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फागोत्सव : यहां चंग की थाप पर होता है सुंदरकांड का पाठ - Sunderkand is being sung

भीलवाड़ा में होली के मौके पर चंग की खास भूमिका रहती है. यहां होली के एक माह पहले से ही लोग चंग की थाप पर सुंदरकांड का पाठ करते हैं. साथ ही चंग की धुन पर भजनों को गाते हुए नाच कर होली का त्योहार मनाते हैं.

शेखावटी में होली, holi in shekhavati
यहां चंग की थाप पर होता है सुंदरकांड का पाठ
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Published : Mar 6, 2020, 11:59 AM IST

भीलवाड़ा. होली का त्यौहार नजदीक आते ही भीलवाड़ा में रह रहे मारवाड़ और शेखावटी अंचल के लोग चंग की थाप पर भगवान के भजन गाकर होली का त्यौहार मना रहे हैं. यहां होली के एक माह पूर्व से ही प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को संगीतमय सुंदरकांड के पाठ के साथ होली मनाई जाती है.

चंग की थाप पर गाए जा रहे हैं होली के पौराणिक भजन

शेखावटी के लोगों का कहना है कि हमारी वर्तमान पीढ़ी पौराणिक संस्कृति को छोड़ती जा रही है. इसी को मद्देनजर रखते हुए हम राजस्थान में लुप्त हुए पौराणिक भजनों को जिंदा रखने और आगे आने वाली पीढ़ी को इससे जोड़ने के लिए प्रति वर्ष यह आयोजन कराते हैं.

चंग की थाप पर नाच रहे रामाअवतार ने कहा कि भीलवाड़ा में श्री राम मंडल सेवा संस्थान की ओर से पिछले 26 वर्ष से होली के मौके पर चंग की थाप पर सुंदरकांड का पाठ और पौराणिक भजन गाए जाते हैं. हमारा उद्देश्य है कि ऐसे आयोजन के जरिए हमारी पौराणिक परंपरा चंग को जीवित रखा जा सके.

पढ़ें: भरतपुरः कामां में ब्रज महोत्सव के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भक्त हुए सराबोर

वहीं चंग की थाप पर नाचने वाले सुरेन्द्र ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी ने अपनी पौराणिक परंपराओं को भुलना शुरू कर दिया है. शेखावटी और मारवाड़ राजस्थान का ऐसा हिस्सा है, जहां अपनी पौराणिक परंपरा को जीवित रखने के लिए चंग की थाप पर भजन गाए जाते हैं. हम होली से 1 माह पूर्व और होली के बाद शीतला सप्तमी तक प्रत्येक शनिवार को चंग की थाप पर सुंदरकांड का पाठ करते हैं और भगवान के पुराणिक भजन की प्रस्तुति देते हैं.

भीलवाड़ा. होली का त्यौहार नजदीक आते ही भीलवाड़ा में रह रहे मारवाड़ और शेखावटी अंचल के लोग चंग की थाप पर भगवान के भजन गाकर होली का त्यौहार मना रहे हैं. यहां होली के एक माह पूर्व से ही प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को संगीतमय सुंदरकांड के पाठ के साथ होली मनाई जाती है.

चंग की थाप पर गाए जा रहे हैं होली के पौराणिक भजन

शेखावटी के लोगों का कहना है कि हमारी वर्तमान पीढ़ी पौराणिक संस्कृति को छोड़ती जा रही है. इसी को मद्देनजर रखते हुए हम राजस्थान में लुप्त हुए पौराणिक भजनों को जिंदा रखने और आगे आने वाली पीढ़ी को इससे जोड़ने के लिए प्रति वर्ष यह आयोजन कराते हैं.

चंग की थाप पर नाच रहे रामाअवतार ने कहा कि भीलवाड़ा में श्री राम मंडल सेवा संस्थान की ओर से पिछले 26 वर्ष से होली के मौके पर चंग की थाप पर सुंदरकांड का पाठ और पौराणिक भजन गाए जाते हैं. हमारा उद्देश्य है कि ऐसे आयोजन के जरिए हमारी पौराणिक परंपरा चंग को जीवित रखा जा सके.

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वहीं चंग की थाप पर नाचने वाले सुरेन्द्र ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी ने अपनी पौराणिक परंपराओं को भुलना शुरू कर दिया है. शेखावटी और मारवाड़ राजस्थान का ऐसा हिस्सा है, जहां अपनी पौराणिक परंपरा को जीवित रखने के लिए चंग की थाप पर भजन गाए जाते हैं. हम होली से 1 माह पूर्व और होली के बाद शीतला सप्तमी तक प्रत्येक शनिवार को चंग की थाप पर सुंदरकांड का पाठ करते हैं और भगवान के पुराणिक भजन की प्रस्तुति देते हैं.

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