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भीलवाड़ा में शादी में ढोल, डीजे, आतिशबाजी का इस्तेमाल करने पर काजी नहीं पढ़वाएंगे निकाह

भीलवाड़ा शहर काजी मुफ्ती अशरफ जिलानी अजहरी ने एलान किया है कि मुस्लिम समाज में अगर कोई शादी ढोल, डीजे, आतिशबाजी के साथ होती है तो काजी उनकी शादी में ना तो शामिल होंगे और ना ही उनका निकाह पढ़वाएंगे. यह आदेश उलेमा-ए-अहले-सुन्नत की तरफ से जारी किया गया है.

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भीलवाड़ा में उलेमाओं का फैसला, शादी में ढोल, डीजे, आतिशबाजी का इस्तेमाल किया तो नहीं पढ़वाएंगे निकाह
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Published : Mar 18, 2021, 10:12 PM IST

भीलवाड़ा. शहर काजी मुफ्ती अशरफ जिलानी अजहरी ने एलान किया है कि मुस्लिम समाज में अगर कोई शादी ढोल, डीजे, आतिशबाजी के साथ होती है तो काजी उनकी शादी में ना तो शामिल होंगे और ना ही उनका निकाह पढ़वाएंगे. यह आदेश उलेमा-ए-अहले-सुन्नत की तरफ से जारी किया गया है.

पढे़ं: 400 करोड़ की ठगी करने वाले दीपक की पत्नी दीपिका भी गिरफ्तार

काजी ने इस फैसले को लेकर कहा कि खर्चीली शादियों और दहेज के चलते ही समाज में आयशा जैसे लड़कियां आत्महत्या के लिए मजबूर होती हैं. अगर 18 मार्च के बाद ढोल, डीजे या आतिशबाजी के साथ किसी की बिंदोली या निकासी निकलती है तो सभी उलेमा ना तो शादी में शिरकत करेंगे और ना ही निकाह पढ़वाएंगे. उन्होंने कहा कि समाज में महंगी और खर्चीली शादियों के चलते बुराई आ गई है.

भीलवाड़ा में उलेमाओं का बड़ा फैसला

काजी ने कहा कि इस्लाम में ऐसा कोई भी नियम या चलन नहीं है. बल्कि सादगी से शादी करने का चलन है. उन्होंने कहा कि अच्छी शादी दहेज से नहीं होती है. बल्कि ऐसी जगह शादी करनी चाहिए जहां के लोग अखलाक में बेहतर हों, आदत में बेहतर हों, सुलझे हुए हों. उन्होंने कहा कि आज के दौर में दहेज पर पूर्ण पाबंदी लगनी चाहिए. ताकि किसी दूसरी आयशा को सुसाइड ना करना पड़े.

बता दें कि गुजरात में आयशा नाम की लड़की ने दहेज की मांग से परेशान होकर साबरमती में कूदकर जान दे दी थी. आयशा ने सुसाइड करने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था जो उसके सुसाइड के बाद वायरल हो गया और इसने दहेज जैसे कुप्रथा की ओर लोगों का एक बार फिर से ध्यान खींचा.

भीलवाड़ा. शहर काजी मुफ्ती अशरफ जिलानी अजहरी ने एलान किया है कि मुस्लिम समाज में अगर कोई शादी ढोल, डीजे, आतिशबाजी के साथ होती है तो काजी उनकी शादी में ना तो शामिल होंगे और ना ही उनका निकाह पढ़वाएंगे. यह आदेश उलेमा-ए-अहले-सुन्नत की तरफ से जारी किया गया है.

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काजी ने इस फैसले को लेकर कहा कि खर्चीली शादियों और दहेज के चलते ही समाज में आयशा जैसे लड़कियां आत्महत्या के लिए मजबूर होती हैं. अगर 18 मार्च के बाद ढोल, डीजे या आतिशबाजी के साथ किसी की बिंदोली या निकासी निकलती है तो सभी उलेमा ना तो शादी में शिरकत करेंगे और ना ही निकाह पढ़वाएंगे. उन्होंने कहा कि समाज में महंगी और खर्चीली शादियों के चलते बुराई आ गई है.

भीलवाड़ा में उलेमाओं का बड़ा फैसला

काजी ने कहा कि इस्लाम में ऐसा कोई भी नियम या चलन नहीं है. बल्कि सादगी से शादी करने का चलन है. उन्होंने कहा कि अच्छी शादी दहेज से नहीं होती है. बल्कि ऐसी जगह शादी करनी चाहिए जहां के लोग अखलाक में बेहतर हों, आदत में बेहतर हों, सुलझे हुए हों. उन्होंने कहा कि आज के दौर में दहेज पर पूर्ण पाबंदी लगनी चाहिए. ताकि किसी दूसरी आयशा को सुसाइड ना करना पड़े.

बता दें कि गुजरात में आयशा नाम की लड़की ने दहेज की मांग से परेशान होकर साबरमती में कूदकर जान दे दी थी. आयशा ने सुसाइड करने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था जो उसके सुसाइड के बाद वायरल हो गया और इसने दहेज जैसे कुप्रथा की ओर लोगों का एक बार फिर से ध्यान खींचा.

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