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Lease deed on transit land decision : गोचर में पट्टा देने के निर्णय के विरोध में पूर्व मंत्री भाटी बैठेंगे अनिश्चितकालीन धरने पर

प्रदेश सरकार के पिछले दिनों गोचर भूमि में कब्जेधारियों को पट्टे जारी करने के निर्णय को लेकर विरोध शुरू हो गया है. इसके विरोध में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने अनिश्चितकालीन धरना देने की बात (Devi Singh Bhati on lease deed on transit land) कही है.

ex minister Devi Singh Bhati
पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी
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Published : Jan 8, 2022, 6:25 PM IST

बीकानेर. राज्य सरकार के ओरण, गोचर, चारागाह भूमि पर पट्टे जारी करने की घोषणा के विरोध में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी पशुपालकों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे. भाटी का कहना है कि यह निर्णय अनुचित है और इससे अतिक्रमियों को प्रोत्साहन मिलेगा.

भाटी ने इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में कहा है कि अगर सरकार ने इस निर्णय को वापस नहीं लिया, तो उन्हें मजबूरन पूरे राज्य में जिलेवार साधू-संत, गो प्रेमी, पशुपालकों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठना (Devi Singh Bhati to sit on indefinite strike) पड़ेगा.

पूर्व मंत्री के प्रवक्ता सुनील बांठिया के अनुसार, भाटी ने कहा है कि गोचर भूमि पर अतिक्रमणकारियों को पट्टे जारी करने का जो निर्णय लिया है, वह सरासर अनुचित है. इससे अतिक्रमियों को और प्रोत्साहन मिलेगा. भाटी ने कहा कि इसी सरकार ने सन 2011 में चरागाह भूमि विकास के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा महानरेगा के तहत गोचर, ओरण चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए बड़ा निर्णय लिया गया था.

पढ़ें: Sant Samaj Protest In Rajasthan: गोचर भूमि पर पट्टे देने को लेकर संत समाज का विरोध, कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

इसी भूमि को विकसित करने के लिए महानरेगा के तहत स्थानीय प्रजाति के पेड़ पौधे लगाए जाएंगे जिससे पशुधन चराई कर सके. साथ ही ऐसे स्थानों पर जो अतिक्रमण होंगे, उन्हें भी ग्राम पंचायत तहसीलदार जिला कलेक्टर के माध्यम से मुक्त करवाए जाने के निर्देश जारी किए गए थे. यह उस समय सरकार का उत्तम अच्छा विचार था, लेकिन अपने ही निर्णय के उलट गहलोत सरकार ने अतिक्रमणकारियों को पट्टे जारी करने का निर्णय लेकर राज्य के सभी गो प्रेमियों व पशु प्रेमियों को आहत किया है.

पढ़ें: JDA की बड़ी कार्रवाई, 15 बीघा गोचर भूमि करवाई अतिक्रमण मुक्त

भाटी ने कहा कि पूर्व में हमारे ही पूर्वजों द्वारा गोवंश व पशुओं को पालन के लिए जो भूमि छोड़ी थी, उसका भी सरकार नाजायज हक जता रही है. राज्य सरकार को चाहिए था कि ऐसी भूमि पर कब्जे की नीयत से जमने वालों को तुरंत बेदखल करने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन को दे. अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कानूनी कार्यवाही करने का प्रावधान रखा जाए जिससे अतिक्रमणकारियों का दुस्साहस ना बढ़े. समय–समय पर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी परंपरागत नदी, नाले, तालाब, गोचर, ओरण पायदान, चरागाह भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण अतिक्रमण नहीं हो, इसके लिए विभिन्न प्रदेशों की सरकारों को पाबंद कर निर्देशित किया है.

पढ़ें: बीकानेर में बवाल ! गोचर भूमि को लेकर ग्रामीण और पुलिस आमने-सामने...

