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अगर कोरोना मरीज की आरबीसी डैमेज होती है...तो प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कर सकते हैं ठीकः डॉ. राजन नंदा

कोरोना पॉजिटिव मरीज की नेगेटिव रिपोर्ट लाने के लिए प्लाज्मा देना बेहतर हो सकता है, क्योंकि जो कोरोना पॉजिटिव मरीज होता है उनकी आरबीसी डैमेज होती है जिसको प्लाज्मा देने से उनके उनकी बॉडी में नया आरबीसी डेवलप हो जाता है और वह बिल्कुल स्वस्थ हो सकता है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजन नंदा ने कहा, कि भीलवाड़ा में पर्याप्त मात्रा में प्लाज्मा उपलब्ध है.

भीलवाड़ा न्यूज, कोरोना वायरस, bhilwara news, corona virus
प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कर सकते है कोरोना मरीज को ठीक
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Published : Apr 28, 2020, 11:42 AM IST

भीलवाड़ा. देश में कोरोना महामारी चल रही है जहा अभी तक कोरोना के बचाव को लेकर किसी प्रकार का कोई इंजेक्शन सामने नहीं आया है. पूरे देश के वैज्ञानिक इनका एंटी डॉट ढूंढने में लगे हुए हैं. वहीं, हाल ही के दिनों में एक रिपोर्ट आई कि प्लाज्मा देने से कोरोना वायरस मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आ सकती है. जिसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा की राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजन नंदा से खास बातचीत की.

प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कर सकते है कोरोना मरीज को ठीक

बता दें, कि राजन नंदा ने कहा के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव मरीज की बॉडी के अन्दर आरबीसी डैमेज हो जाती है जिनकी बॉडी में प्लाज्मा देने से वापस नई आरबीसी डेवलप हो जाती है और वह पूर्ण स्वस्थ हो सकता है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजन नंदा ने कहा, कि इंसान के ब्लड के अंदर आरबीसी सेल्स और प्लाजमा पाये जाते हैं. पूरी बॉडी में आरबीसी 45% और प्लाज्मा 55% ब्लड में पाया जाता है. जो अभी तक समझ में आया है यह आरबीसी बीमारी के बाद से बन्द है, जिससे पेशेंट की बॉडी के अंदर ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है. क्योंकि उस पेशेंट की बॉडी से आरबीसी टूट रही होती है.

उन्होंने बताया, कि जिस तरह मलेरिया में आरबीसी टूटती है उसी तरह आरबीसी कोरोना पॉजिटिव मरीज में भी टूटती है. इसलिए कोरोना पॉजिटिव मरीज में भी मलेरिया की तरह ही इसमें कॉम्प्लिकेशन होते हैं. कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शरीर को आरबीसी टूटने के कारण आक्सीजन पूरी तरह नहीं मिलती है, जिससे इंसान के शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है. जिससे इंसान की बॉडी में हिमोग्लोबिन प्रतिशत बढ़ जाता है और जब हिमोग्लोबिन प्रतिशत बढ़ेगा तो आरबीसी कनसन्ट्रेशन ज्यादा होता है, जिससे ब्लड सप्लाई की ब्लड वेसल टूट जाती है.

पढ़ेंः स्पेशलः प्रवासी मजदूरों का लॉकडाउन दर्द...कहा- हम तो जैसे-तैसे गुजारा कर लेते हैं, लेकिन बच्चों का...

