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Kasoti Nath Mahadev Mandir: बीकानेर का अनूठा शिव मंदिर जहां शेरशाह सूरी से पराजित होकर मुगल शासक हुंमायू ने ली थी शरण

बीकानेर में कसौटीनाथ महादेव का अपने आप में इतिहास समेटे हुए है. कहा जाता है कि इस मंदिर में मुगल शासक हुंमायू ने शरण ली थी. दरअसल, शेरशाह सूरी से पराजित होकर हुंमायू ने गुप्त रूप से कसौटीनाथ महादेव मंदिर में शरण ली (Kasoti Nath Mahadev temple in Bikaner) थी. आइए आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं ​इस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में...

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Published : Aug 3, 2022, 7:01 AM IST

Mughal emperor Humayun took shelter in Kasoti Nath Mahadev temple in Bikaner
बीकानेर का अनूठा शिव मंदिर जहां शेरशाह सूरी से पराजित होकर मुगल शासक हुंमायू ने ली थी शरण

बीकानेर. बीकानेर शहर करीब 535 साल से अपनी सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए एक ऐसा ऐतिहासिक शहर है जो विकास के साथ आगे बढ़ रहा है. चाहे बात धार्मिक पक्ष की हो या फिर इतिहास से जुड़ी हो, हर चीज का आज भी एक महत्व है. यहां स्थापित मंदिरों की संख्या हजारों की संख्या में है. आज शहर की हर गली में एक शिव मंदिर देखने को मिल जाएगा. इनमें से कुछ शिव मंदिर अपने आप में इतिहास समेटे हुए हैं. ऐसा ही एक शिव मंदिर है नाथ सागर स्थित कसौटीनाथ महादेव (Historical shiv temple in Bikaner) . शहर के अंदरूनी हिस्से में नत्थूसर गेट के परकोटे से बाहर नाथ सागर तालाब पर स्थित यह मंदिर जमीन से करीब 30 फीट ऊपर है.

हुमायूं ने ली थी शरण: कहा जाता है कि इस मंदिर में मुगल शासक हुंमायू ने एक बार शेरशाह सूरी से पराजित होने के बाद गुप्त रूप से शरण ली (Humayun took shelter in Kasoti Nath Mahadev temple in Bikaner) थी. मंदिर के बाहर देवस्थान विभाग की ओर से मंदिर के इतिहास से जुड़े तथ्यों पर आधारित बोर्ड में भी यह बात अंकित की हुई है.

बीकानेर के इस शिव मंदिर में मुगल शासक हुंमायू ने ली थी शरण...

पढ़ें: Sawan 2022 : न रेत लगी, न चूना...12वीं सदी का ऐसा मंदिर जो रातों-रात खड़ा हुआ

16वीं शताब्दी का है मंदिर: मंदिर के पुजारी मनोज सेवक कहते हैं कि इस मंदिर कि स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी और 17वीं शताब्दी में बीकानेर के तत्कालीन महाराजा जयसिंह ने इस मंदिर का पुनरुद्धार करवाया. मंदिर के ऊपरी हिस्से में एक और शिव मंदिर की स्थापना की गई, जो खुले में है और जिस पर छत नहीं है. साथ ही शिवलिंग के साथ श्रीयंत्र भी स्थापित है. इस मंदिर का नाम गजपतेश्वर महादेव के नाम से है. पुजारी मनोज सेवक कहते हैं कि इस मंदिर में कसौटी नाथ महादेव के अलावा एक अन्य गणपतेश्वर महादेव, माता चामुंडा का मंदिर कसौटीनाथ महादेव के ठीक पीछे गुफा के रूप में है. कसौटीनाथ महादेव मंदिर के ठीक नीचे माता काली का मंदिर भी है, लेकिन इसे बंद कर दिया गया.

