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World Heritage Day 2022 : बदनामी का दंश झेल रहा मलाह क्षेत्र कभी था हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र, 8वीं और 10वीं शताब्दी की मूर्तियां आज भी सुरक्षित

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Published : Apr 18, 2022, 4:36 PM IST

भरतपुर का प्राचीन इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है. यहां के दर्जनों गांव ऐसे हैं जिनकी जमीन के नीचे सदियों पुरानी सभ्यताएं (World Heritage Day 2022) आज भी दफन हैं. जिले का एक ऐसा ही क्षेत्र मलाह आज सिर्फ देह व्यापार के धंधे और बदनाम गलियों की वजह से पहचाना जाता है. लेकिन प्राचीन काल में इसकी पहचान ये बदनाम गलियां नहीं थीं, बल्कि इसको सभ्यता, मूर्तिकला और हिंदू धर्म के प्रमुख केंद्र के रूप में पहचाना जाता था. देखिए विश्व धरोहर दिवस पर ये विशेष रिपोर्ट...

Great History of Bharatpur
भरतपुर का मलाह क्षेत्र कभी था हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र

भरतपुर. राजस्थान का इतिहास हमेशा से गौरवान्वित रहा है. इसे वीरों की धरती कहा जाता है, साथ ही राजस्थान सांस्कृतिक विरासत के रूप में काफी समृद्ध रहा है. लेकिन भरतपुर का मलाह क्षेत्र आज बदनाम गलियों की वजह से पहचाना जाताा है. हालांकि, इसका इतिहास ऐसा नहीं रहा है. प्रचीन काल में इस क्षेत्र को सभ्यता, मूर्तिकला और हिंदू धर्म के प्रमुख केंद्र के रूप में पहचाना जाता था. विश्व विरासत दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत आज आपको इसी बदनाम क्षेत्र के समृद्ध इतिहास से रू-ब-रू कराएगा.

हिन्दू धर्म का प्रमुख केंद्र था मलाह : इतिहास के प्रोफेसर सतीश त्रिगुणायत ने बताया कि मलाह क्षेत्र में मिली प्राचीन (Great History of Bharatpur) प्रतिमाओं से इस बात का पता चलता है कि यह क्षेत्र (Malah Area Was Major Center of Hinduism) गुप्त काल एवं मध्य पूर्व काल में हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र रहा होगा. बताया जाता है कि यहां पर उस समय करीब 3 मंदिर स्थित थे, जो कि इसके गौरवशाली इतिहास और हिंदू धर्म के प्रमुख केंद्र के सबसे बड़े गवाह रहे.

क्या कहते हैं प्रोफेसर सतीश त्रिगुणायत ...

8वीं और 10वीं शताब्दी की प्रतिमाएं : प्रो. त्रिगुणायत ने बताया कि भारत विभाजन के समय हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यताएं पाकिस्तान में चली गईं. ऐसी स्थिति में आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भारत में फिर से खुदाई करना शुरू किया. इस दौरान राजस्थान के पुरातत्व विभाग ने राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में खुदाई कर कई सभ्यताओं की खोज की. इसी के तहत भरतपुर जिले के मलाह क्षेत्र में खुदाई के दौरान आठवीं और दसवीं शताब्दी की प्राचीन प्रतिमाएं प्राप्त हुईं. साथ ही कई ताम्र निर्मित अवशेष भी मिले. ये प्राचीन प्रतिमाएं आज भी भरतपुर के राजकीय संग्रहालय में सुरक्षित हैं.

पढ़ें : राजस्थान में यहां दबी है 1100 ई. पू. की 'सभ्यता'...ताम्र, आर्य और महाभारत कालीन सभ्यता के मिले थे अवशेष, अब कचरा घर से होती है पहचान

ऐसी ऐसी बेशकीमती प्रतिमाएं : प्रोफेसर सतीश त्रिगुणायत ने बताया कि मलाह क्षेत्र में खुदाई के दौरान विष्णु के अवतारों में राम, नृसिंह, वाराह, दिकपाल, अग्नि और वरुण की प्रतिमाएं मिलीं. साथ ही रेवन्ता, मातृका ऐन्द्री, परिचारिकाएं, चंवरधारिणी, द्वारपाल, शिवमस्तक, नंदी नृत्यलीन शिव, मंदिरों के शिखर रचनाओं के अंश, बृह्मा, बृह्माणी, कुबेर, स्त्री द्वारपाल और नृत्यरत पुरुष प्रतिमाएं भी मिली हैं. लाल पत्थर और पीले बलुआ पत्थर से निर्मित इन मूर्तियों का शिल्प अद्भुत है.

Bharatpur Museum
भरतपुर संग्रहालय...

