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SPECIAL: वस्त्र नगरी में फिर में खिल उठा प्रकृति का सौंदर्य, 20 साल बाद प्रदूषण न्यूनतम स्तर पर

सड़कों पर सरपट दौड़ने वाले पहिए अब थम चुके हैं. फैक्ट्रियां और कारखाने बंद पड़े हैं. चिमनियों से निकलने वाला धुआं भी बनना बंद हो गया है. इससे हमारे पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है. क्या प्रकृति में घुला जहर कम हो जाएगा. देखें ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट...

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20 सालों बाद प्रदूषण अपने न्यूनतम स्तर पर
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Published : May 1, 2020, 10:18 AM IST

Updated : May 1, 2020, 11:54 AM IST

भीलवाड़ा. कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश की आबोहवा में ताजगी आ गई है. जिससे अब आसमान साफ नजर आने लगा है और पानी में भी कोई प्रदूषण नहीं फैल रहा है. लॉकडाउन ने पर्यावरण को स्वस्थ होने के लिए अवकाश दे दिया है. जिससे हवा में घुला जहर अब धीरे-धीरे कम होता जा रहा है और नदियां निर्मल हो रही हैं. अब प्रदूषण अपने निम्न स्तर पर पहुंच चुका है.

20 सालों बाद प्रदूषण अपने न्यूनतम स्तर पर

लॉकडाउन की वजह से देश में कल कारखाने बंद पड़े हैं. वाहनों की आवाजाही पर रोक लग गई है. जिसकी वजह से पर्यावरण और जल प्रदूषण में काफी कमी आई है. ईटीवी भारत की टीम ने वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर में प्रदूषण को लेकर स्थिति का जायजा लिया. जहां तमाम वस्त्र उद्योग बंद होने से आसमान साफ नजर आया.

लॉकडाउन के पहले और बाद में वायु प्रदूषण की मात्रा :

  • 21 मार्च को दिल्ली में वायु प्रदूषण पीएम 2.5 की मात्रा 165 MCG/ क्यूबिक मीटर थी
  • लॉकडाउन के दौरान घटकर 64 MCG/ क्यूबिक मीटर हो गई
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    कम हो रहा हवा में घुला जहर

जयपुर में पीएम 2.5 का आंकड़ा

  • लॉकडाउन से पहले 139 MCG/ क्यूबिक मीटर
  • जो लॉकडाउन के बाद 68 MCG/ क्यूबिक मीटर हो गया

भीलवाड़ा में भी घटा प्रदूषण

  • भीलवाड़ा में यह आंकड़ा लॉकडाउन के पहले 25. 6 MCG/ क्यूबिक मीटर था
  • कुल मिलाकर 60 से 70 प्रतिशत की आई कमी

माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जागेटिया के मुताबिक लॉकडाउन के बाद पर्यावरण और जलवायु के संबंध में पूरे विश्व के सभी देशों से अच्छी रिपोर्ट प्राप्त हो रही है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में जलवायु और पर्यावरण में सुधार आया है. नासा द्वारा जारी नक्शे में यह दिखाया कि भारत में पर्यावरण प्रदूषण में अभी की स्थिति पिछले 20 सालों से सबसे न्यूनतम स्तर पर है.

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प्रकृति का लौटा सौंदर्य

यह भी पढ़ें- डूंगरपुर के लाल को कुवैत में दफनाया, यहां राख नसीब हो इसलिए पुतला बनाकर किया दाह संस्कार

प्रदूषण की मुख्य वजहें

  • ट्रांसपोर्टेशन
  • इंडस्ट्रीज
  • पेठा इकाइयां
  • निर्माण गतिविधियां
  • बायोमास
  • वेस्ट का जलना

इन कारणों से कम हुआ प्रदूषण

  • ट्रांसपोर्टेशन पर लग गई है रोक
  • इंडस्ट्रीज पूरी तरह बंद
  • लोगों ने घरों ने निकलना किया बंद
  • निर्माण गतिविधियों पर लगी रोक

यह भी पढ़ें- स्पेशल: बच्चों को घरों में कैद कर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं ये माता-पिता

दूसरी ओर जल प्रदूषण की बात करें तो यमुना नदी, गंगा नदी और तालाब का पानी निर्मल हुआ हैं. इनमें प्रवासी पक्षियों की भी काफी संख्या में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. लॉकडाउन का प्रभाव भले ही देश की आर्थिक स्थिति के लिए ठीक नहीं हो. लेकिन बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से काफी सुधार हुआ है.

औद्योगिक संगठन के सचिव प्रेम स्वरूप गर्ग के मुताबिक लॉकडाउन से प्रदूषण के क्षेत्र में काफी कमी आई है. राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर भी अच्छे संकेत मिल रहे हैं.