कोरोना पॉजिटिव मरीज को प्लाज्मा देने के सवाल पर डॉ. राजन नंदा ने कहा, कि उनके अंदर आरबीसी डैमेज होने से प्लाज्मा देने से नया आरबीसी उन बॉडी में डेवलप हो जाता है, जिससे कोरोना रिर्पोट नेगेटिव आती है. सामान्य व्यक्ति के शरीर में पांच लीटर रुधिर होता है उस 5 लीटर रुधिर में 55% प्लाज्मा और 45% आरबीसी पाए जाते हैं. सामान्य व्यक्ति जब एक यूनिट ब्लड की डोनेट करता है तो उस 250 ml रक्त में सांद्रण करने पर आरबीसी और प्लाज्मा अलग हो जाता है. उस प्लाज्मा को कोरोना पॉजिटिव मरीज को देने से उनकी आरबीसी डिवेलप हो जाती है और वह मरीज ठीक हो जाता है. अगर भीलवाड़ा में कोरोना पॉजिटिव मरीजों को प्लाज्मा देने की जरूरत पड़ेगी तो यहां किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है.

भीलवाड़ा. देश में कोरोना महामारी चल रही है जहा अभी तक कोरोना के बचाव को लेकर किसी प्रकार का कोई इंजेक्शन सामने नहीं आया है. पूरे देश के वैज्ञानिक इनका एंटी डॉट ढूंढने में लगे हुए हैं. वहीं, हाल ही के दिनों में एक रिपोर्ट आई कि प्लाज्मा देने से कोरोना वायरस मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आ सकती है. जिसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा की राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजन नंदा से खास बातचीत की.

प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कर सकते है कोरोना मरीज को ठीक

बता दें, कि राजन नंदा ने कहा के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव मरीज की बॉडी के अन्दर आरबीसी डैमेज हो जाती है जिनकी बॉडी में प्लाज्मा देने से वापस नई आरबीसी डेवलप हो जाती है और वह पूर्ण स्वस्थ हो सकता है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजन नंदा ने कहा, कि इंसान के ब्लड के अंदर आरबीसी सेल्स और प्लाजमा पाये जाते हैं. पूरी बॉडी में आरबीसी 45% और प्लाज्मा 55% ब्लड में पाया जाता है. जो अभी तक समझ में आया है यह आरबीसी बीमारी के बाद से बन्द है, जिससे पेशेंट की बॉडी के अंदर ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है. क्योंकि उस पेशेंट की बॉडी से आरबीसी टूट रही होती है.

उन्होंने बताया, कि जिस तरह मलेरिया में आरबीसी टूटती है उसी तरह आरबीसी कोरोना पॉजिटिव मरीज में भी टूटती है. इसलिए कोरोना पॉजिटिव मरीज में भी मलेरिया की तरह ही इसमें कॉम्प्लिकेशन होते हैं. कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शरीर को आरबीसी टूटने के कारण आक्सीजन पूरी तरह नहीं मिलती है, जिससे इंसान के शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है. जिससे इंसान की बॉडी में हिमोग्लोबिन प्रतिशत बढ़ जाता है और जब हिमोग्लोबिन प्रतिशत बढ़ेगा तो आरबीसी कनसन्ट्रेशन ज्यादा होता है, जिससे ब्लड सप्लाई की ब्लड वेसल टूट जाती है.

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कोरोना पॉजिटिव मरीज को प्लाज्मा देने के सवाल पर डॉ. राजन नंदा ने कहा, कि उनके अंदर आरबीसी डैमेज होने से प्लाज्मा देने से नया आरबीसी उन बॉडी में डेवलप हो जाता है, जिससे कोरोना रिर्पोट नेगेटिव आती है. सामान्य व्यक्ति के शरीर में पांच लीटर रुधिर होता है उस 5 लीटर रुधिर में 55% प्लाज्मा और 45% आरबीसी पाए जाते हैं. सामान्य व्यक्ति जब एक यूनिट ब्लड की डोनेट करता है तो उस 250 ml रक्त में सांद्रण करने पर आरबीसी और प्लाज्मा अलग हो जाता है. उस प्लाज्मा को कोरोना पॉजिटिव मरीज को देने से उनकी आरबीसी डिवेलप हो जाती है और वह मरीज ठीक हो जाता है. अगर भीलवाड़ा में कोरोना पॉजिटिव मरीजों को प्लाज्मा देने की जरूरत पड़ेगी तो यहां किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है.

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