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धौलपुर जिला कलेक्टर और यूआईटी के पूर्व चेयरमैन को एक महीने का सिविल कारावास

बीकानेर नगर विकास न्यास के तत्कालीन सचिव और धौलपुर कलेक्टर आरके जायसवाल और बीकानेर नगर विकास न्यास के पूर्व चेयरमैन और भाजपा नेता महावीर रांका को अदालत की अवमानना पर एक महीने की सिविल कारावास की सजा सुनाई गई है.

बीकानेर नगर विकास न्यास मामला
बीकानेर नगर विकास न्यास मामला
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Published : Nov 2, 2021, 9:51 PM IST

बीकानेर. बीकानेर नगर विकास न्यास के एक भूमि विवाद के मामले में अदालती अवमानना के लिए नगर विकास न्यास के तत्कालीन सचिव औरवर्तमान में धौलपुर के कलेक्टर आरके जायसवाल और तत्कालीन यूआईटी चेयरमैन और भाजपा नेता महावीर रांका को एक माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई गई है.

दरअसल पक्षकार मेघराज की ओर से कोर्ट में दायर अवमानना के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है. दरअसल मामला करीब 4 साल पुराना है, जब अदालत की रोक के बावजूद विवादित बताई जा रही है जमीन की नीलामी का प्रकाशन समाचार पत्रों में करवाया गया.

बताया जा रहा है कि जमीनी विवाद के चलते 13 सितंबर 2017 को अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश ने अंतरिम आदेश दिया था, जिसमें मौके पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे. जमीन को लेकर गंगाशहर थानाधिकारी को रिसीवर भी नियुक्त किया गया था.

पढ़ें- हॉल मार्क से आप जान सकते हैं सोने की शुद्धता...क्या कहता है भारतीय मानक ब्यूरो

प्रार्थी ने दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि आदेश की पालना करने के बजाए तत्कालीन सचिव और अध्यक्ष ने जमीन की नीलामी के लिए अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाया जिसको लेकर 4 अक्टूबर 2017 को तत्कालीन सचिव और तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना पत्र न्यायालय में पेश किया गया. प्रार्थी की ओर से एडवोकेट अनिल आचार्य ने पैरवी की.

बीकानेर. बीकानेर नगर विकास न्यास के एक भूमि विवाद के मामले में अदालती अवमानना के लिए नगर विकास न्यास के तत्कालीन सचिव औरवर्तमान में धौलपुर के कलेक्टर आरके जायसवाल और तत्कालीन यूआईटी चेयरमैन और भाजपा नेता महावीर रांका को एक माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई गई है.

दरअसल पक्षकार मेघराज की ओर से कोर्ट में दायर अवमानना के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है. दरअसल मामला करीब 4 साल पुराना है, जब अदालत की रोक के बावजूद विवादित बताई जा रही है जमीन की नीलामी का प्रकाशन समाचार पत्रों में करवाया गया.

बताया जा रहा है कि जमीनी विवाद के चलते 13 सितंबर 2017 को अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश ने अंतरिम आदेश दिया था, जिसमें मौके पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे. जमीन को लेकर गंगाशहर थानाधिकारी को रिसीवर भी नियुक्त किया गया था.

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प्रार्थी ने दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि आदेश की पालना करने के बजाए तत्कालीन सचिव और अध्यक्ष ने जमीन की नीलामी के लिए अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाया जिसको लेकर 4 अक्टूबर 2017 को तत्कालीन सचिव और तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना पत्र न्यायालय में पेश किया गया. प्रार्थी की ओर से एडवोकेट अनिल आचार्य ने पैरवी की.

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