पढ़ें : World Heritage Day: फ्री में कीजिये ताज का दीदार, जानें क्या है कारण

मुस्लिम आक्रांताओं ने कर दी खंडित : ऑफिसर सतीश त्रिगुणायत ने बताया कि राजकीय संग्रहालय में मौजूद (Centuries Old Civilizations in Bharatpur) सभी प्रतिमाएं कहीं ना कहीं से खंडित अवस्था में हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि मुस्लिम आक्रांताओं कुतबुद्दीन ऐबक, अलाउद्दीन खिलजी आदि ने उस समय इन हिन्दू आस्था के केंद्रों को ढहा दिया. खंडित प्रतिमाएं इस बात की गवाह हैं.

भरतपुर. राजस्थान का इतिहास हमेशा से गौरवान्वित रहा है. इसे वीरों की धरती कहा जाता है, साथ ही राजस्थान सांस्कृतिक विरासत के रूप में काफी समृद्ध रहा है. लेकिन भरतपुर का मलाह क्षेत्र आज बदनाम गलियों की वजह से पहचाना जाताा है. हालांकि, इसका इतिहास ऐसा नहीं रहा है. प्रचीन काल में इस क्षेत्र को सभ्यता, मूर्तिकला और हिंदू धर्म के प्रमुख केंद्र के रूप में पहचाना जाता था. विश्व विरासत दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत आज आपको इसी बदनाम क्षेत्र के समृद्ध इतिहास से रू-ब-रू कराएगा.

हिन्दू धर्म का प्रमुख केंद्र था मलाह : इतिहास के प्रोफेसर सतीश त्रिगुणायत ने बताया कि मलाह क्षेत्र में मिली प्राचीन (Great History of Bharatpur) प्रतिमाओं से इस बात का पता चलता है कि यह क्षेत्र (Malah Area Was Major Center of Hinduism) गुप्त काल एवं मध्य पूर्व काल में हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र रहा होगा. बताया जाता है कि यहां पर उस समय करीब 3 मंदिर स्थित थे, जो कि इसके गौरवशाली इतिहास और हिंदू धर्म के प्रमुख केंद्र के सबसे बड़े गवाह रहे.

क्या कहते हैं प्रोफेसर सतीश त्रिगुणायत ...

8वीं और 10वीं शताब्दी की प्रतिमाएं : प्रो. त्रिगुणायत ने बताया कि भारत विभाजन के समय हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यताएं पाकिस्तान में चली गईं. ऐसी स्थिति में आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भारत में फिर से खुदाई करना शुरू किया. इस दौरान राजस्थान के पुरातत्व विभाग ने राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में खुदाई कर कई सभ्यताओं की खोज की. इसी के तहत भरतपुर जिले के मलाह क्षेत्र में खुदाई के दौरान आठवीं और दसवीं शताब्दी की प्राचीन प्रतिमाएं प्राप्त हुईं. साथ ही कई ताम्र निर्मित अवशेष भी मिले. ये प्राचीन प्रतिमाएं आज भी भरतपुर के राजकीय संग्रहालय में सुरक्षित हैं.

पढ़ें : राजस्थान में यहां दबी है 1100 ई. पू. की 'सभ्यता'...ताम्र, आर्य और महाभारत कालीन सभ्यता के मिले थे अवशेष, अब कचरा घर से होती है पहचान

ऐसी ऐसी बेशकीमती प्रतिमाएं : प्रोफेसर सतीश त्रिगुणायत ने बताया कि मलाह क्षेत्र में खुदाई के दौरान विष्णु के अवतारों में राम, नृसिंह, वाराह, दिकपाल, अग्नि और वरुण की प्रतिमाएं मिलीं. साथ ही रेवन्ता, मातृका ऐन्द्री, परिचारिकाएं, चंवरधारिणी, द्वारपाल, शिवमस्तक, नंदी नृत्यलीन शिव, मंदिरों के शिखर रचनाओं के अंश, बृह्मा, बृह्माणी, कुबेर, स्त्री द्वारपाल और नृत्यरत पुरुष प्रतिमाएं भी मिली हैं. लाल पत्थर और पीले बलुआ पत्थर से निर्मित इन मूर्तियों का शिल्प अद्भुत है.

Bharatpur Museum
भरतपुर संग्रहालय...

पढ़ें : World Heritage Day: फ्री में कीजिये ताज का दीदार, जानें क्या है कारण

मुस्लिम आक्रांताओं ने कर दी खंडित : ऑफिसर सतीश त्रिगुणायत ने बताया कि राजकीय संग्रहालय में मौजूद (Centuries Old Civilizations in Bharatpur) सभी प्रतिमाएं कहीं ना कहीं से खंडित अवस्था में हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि मुस्लिम आक्रांताओं कुतबुद्दीन ऐबक, अलाउद्दीन खिलजी आदि ने उस समय इन हिन्दू आस्था के केंद्रों को ढहा दिया. खंडित प्रतिमाएं इस बात की गवाह हैं.

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