भाटी ने कहा कि राज्य सरकार का निर्णय घोर अनैतिक है. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विरुद्ध देसी गाय की नस्ल को समाप्त करने का निर्णय है. बांठिया के अनुसार, पूर्व मंत्री ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि इस निर्णय को वापस लें अन्यथा मजबूरन पूरे राज्य में जिलेवार भाटी सहित क्षेत्र के साधु–संत, गो प्रेमी, पशु प्रेमी 13 जनवरी को सरह नथानिया गोचर भूमि पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने को मजबूर होंगे. सरकार द्वारा अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो भाटी अपने अनिश्चितकालीन धरने को भूख हड़ताल में बदल देंगे.

बीकानेर. राज्य सरकार के ओरण, गोचर, चारागाह भूमि पर पट्टे जारी करने की घोषणा के विरोध में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी पशुपालकों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे. भाटी का कहना है कि यह निर्णय अनुचित है और इससे अतिक्रमियों को प्रोत्साहन मिलेगा.

भाटी ने इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में कहा है कि अगर सरकार ने इस निर्णय को वापस नहीं लिया, तो उन्हें मजबूरन पूरे राज्य में जिलेवार साधू-संत, गो प्रेमी, पशुपालकों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठना (Devi Singh Bhati to sit on indefinite strike) पड़ेगा.

पूर्व मंत्री के प्रवक्ता सुनील बांठिया के अनुसार, भाटी ने कहा है कि गोचर भूमि पर अतिक्रमणकारियों को पट्टे जारी करने का जो निर्णय लिया है, वह सरासर अनुचित है. इससे अतिक्रमियों को और प्रोत्साहन मिलेगा. भाटी ने कहा कि इसी सरकार ने सन 2011 में चरागाह भूमि विकास के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा महानरेगा के तहत गोचर, ओरण चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए बड़ा निर्णय लिया गया था.

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इसी भूमि को विकसित करने के लिए महानरेगा के तहत स्थानीय प्रजाति के पेड़ पौधे लगाए जाएंगे जिससे पशुधन चराई कर सके. साथ ही ऐसे स्थानों पर जो अतिक्रमण होंगे, उन्हें भी ग्राम पंचायत तहसीलदार जिला कलेक्टर के माध्यम से मुक्त करवाए जाने के निर्देश जारी किए गए थे. यह उस समय सरकार का उत्तम अच्छा विचार था, लेकिन अपने ही निर्णय के उलट गहलोत सरकार ने अतिक्रमणकारियों को पट्टे जारी करने का निर्णय लेकर राज्य के सभी गो प्रेमियों व पशु प्रेमियों को आहत किया है.

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भाटी ने कहा कि पूर्व में हमारे ही पूर्वजों द्वारा गोवंश व पशुओं को पालन के लिए जो भूमि छोड़ी थी, उसका भी सरकार नाजायज हक जता रही है. राज्य सरकार को चाहिए था कि ऐसी भूमि पर कब्जे की नीयत से जमने वालों को तुरंत बेदखल करने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन को दे. अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कानूनी कार्यवाही करने का प्रावधान रखा जाए जिससे अतिक्रमणकारियों का दुस्साहस ना बढ़े. समय–समय पर उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी परंपरागत नदी, नाले, तालाब, गोचर, ओरण पायदान, चरागाह भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण अतिक्रमण नहीं हो, इसके लिए विभिन्न प्रदेशों की सरकारों को पाबंद कर निर्देशित किया है.

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भाटी ने कहा कि राज्य सरकार का निर्णय घोर अनैतिक है. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विरुद्ध देसी गाय की नस्ल को समाप्त करने का निर्णय है. बांठिया के अनुसार, पूर्व मंत्री ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि इस निर्णय को वापस लें अन्यथा मजबूरन पूरे राज्य में जिलेवार भाटी सहित क्षेत्र के साधु–संत, गो प्रेमी, पशु प्रेमी 13 जनवरी को सरह नथानिया गोचर भूमि पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने को मजबूर होंगे. सरकार द्वारा अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो भाटी अपने अनिश्चितकालीन धरने को भूख हड़ताल में बदल देंगे.

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