भीलवाड़ा/बाड़मेर. 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक का आयोजन हुआ. जिस बैठक में राज्य सरकार की ओर से गोचर भूमि पर 35 वर्षों से काबिज लोगों को पट्टा देने को लेकर प्रस्ताव पास हुआ है इसी को लेकर गौ सेवकों में जबरदस्त तरीके का आक्रोश देखने को मिल रहा है. प्रदेश की चरागाह भूमि पर बसी घनी आबादी भूमि के नियमितीकरण करने के इस निर्णय के विरोध में प्रदेश के समस्त गो संचालकों ,गौ भक्तों व संत समाज ने घोर आपत्ति पेश की है. जहां प्रमुख संत और गौ भक्तों ने बुधवार को भीलवाड़ा और बाड़मेर जिला कलेक्ट्रेट को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.
नियम में करना होगा परिवर्तन : भीलवाड़ा में ज्ञापन सौंपने के बाद गौ भक्त अशोक कोठारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 15 दिसंबर को गोचर भूमि पर पट्टे जारी करने को कहा है वह गलत है. जो गाय की भूमि है उस भूमि पर पट्टा देने से गायों के लिए दिक्कत हो जाएगी. वैसे भी चारागाह भूमि काफी कम है सरकार को इस नियम में परिवर्तन करना होगा.
अधर्म युक्त काम कर रही सरकार : वहीं निंबार्क आश्रम के महंत मोहन शरण जी शास्त्री ने कहा कि आज हम राजस्थान गो सेवा संस्थान के बैनर तले कलेक्ट्रेट पहुंचे. गौमाता हमारी मां है अगर उस भूमि को हम बेच देंगे तो समझ लो हम हमारी मां को बेच रहे हैं. इसलिए आज हम सभी गौ भक्त और हिंदू संगठन के संत समाज एकत्रित हुए हैं. यह धर्म युक्त काम है. जहां सरकार अधर्म युक्त काम कर रही हैं. संत समाज में आक्रोश है. इसमें बदलाव के लिए चाहे हमें (Sant Samaj Protest In Rajasthan) जयपुर भी जाना पड़ेगा तो जाएंगे, लेकिन सरकार से हमारी मांग है कि इसमें बदलाव करना होगा.
बाड़मेर में भी कलेक्टर को खिलाफ ज्ञापन : गोचर भूमि पर पट्टा देने (Regularization of population settled on pasture land) के प्रस्ताव को लेकर बुधवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राजस्थान गौ सेवा समिति की बाड़मेर इकाई की बैठक भगवान महावीर पार्क में आयोजित हुई. जिसमें बड़ी संख्या में गौ भक्तों ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए अपनी बात रखी और उसके बाद रैली निकालकर गो सेवको ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन (Memorandum to the Collector in the name of Chief Minister) सौपा.
गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग : राजस्थान गौ सेवा समिति बाड़मेर इकाई ने बुधवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर बैठक आयोजित कर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के अनुसार गोचर भूमि पर काबिज लोगों को पट्टा जारी नहीं करने के साथ ही गोचर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने की भी मांग की गई. राजस्थान गो सेवा समिति के महंत रघुनाथ भारती के अनुसार गोचर भूमि केवल गोवंश के छोड़ी गई है. गोचर भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर सरकार को कड़े कानून बनाने चाहिए.
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले राज्य सरकार के कैबिनेट में 35 वर्षों से गोचर चारागाह भूमि पर काबिज लोगों को पट्टे जारी करने का फैसला लिया गया है. जोकि सरासर गलत है. इस तरह से भू माफिया गोचर भूमि पर काबिज हो जाएंगे. ऐसे में सरकार को गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर कड़े कदम उठाने चाहिए. सरकार के इस फैसले का हम विरोध करते हैं और हम सरकार से मांग करते हैं कि सरकार अपने इस फैसले को वापस ले.