जयपुर. कोरोना संकट के दौर में पर्यटन गाइडों की मदद के लिए 11वीं कक्षा के छात्र वर्धमान लुनिया ने हाथ आगे बढ़ाया है. छात्र वर्धमान ने ना केवल ऑनलाइन क्राउडफंडिंग से गरीबों की मदद के लिए राशि एकत्रित की, बल्कि एक मिसाल भी पेश की है कि कोरोना संकट के दौर में किस तरह एकजुट रहकर जरूरतमंदों की मदद की जा सकती है. भारत की धरोहर में पर्यटन श्रमिकों का योगदान अमूल्य है.
जयपुर के छात्र वर्धमान लुनिया ने धनराशि के रूप में जयपुर के आमेर किले के बेरोजगार पर्यटक गाइडों की मदद की है. छात्र वर्धमान ने यह राशि पूरी तरह से ऑनलाइन क्राउडफंडिंग के जरिए जुटाई थी.
पढ़ेंः पंडित नवल किशोर शर्मा की जयंतीः कांग्रेस कार्यालय में पुष्पांजलि सभा का आयोजन
भारत के इतिहास और विरासत के बारे में बेहद भावुक होने के कारण वर्धमान लुनिया बचपन से ही ऐतिहासिक स्मारकों का दौरा करना पसंद करते है. वर्धमान का कहना है कि जब भी उनका परिवार इन स्मारकों या स्थलों पर जाता था, तो हमेशा उस जगह को देखने के लिए एक गाइड लेते थे.
एक विशेष स्थान के बारे में उनके ज्ञान को देखकर हमेशा दंग रह जाते थे. वर्धमान लूनिया ने 2 महीने के लॉकडाउन के बाद भारत में स्मारकों को फिर से खोलने की रिपोर्ट पढ़ी, लेकिन महसूस किया कि लोग इन जगहों पर तब तक नहीं जाएंगे, जब तक कि यह कोरोना संकट पूरी तरह कम न हो जाए और वायरस का टीका ना लग जाए. इस विचार ने उन्हें इन स्मारकों में काम करने वाले पर्यटक गाइडों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया.
कोरोना महामारी के बीच पर्यटक गाइड पूरी तरह से बेरोजगार है और उनकी आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है. इसके अलावा पर्यटन कर्मचारियों की मदद करने के लिए कोई भी नहीं पहुंच रहा था. इस पर विचार करते हुए वर्धमान ने छोटे स्तर पर पर्यटन श्रमिकों की मदद करने और दुनिया के सामने अपनी आवाज को लाने का फैसला किया.
गाइडों के लिए पूंजी इकट्ठा करने के लिए एक ऑनलाइन क्राउडफंडिंग स्थापित करने के साथ उन्होंने आमेर के पर्यटन गाइड और किले की सुंदरता के बारे में एक यूट्यूब वीडियो भी बनाया. वर्धमान ने क्राउडफंडिंग अभियान के माध्यम से 1.42 लाख रुपए इकट्ठा किए और आमेर में गाइडों को यह राशि वितरित की.
करीब 17 गाइडों में प्रत्येक गाइड को 8000 रुपये का चेक देकर आर्थिक रूप से मदद की गई. यानी की कुल 1.36 लाख रुपए वितरित किए गए. आर्थिक सहायता मिलने के बाद गाइड भी खुश नजर आए. गाइडों ने कहा कि इन 90 दिनों में केंद्र और राज्य सरकार सहित पर्यटन विभाग की ओर से किसी ने भी आर्थिक रूप से मदद नहीं की.
पढ़ेंः पुष्कर में कोरोना के 13 नए केस, सभी पॉजिटिव शादी में हुए थे शरीक
इस कोरोना संकट के चलते पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही नहीं होने से घर परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है, लेकिन इस मुश्किल की घड़ी में मदद करना बहुत ही खुशी की बात है. आमेर महल अधीक्षक पंकज धरेंद्र ने 11वीं कक्षा के छात्र के इस योगदान की काफी सराहना की है. महल अधीक्षक ने कहा कि हम सभी को एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा आगे आना चाहिए और एक दूसरे का हमेशा सहयोग करना चाहिए.
छात्र वर्धमान का कहना है कि इन गाइडों की भावुक कहानियों को सुनकर बहुत भावुक हो गए थे. भारत की धरोहर में पर्यटन श्रमिकों का योगदान अमूल्य है. उन्होंने पीढ़ियों के लिए हमारे ऐतिहासिक स्मारकों के अनसुने कार्यवाहक के रूप में कार्य किया है. वह भारत की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वर्तमान को उम्मीद है कि अन्य शहरों के लोग उनकी पहल में शामिल होंगे और पूरे भारत में पर्यटक गाइडों की मदद करने की कोशिश करेंगे.