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Special : लॉकडाउन के दौरान संकट में आई दूल्हे की सवारी, पालन-पोषण भी हुआ मुश्किल

लॉकडाउन के कारण देशभर में सभी काम रुक से गए हैं. गर्मियों का मौसम शादियों का मौसम माना जाता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से शादियां भी कैंसिल हो चुकी हैं या उनकी तारीखें बढ़ा दी गई हैं. हालांकि, कुछ लोग इस दौरान सादगी से सात फेरे ले रहे हैं, लेकिन इस पेशे से जुड़े टेंट, गार्डन और बैंड व्यवसाय पर खासा असर पड़ा है. इसके साथ ही शादियों में दूल्हे को चार-चांद लगाने वाले सफेद घोड़ों के लालन-पालन पर भी संकट गहरा गया है.

लॉकडाउन इफैक्ट्स, घोड़ों पर लॉकडाउन का प्रभाव, lockdown effect on horse, special story of etv bharat
लॉकडाउन की वजह से घोड़ा व्यवसायियों को भारी नुकसान
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Published : Jun 5, 2020, 12:55 PM IST

भरतपुर. हमारे देश में जब भी शादियां होती हैं तो सफेद रंग के घोड़ी की सबसे ज्यादा डिमांड की जाती है, क्योंकि दूल्हे सफेद रंग के घोड़ी पर ही बैठना ज्यादा पसंद करते हैं और मान्यताओं के अनुसार इसे शुभ माना जाता है. शादियों के मौसम में इन घोड़ों की डिमांड इतनी होती है कि घोड़े मालिकों को चंद घंटों के ही 5 हजार से ज्यादा रुपए मिल जाते हैं. लेकिन जब से कोरोना महामारी फैली है, तब से यह व्यापार पूरी तरह से ठप हो चुका है.

लॉकडाउन की वजह से घोड़ा व्यवसायियों को भारी नुकसान

शादियों का कार्यक्रम बंद होने से घोड़े मालिकों के पास अब अपने परिवार को पालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में घोड़ों की हालत भी बद से बदतर होती जा रही है. जब से ये महामारी फैली है, तब से सफेद रंग के घोड़े तबेलों में ही खड़े हैं. घोड़े मालिक जैसे-तैसे कर अपने घोड़ों को एक समय का खाना खिला पा रहे हैं.

लॉकडाउन इफैक्ट्स, घोड़ों पर लॉकडाउन का प्रभाव, lockdown effect on horse, special story of etv bharat
घोड़ों के लालन-पालन में आ रही मुश्किलें

आधुनिकता ने छिनी बग्गियां...

अब घोड़े बग्गियों में भी नहीं चल पा रहे, क्योंकि शहर में लगे कर्फ्यू के बाद सभी प्रकार के व्यापार बंद कर दिए गए हैं और वर्तमान में ई-रिक्शा, ऑटो ने बग्गियों को पीछे छोड़ दिया है. लोग अब बग्गियों में बैठना भी पसंद नहीं करते हैं.

लॉकडाउन इफैक्ट्स, घोड़ों पर लॉकडाउन का प्रभाव, lockdown effect on horse, special story of etv bharat
शादियों के सीजन में सफेद घोड़ों की होती है डिमांड

यह भी पढ़ें- पर्यावरण दिवस विशेष: भीलवाड़ा में कपड़ा कारखानों से निकलने वाले केमिकल और जहरीली गैसों से हवा में घुल रहा जहर

घोड़े व्यापारियों का कहना है कि उनके पास जो घोड़े हैं, उनकी काफी हालात खराब है. पहले घोड़ों को दो समय का खाना दिया जाता था, लेकिन अब एक समय का खाना देकर उनका गुजर-बसर कर रहे हैं. अगर इनको बेचना भी चाहें, तो अब ये घोड़े आधे दामों में बिकेंगे. अगर देश में ऐसे ही माहौल चलता रहा तो सभी घोड़े भूख की वजह से मर जाएंगे.

लॉकडाउन इफैक्ट्स, घोड़ों पर लॉकडाउन का प्रभाव, lockdown effect on horse, special story of etv bharat
वर्तमान में अस्तबल में ही खड़े रहते हैं ये घोड़े

घर का चूल्हा जलना हुआ मुश्किल...

