

सरकार ने स्वीकारा सच: पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल ने सवाल पूछा था कि 2019 से लेकर 2021 तक बलात्कार और गैंगरेप की घटना के मामलों में कितनी महिलाओं ने बदनामी के डर या अन्य कारणों से आत्महत्या की. सरकार के गृह विभाग की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया कि 2019 , 2020 और 2021 में बलात्कार और गैंगरेप पीड़ितों में से 15 ने आत्महत्या की. खास बात ये है कि अलवर जिला जहां पर सबसे ज्यादा दुष्कर्म के मामले को लेकर सवाल उठते रहे, उस जिले में करीब आधा दर्जन दुष्कर्म पीड़ितों ने खुदकुशी की.

खुदकुशी संख्या पर एक नजर:

जिला संख्या
अलवर7
जयपुर2
सीकर2
झुंझुनू 1
बीकानेर1
दौसा 1
भीलवाड़ा1

समाज का ताना बाना जिम्मेदार- सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू दो पहलूओं की बात करती हैं. कहती हैं- इसमें दो तरह का सिस्टम है , एक तो यह कि कानूनी प्रक्रिया है न्याय time-bound यानी समय पाबंद नहीं है. पीड़ितों को न्याय के लिए भटकना पड़ता है इसलिए वह कई बार हताश निराश होकर जान देती हैं. दूसरा हमारा सामाजिक ताना-बाना. जिन महिलाओं को कोई अपराध नहीं है और जिनके साथ घटना हुई है समाज उनको ही हीन भावना से देखता है. समाज मे सिर उठा कर जीने की इजाजत नहीं देता . उनके ऊपर टीका टिप्पणी होती है. इसकी वजह से वो सुसाइड जैसा घातक कदम उठाती हैं. निशा के मुताबिक राजस्थान के अंदर उनको मजबूत संबल देने के लिए जो परामर्श , काउंसलिंग की सुविधाएं बालिका और महिलाओं को दी जानी चाहिए वो नही मिल रही है. अगर समय पर परामर्श मिले तो वह अपना जीवन अच्छे से जी सकती हैं. उन्होंने कहा कि समाज का नजरिया भी स्वस्थ होना चाहिए ताकि महिलाएं इस तरह से अपने आपको Guilty फील न करें और सुसाइड जैसा कदम नहीं उठाएं .

15 से ज्यादा रेप Victims ने की आत्महत्या

पढ़ें-Rape in Rajasthan: सीएम गहलोत बोले- रेप करने कोई विदेश से नहीं आता, 56 परसेन्ट महिलाओं का भी लिया नाम!

आयोग की अपील- राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज ने कहा कि ये सही है कि आज भी हमारे समाज में दुष्कर्म पीड़िता को हीन भावना के साथ देखा जाता है . जैसे उसने खुद कोई अपराध किया है , जबकि दुष्कर्म की शिकार पीड़िता का इसमें किसी तरह से कोई कसूर नहीं होता है. रेहाना रियाज कहती हैं- मैं तमाम सामाजिक संगठनों और उन महिलाओं से अपील करती हूं कि वो इस बात का भरोसा रखें कि सरकार न्याय के लिए उनके साथ खड़ी है. महिला आयोग में सप्ताह में 2 दिन इन पीड़ित महिलाओं की सुनवाई होती है. अगर किसी भी पीड़ित महिला को लगता है कि उसके साथ न्याय नहीं हो रहा है तो वह आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकती है.

पढ़ें-UP-MP में कुल जितने रेप, उससे ज्यादा अकेले राजस्थान में

दावा हम Rape Victim के साथ- रियाज दावा करती हैं कि आयोग हमेशा उनके (RSWC on Rape Victims) अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहा है. रेहाना रियाज ने कहा कि जो घटना हुई उसे तो रोका नहीं जा सकता लेकिन भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो और दोषियों को उनके किए की कड़ी से कड़ी सजा मिले , इसके लिए हम अधिकारियों को पाबंद करते हैं . इसके साथ ही पीड़िता को समाज में किसी भी आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जाए यह भी हम सुनिश्चित करते हैं. रेहाना रियाज गंभीरता से दोहराती हैं- महिलाओं को आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाने की जरूरत नहीं है, वह सम्मान से समाज में जीने का अधिकार रखती हैं.

Last Updated : Sep 7, 2022, 8:17 AM IST
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