पढ़ें: अद्भुत है करौली का ये शिव मंदिर...यहां विराजते हैं वक्र गर्दन वाले महादेव...दिन में तीन बार रूप बदलती है प्रतिमा

नाथ संप्रदाय की तपोस्थली: मंदिर में पिछले तीन दशक से नियमित पूजा-अर्चना के लिए आने वाले पंडित रामअवतार छंगाणी कहते हैं कि यह शिव मंदिर अपने आप में खास है. वे कहते हैं कि यह नाथ संप्रदाय के तपोस्थली के रूप में है. यहां नाथ संप्रदाय से जुड़े संत-महात्माओं ने घोर तपस्या की है. जमीन से 6 फीट नीचे गुफा में बैठकर कई सालों तक लगातार तक तपस्या और साधना करते थे. यह तपोस्थली है. मंदिर के पास ही चारदीवारी में एक तालाब है, जिसे नाथसागर तालाब के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि संत-महात्मा इसी तालाब में नहाते थे और मंदिर परिसर में ही तपस्या करते थे.

बीकानेर. बीकानेर शहर करीब 535 साल से अपनी सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए एक ऐसा ऐतिहासिक शहर है जो विकास के साथ आगे बढ़ रहा है. चाहे बात धार्मिक पक्ष की हो या फिर इतिहास से जुड़ी हो, हर चीज का आज भी एक महत्व है. यहां स्थापित मंदिरों की संख्या हजारों की संख्या में है. आज शहर की हर गली में एक शिव मंदिर देखने को मिल जाएगा. इनमें से कुछ शिव मंदिर अपने आप में इतिहास समेटे हुए हैं. ऐसा ही एक शिव मंदिर है नाथ सागर स्थित कसौटीनाथ महादेव (Historical shiv temple in Bikaner) . शहर के अंदरूनी हिस्से में नत्थूसर गेट के परकोटे से बाहर नाथ सागर तालाब पर स्थित यह मंदिर जमीन से करीब 30 फीट ऊपर है.

हुमायूं ने ली थी शरण: कहा जाता है कि इस मंदिर में मुगल शासक हुंमायू ने एक बार शेरशाह सूरी से पराजित होने के बाद गुप्त रूप से शरण ली (Humayun took shelter in Kasoti Nath Mahadev temple in Bikaner) थी. मंदिर के बाहर देवस्थान विभाग की ओर से मंदिर के इतिहास से जुड़े तथ्यों पर आधारित बोर्ड में भी यह बात अंकित की हुई है.

बीकानेर के इस शिव मंदिर में मुगल शासक हुंमायू ने ली थी शरण...

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16वीं शताब्दी का है मंदिर: मंदिर के पुजारी मनोज सेवक कहते हैं कि इस मंदिर कि स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी और 17वीं शताब्दी में बीकानेर के तत्कालीन महाराजा जयसिंह ने इस मंदिर का पुनरुद्धार करवाया. मंदिर के ऊपरी हिस्से में एक और शिव मंदिर की स्थापना की गई, जो खुले में है और जिस पर छत नहीं है. साथ ही शिवलिंग के साथ श्रीयंत्र भी स्थापित है. इस मंदिर का नाम गजपतेश्वर महादेव के नाम से है. पुजारी मनोज सेवक कहते हैं कि इस मंदिर में कसौटी नाथ महादेव के अलावा एक अन्य गणपतेश्वर महादेव, माता चामुंडा का मंदिर कसौटीनाथ महादेव के ठीक पीछे गुफा के रूप में है. कसौटीनाथ महादेव मंदिर के ठीक नीचे माता काली का मंदिर भी है, लेकिन इसे बंद कर दिया गया.

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नाथ संप्रदाय की तपोस्थली: मंदिर में पिछले तीन दशक से नियमित पूजा-अर्चना के लिए आने वाले पंडित रामअवतार छंगाणी कहते हैं कि यह शिव मंदिर अपने आप में खास है. वे कहते हैं कि यह नाथ संप्रदाय के तपोस्थली के रूप में है. यहां नाथ संप्रदाय से जुड़े संत-महात्माओं ने घोर तपस्या की है. जमीन से 6 फीट नीचे गुफा में बैठकर कई सालों तक लगातार तक तपस्या और साधना करते थे. यह तपोस्थली है. मंदिर के पास ही चारदीवारी में एक तालाब है, जिसे नाथसागर तालाब के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि संत-महात्मा इसी तालाब में नहाते थे और मंदिर परिसर में ही तपस्या करते थे.

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