व्यपारियों ने बताया कि ये घोड़े सिर्फ शादियों के लिए उपयोग में लिए जाते थे, लेकिन अब इनका कोई उपयोग नहीं हो रहा. लॉकडाउन के बाद स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि व्यापारी अपने बच्चों का पेट भरें या इन घोड़ों का. ऐसे में घोड़ों का व्यापार पूरी तरह से चौपाट हो चुका है. व्यवसायियों का कहना है कि सरकार को इनके बारे में भी कुछ सोचना चाहिए. नहीं तो व्यपारियों और घोड़ों को दो वक्त का खाना मिल पाना भी मुश्किल हो जाएगा.

भरतपुर. हमारे देश में जब भी शादियां होती हैं तो सफेद रंग के घोड़ी की सबसे ज्यादा डिमांड की जाती है, क्योंकि दूल्हे सफेद रंग के घोड़ी पर ही बैठना ज्यादा पसंद करते हैं और मान्यताओं के अनुसार इसे शुभ माना जाता है. शादियों के मौसम में इन घोड़ों की डिमांड इतनी होती है कि घोड़े मालिकों को चंद घंटों के ही 5 हजार से ज्यादा रुपए मिल जाते हैं. लेकिन जब से कोरोना महामारी फैली है, तब से यह व्यापार पूरी तरह से ठप हो चुका है.

लॉकडाउन की वजह से घोड़ा व्यवसायियों को भारी नुकसान

शादियों का कार्यक्रम बंद होने से घोड़े मालिकों के पास अब अपने परिवार को पालने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में घोड़ों की हालत भी बद से बदतर होती जा रही है. जब से ये महामारी फैली है, तब से सफेद रंग के घोड़े तबेलों में ही खड़े हैं. घोड़े मालिक जैसे-तैसे कर अपने घोड़ों को एक समय का खाना खिला पा रहे हैं.

लॉकडाउन इफैक्ट्स, घोड़ों पर लॉकडाउन का प्रभाव, lockdown effect on horse, special story of etv bharat
घोड़ों के लालन-पालन में आ रही मुश्किलें

आधुनिकता ने छिनी बग्गियां...

अब घोड़े बग्गियों में भी नहीं चल पा रहे, क्योंकि शहर में लगे कर्फ्यू के बाद सभी प्रकार के व्यापार बंद कर दिए गए हैं और वर्तमान में ई-रिक्शा, ऑटो ने बग्गियों को पीछे छोड़ दिया है. लोग अब बग्गियों में बैठना भी पसंद नहीं करते हैं.

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शादियों के सीजन में सफेद घोड़ों की होती है डिमांड

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घोड़े व्यापारियों का कहना है कि उनके पास जो घोड़े हैं, उनकी काफी हालात खराब है. पहले घोड़ों को दो समय का खाना दिया जाता था, लेकिन अब एक समय का खाना देकर उनका गुजर-बसर कर रहे हैं. अगर इनको बेचना भी चाहें, तो अब ये घोड़े आधे दामों में बिकेंगे. अगर देश में ऐसे ही माहौल चलता रहा तो सभी घोड़े भूख की वजह से मर जाएंगे.

लॉकडाउन इफैक्ट्स, घोड़ों पर लॉकडाउन का प्रभाव, lockdown effect on horse, special story of etv bharat
वर्तमान में अस्तबल में ही खड़े रहते हैं ये घोड़े

घर का चूल्हा जलना हुआ मुश्किल...

व्यपारियों ने बताया कि ये घोड़े सिर्फ शादियों के लिए उपयोग में लिए जाते थे, लेकिन अब इनका कोई उपयोग नहीं हो रहा. लॉकडाउन के बाद स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि व्यापारी अपने बच्चों का पेट भरें या इन घोड़ों का. ऐसे में घोड़ों का व्यापार पूरी तरह से चौपाट हो चुका है. व्यवसायियों का कहना है कि सरकार को इनके बारे में भी कुछ सोचना चाहिए. नहीं तो व्यपारियों और घोड़ों को दो वक्त का खाना मिल पाना भी मुश्किल हो जाएगा.

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