भरतपुर. हमारे देश में जब भी शादियां होती हैं तो सफेद रंग के घोड़ी की सबसे ज्यादा डिमांड की जाती है, क्योंकि दूल्हे सफेद रंग के घोड़ी पर ही बैठना ज्यादा पसंद करते हैं और मान्यताओं के अनुसार इसे शुभ माना जाता है. शादियों के मौसम में इन घोड़ों की डिमांड इतनी होती है कि घोड़े मालिकों को चंद घंटों के ही 5 हजार से ज्यादा रुपए मिल जाते हैं. लेकिन जब से कोरोना महामारी फैली है, तब से यह व्यापार पूरी तरह से ठप हो चुका है.
शादियों का कार्यक्रम बंद होने से घोड़े मालिकों के पास अब अपने परिवार को पालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में घोड़ों की हालत भी बद से बदतर होती जा रही है. जब से ये महामारी फैली है, तब से सफेद रंग के घोड़े तबेलों में ही खड़े हैं. घोड़े मालिक जैसे-तैसे कर अपने घोड़ों को एक समय का खाना खिला पा रहे हैं.
आधुनिकता ने छिनी बग्गियां...
अब घोड़े बग्गियों में भी नहीं चल पा रहे, क्योंकि शहर में लगे कर्फ्यू के बाद सभी प्रकार के व्यापार बंद कर दिए गए हैं और वर्तमान में ई-रिक्शा, ऑटो ने बग्गियों को पीछे छोड़ दिया है. लोग अब बग्गियों में बैठना भी पसंद नहीं करते हैं.
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घोड़े व्यापारियों का कहना है कि उनके पास जो घोड़े हैं, उनकी काफी हालात खराब है. पहले घोड़ों को दो समय का खाना दिया जाता था, लेकिन अब एक समय का खाना देकर उनका गुजर-बसर कर रहे हैं. अगर इनको बेचना भी चाहें, तो अब ये घोड़े आधे दामों में बिकेंगे. अगर देश में ऐसे ही माहौल चलता रहा तो सभी घोड़े भूख की वजह से मर जाएंगे.
घर का चूल्हा जलना हुआ मुश्किल...
व्यपारियों ने बताया कि ये घोड़े सिर्फ शादियों के लिए उपयोग में लिए जाते थे, लेकिन अब इनका कोई उपयोग नहीं हो रहा. लॉकडाउन के बाद स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि व्यापारी अपने बच्चों का पेट भरें या इन घोड़ों का. ऐसे में घोड़ों का व्यापार पूरी तरह से चौपाट हो चुका है. व्यवसायियों का कहना है कि सरकार को इनके बारे में भी कुछ सोचना चाहिए. नहीं तो व्यपारियों और घोड़ों को दो वक्त का खाना मिल पाना भी मुश्किल हो जाएगा.