भीलवाड़ा. राजस्थान की राजनीति में उठापटक जारी है. प्रदेश में चल रहे राजनीतिक सियासत का असर अब भीलवाड़ा जिले में भी देखने को मिल रहा है. भीलवाड़ा जिला कांग्रेस कार्यालय वीरान नजर आ रहा है. सचिन पायलट को पद से हटाने के बाद से ही गुर्जर समाज में भारी आक्रोश है. क्योंकि जिले में सबसे ज्यादा गुर्जर मतदाता हैं, ऐसे में भीलवाड़ा जिले में चाहे पक्ष हो या विपक्ष का नेता, सभी सचिन पायलट के खिलाफ बयान देने से कतरा रहे हैं. आने वाले चुनाव को देखते हुए राजनेताओं को डर है कि कहीं उनका वोट बैंक ना छिन जाए.
भीलवाड़ा जिले में कुल 7 विधानसभा क्षेत्र हैं, भीलवाड़ा, मांडल, आसींद, सहाड़ा, जहाजपुर, शाहपुरा व मांडलगढ़. इनमें से मांडल और सहाड़ा में कांग्रेस काबिज है. वहीं भीलवाड़ा, आसींद, शाहपुरा, जहाजपुर और मांडलगढ़ में भाजपा का राज है. यानी 7 विधानसभा में से पांच भाजपा के पास और दो कांग्रेस के पास है. मांडल से कांग्रेस के रामलाल जाट और सहाड़ा से कैलाश त्रिवेदी की जीत हुई थी. जिन्हें फिलहाल सियासी घमासान के चलते एक निजी होटल में बंद करके रखा गया है.
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कांग्रेस पार्टी द्वारा पूर्व उप मुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को पद से हटाने के बाद जिले के गुर्जर समाज के लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है, ऐसे में वर्तमान हालातों को देखते हुए सियासत के मामले में या पायलट के खिलाफ कोई कुछ भी बोलने से बच रहा है.
बता दें कि भीलवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में लगभग चार लाख से ज्यादा गुर्जर मतदाता हैं. जिले के समस्त राजनेताओं को आने वाले चुनाव का डर सता रहा है कि अगर उन्होंने पायलट के खिलाफ बयानबाजी की तो इतनी अधिक संख्या में गुर्जर मतदाताओं से हाथ धोना पड़ सकता है.