बीकानेर. जिले में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया गया. बीकानेर में मकर संक्रांति के दिन बड़ी संख्या में घेवर और फीणी की बिक्री होती है. इसके साथ ही तिल से बने उत्पाद भी बड़ी संख्या में लोग दान पुण्य के लिए खरीदते हैं.
सुबह से ही लोग अपने चिर परिचित के घर घेवर और फीणी के साथ ही तिल से बने लड्डू और अन्य उत्पादों को भेजते हुए नजर आए. वहीं मंदिरों के बाहर और जरुरतमंद लोगों को मकर संक्रांति पर्व पर दान पुण्य किया.
हालांकि कोरोना के पड़े व्यापक असर के बीच मकर संक्रांति पर इसका असर देखने को मिल रहा है. तिल गजक के व्यापारी गोपी राम जोशी ने कहा कि कोरोना के असर के चलते सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक शाम 7 बजे के बाद बाजार बंद हो जाता है जिसके चलते बिक्री प्रभावित हुई है और करीब 40 दिन व्यापार कम हो गया है.
दरअसल, बीकानेर में बनने वाले घेवर और फीणी की पूरे देश में डिमांड है. वहीं तिल से बने उत्पाद भी पूरे देश में सप्लाई होते हैं, लेकिन इस बार कोरोना ने इस पर भी असर डाला है.
राजसमंद में लोगों ने मनाया मकर संक्रांति का पर्व
राजसमंद के देवगढ़ भीम आमेट क्षेत्र में गुरुवार को मकर संक्रांति पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. जहां ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों ने गायों को हरा चारा आदि खिलाया गया. आमेट में जय सिंह श्याम की 500 गायों को नगर भृमण कराया गया, ताल श्री जय जैन गौशाला श्री जैन दिवाकर गरु प्रताप गौशाला में भी दानदाताओं की ओर से गौवंशों को मीठे भोजन का भोग लगाया गया.
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वहीं, देवगढ़ क्षेत्र की गौशला के अध्यक्ष गौतम चावत ने बताया कि मकर संक्रांति के पावन अवसर पर गुरुवार को लसानी निवासी भामाशाह पूर्व कांग्रेस ग्रामीण मण्डल अध्यक्ष भगवती प्रसाद टांक की ओर से गौशाला की गायों को पांच सौ किलो की गुड़ की बनी लापसी बनाकर खिलाई गई. वहीं अन्य भामाशाह की ओर से सूखी और रही घास खिलाई गई. भामाशाह प्रवीण बाबूलाल बोहरा ने अपने पिता जी की स्मृति में गौशाला की एक हजार गायों को 200 किलो काले तिल के लड्डू बनाकर कर खिलाए.