भरतपुर. कोरोना के संक्रमण काल में भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान फिलहाल पर्यटकों के लिए बंद है. लेकिन मुसाफिर पंछियों के लिए ये हरी-भरी दुनिया साल भर ओपन रहती है. यहां देश-विदेश के कुल 375 प्रजातियों के पक्षी आते हैं, इनमें विदेशी प्रजातियों की तादाद लगभग 200 है. विश्व प्रवासी पक्षी दिवस के अवसर पर देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट
प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए और इस संबंध में लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया जाता है. विश्व प्रवासी पक्षी दिवस की बात भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी विहार के बिना अधूरी है. घना 2873 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है. घना चारों तरफ से करीब 2 मीटर ऊंची दीवार से सुरक्षित है. सहायक वन संरक्षक अभिषेक शर्मा कहते हैं कि यहां पक्षियों को पूरी सुरक्षा और भरपूर भोजन मिलता है. यही वजह है कि हजारों मील का सफर तय कर के सैकड़ों प्रजाति के प्रवासी पक्षी यहां आते हैं.
घना में मिलती है सुरक्षा और भरपूर भोजन
विदेशों में जब तापमान माइनस में चला जाता है और बर्फ की परतों में पक्षियों का पूरा भोजन/वनस्पति और आवास नष्ट हो जाते हैं तब ये पक्षी सुरक्षित आवास और भोजन की तलाश में घना आते हैं. यहां उनको सुरक्षित आवास और भरपूर भोजन उपलब्ध हो जाता है.
इन प्रजातियों के पक्षी आते हैं घना
सहायक वनपाल धर्म सिंह कहते हैं कि घना में ग्रेल लेक गीज, बार हेडेड गीज, कूट, पिण्टेल, पोचर्ड, मेलार्ड, कॉमन क्रेन, हाइड्रोला, कारा, यूटीकेरिया, ऑस्प्रे समेत करीब 200 प्रजाति के विदेशी प्रवासी पक्षी सितंबर से मार्च तक प्रवास करते हैं. उसके बाद इनके मूल स्थान का मौसम सामान्य होने पर यहां से वापस अपने देश लौट जाते हैं.
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सहायक वन संरक्षक अभिषेक शर्मा ने बताया कि घना में प्रवास के दौरान पक्षियों और उनके घरौंदों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है. इसके लिए घना में ट्रैप कैमरे और अन्य प्रकार के उपकरण लगे हुए हैं. साथ ही पूरा फील्ड स्टाफ भी नियमित मॉनिटरिंग करता है.
कोरोना के कारण प्रवेश बंद
अभिषेक शर्मा ने बताया कि कोरोना के कारण गत वर्ष घना (ghana Bird Sanctuary) में करीब 3-4 माह तक पर्यटकों का प्रवेश बैंद किया गया था. इस साल भी कोरोना संक्रमण के कारण उद्यान में पर्यटकों का प्रवेश आगामी आदेश तक बंद कर दिया गया है.
कुल मिलाकर, दुनिया जिस दौर से गुजर रही है, उसे समझा आ रहा होगा कि धरती सिर्फ इंसानों के लिए नहीं है. कुदरत का संतुलन करने के लिए जंगल, नदियां, पहाड़, जीव-जंतु और पक्षियों का होना बेहद जरूरी है. ये चिंता की बात है कि साइबेरियन क्रेन का घना आना लगभग बंद हो चुका है. हजारों की तादाद में पक्षियों की मौत भी चिंता पैदा करती है. इसलिए जरूरी है कि दुनिया को खूबसूरत बनाए रखने के लिए इंसान पर्यावरण और पर्यावरण के इन मित्रों को बचाए.
तस्वीरों में देखिये घना की खूबसूरती