पहले भीलवाड़ा में उद्योगों द्वारा प्रदूषित पानी छोड़ा जाता था. लेकिन यह तमाम उद्योग धंधे बंद हैं. किसी भी प्रकार का प्रदूषित पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. जिससे वायु प्रदूषण जल प्रदूषण में काफी कमी आई है और हवा में 60 से 70 प्रतिशत की कमी और धरती में बिल्कुल प्रदूषित पानी नहीं छोड़ा जा रहा.

भीलवाड़ा. कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश की आबोहवा में ताजगी आ गई है. जिससे अब आसमान साफ नजर आने लगा है और पानी में भी कोई प्रदूषण नहीं फैल रहा है. लॉकडाउन ने पर्यावरण को स्वस्थ होने के लिए अवकाश दे दिया है. जिससे हवा में घुला जहर अब धीरे-धीरे कम होता जा रहा है और नदियां निर्मल हो रही हैं. अब प्रदूषण अपने निम्न स्तर पर पहुंच चुका है.

20 सालों बाद प्रदूषण अपने न्यूनतम स्तर पर

लॉकडाउन की वजह से देश में कल कारखाने बंद पड़े हैं. वाहनों की आवाजाही पर रोक लग गई है. जिसकी वजह से पर्यावरण और जल प्रदूषण में काफी कमी आई है. ईटीवी भारत की टीम ने वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर में प्रदूषण को लेकर स्थिति का जायजा लिया. जहां तमाम वस्त्र उद्योग बंद होने से आसमान साफ नजर आया.

लॉकडाउन के पहले और बाद में वायु प्रदूषण की मात्रा :

  • 21 मार्च को दिल्ली में वायु प्रदूषण पीएम 2.5 की मात्रा 165 MCG/ क्यूबिक मीटर थी
  • लॉकडाउन के दौरान घटकर 64 MCG/ क्यूबिक मीटर हो गई
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    कम हो रहा हवा में घुला जहर

जयपुर में पीएम 2.5 का आंकड़ा

  • लॉकडाउन से पहले 139 MCG/ क्यूबिक मीटर
  • जो लॉकडाउन के बाद 68 MCG/ क्यूबिक मीटर हो गया

भीलवाड़ा में भी घटा प्रदूषण

  • भीलवाड़ा में यह आंकड़ा लॉकडाउन के पहले 25. 6 MCG/ क्यूबिक मीटर था
  • कुल मिलाकर 60 से 70 प्रतिशत की आई कमी

माणिक्य लाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जागेटिया के मुताबिक लॉकडाउन के बाद पर्यावरण और जलवायु के संबंध में पूरे विश्व के सभी देशों से अच्छी रिपोर्ट प्राप्त हो रही है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में जलवायु और पर्यावरण में सुधार आया है. नासा द्वारा जारी नक्शे में यह दिखाया कि भारत में पर्यावरण प्रदूषण में अभी की स्थिति पिछले 20 सालों से सबसे न्यूनतम स्तर पर है.

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प्रकृति का लौटा सौंदर्य

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प्रदूषण की मुख्य वजहें

  • ट्रांसपोर्टेशन
  • इंडस्ट्रीज
  • पेठा इकाइयां
  • निर्माण गतिविधियां
  • बायोमास
  • वेस्ट का जलना

इन कारणों से कम हुआ प्रदूषण

  • ट्रांसपोर्टेशन पर लग गई है रोक
  • इंडस्ट्रीज पूरी तरह बंद
  • लोगों ने घरों ने निकलना किया बंद
  • निर्माण गतिविधियों पर लगी रोक

यह भी पढ़ें- स्पेशल: बच्चों को घरों में कैद कर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं ये माता-पिता

दूसरी ओर जल प्रदूषण की बात करें तो यमुना नदी, गंगा नदी और तालाब का पानी निर्मल हुआ हैं. इनमें प्रवासी पक्षियों की भी काफी संख्या में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. लॉकडाउन का प्रभाव भले ही देश की आर्थिक स्थिति के लिए ठीक नहीं हो. लेकिन बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से काफी सुधार हुआ है.

औद्योगिक संगठन के सचिव प्रेम स्वरूप गर्ग के मुताबिक लॉकडाउन से प्रदूषण के क्षेत्र में काफी कमी आई है. राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर भी अच्छे संकेत मिल रहे हैं.

पहले भीलवाड़ा में उद्योगों द्वारा प्रदूषित पानी छोड़ा जाता था. लेकिन यह तमाम उद्योग धंधे बंद हैं. किसी भी प्रकार का प्रदूषित पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. जिससे वायु प्रदूषण जल प्रदूषण में काफी कमी आई है और हवा में 60 से 70 प्रतिशत की कमी और धरती में बिल्कुल प्रदूषित पानी नहीं छोड़ा जा रहा.

Last Updated : May 1, 2020, 11:54 AM IST
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