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Exclusive : बेटियां कबड्डी के मैदान में ही नहीं, जिंदगी के मैदान में भी अच्छा संतुलन बनाएंगी : शालिनी पाठक

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Published : Mar 8, 2021, 12:22 PM IST

Updated : Mar 8, 2021, 2:04 PM IST

पूरी दुनिया 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाती है. इस अवसर पर ईटीवी भारत के साथ राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने विशेष बातचीत की. कबड्डी खिलाड़ी और राजस्थान पुलिस में डीवाईएसपी (DySP) शालिनी पाठक ने प्रदेश के साथ ही देशभर के माता-पिता से अपनी बेटियों को खेल के मैदान और विशेष रूप से कबड्डी में आगे बढ़ाने की अपील की. सुनिये उन्होंने और क्या कहा...

shalini pathak exclusive interview with etv bharat
माता -पिता बेटियों को खेलों में आगे बढ़ाएं

भरतपुर. राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान माता-पिता से बेटियों को खेलों में आगे बढ़ाने की अपील की. उन्होंने कहा कि बेटियां कबड्डी के मैदान में ही नहीं, बल्कि जिंदगी के मैदान में भी अच्छा संतुलन बनाएंगी. इसलिए प्रदेश और देश के हर माता-पिता अपने बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाने के लिए उनका साथ दें.

माता-पिता बेटियों को खेलों में आगे बढ़ाएं...

जिंदगी में भी संतुलन बना कर चलती हैं बेटियां...

प्रदेश की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने कहा कि सभी माता-पिता को अपनी बेटियों को कबड्डी खेल में आगे बढ़ाना चाहिए. कबड्डी खेल एक मेल और संतुलन का खेल है. जिस तरह से बेटियां कबड्डी के मैदान में संतुलन बनाकर रखती हैं, उसी तरह से शादी के बाद दो परिवारों के बीच भी बराबर संतुलन बनाकर रखती हैं. इसलिए माता-पिता को अपनी बेटियों को खेल के मैदान में आगे बढ़ाना चाहिए.

परिजनों को चोट लगने की चिंता थी...

DySP शालिनी पाठक ने बताया कि मूलतः कबड्डी हिंदुस्तान में मिट्टी और गांव का खेल है. जब उन्होंने अपने परिजनों को बताया कि वह अपना कैरियर कबड्डी खेल में बनाना चाहती हैं, तो उनके परिजनों ने थोड़ी सी चिंता जाहिर की. क्योंकि कबड्डी खेल में घुटने और कोहनी की चोट की आशंका बनी रहती है. इसलिए शुरुआत में परिजनों का मानना था कि वो कबड्डी की बजाय कोई ऐसा खेल चुनें जिसमें चोट लगने की आशंका ना हो. लेकिन शालिनी पाठक के पिता खुद एक राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी रह चुके हैं और भाई भी राष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता बॉक्सर रह चुके हैं. इसलिए बाद में सभी परिजन कबड्डी को लेकर सहमत हो गए.

पढ़ें : Special : मेडिकल एंट्रेंस में छात्राओं का दबदबा, रजिस्ट्रेशन से लेकर मेरिट तक में लड़कों पर भारी

आजकल कबड्डी सेफ गेम...

शालिनी पाठक ने बताया कि आजकल कबड्डी खेल एक साइंटिफिक गेम है. इसके प्रशिक्षण में कोच 1-1 मसल्स पर पूरा ध्यान देते हैं, ताकि कम से कम चोट लगने की आशंका रहे. इसलिए जो माता-पिता अपनी बेटियों को कबड्डी खिलाने के बारे में संकोच कर रहे हैं, उनकी बेटियों के लिए कबड्डी एकदम सुरक्षित खेल है.

शालिनी पाठक की उपलब्धियां...

  • राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी
  • वर्ष 2006 में साउथ एशियन गेम श्रीलंका में भागीदार, गोल्ड मेडल
  • वर्ष 2018 में एशियाई गेम जकार्ता में भाग लिया, सिल्वर मेडल

खेल से संवरी जिंदगी...

शालिनी पाठक ने बताया कि शुरू से ही परिवार में खेलों का माहौल था, इसलिए कबड्डी के माध्यम से ही वर्ष 2008 में राजस्थान पुलिस में उप निरीक्षक के रूप में भर्ती हुई. उसके बाद वर्ष 2015 में पदोन्नति से निरीक्षक बनीं और अब आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत हाल ही में डीवाईएसपी बनी हैं.

गर्ल्स में भी जल्द ही प्रो-कबड्डी आने वाला है...

शालिनी पाठक ने बताया कि जिस तरह से पुरुषों में प्रो-कबड्डी आ गया है, उसी तरह से आगामी दो-तीन वर्षों में गर्ल्स के लिए भी प्रो-कबड्डी गेम्स की शुरुआत होने वाली है. अब कबड्डी राष्ट्रीय स्तर का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल बन चुका है. पूरी दुनिया के 33 देशों में यह खेल खेला जा रहा है. यदि 50 देशों में इस खेल को खेलना शुरू कर दिया जाता है तो ये इंटरनेशनल गेम्स में शामिल हो जाएगा.

गौरतलब है कि भरतपुर में हाल ही में 68वीं राज्य स्तरीय सीनियर कबड्डी प्रतियोगिता सम्पन्न हुई है, जिसमें प्रदेश की 21 महिला कबड्डी टीमों ने भाग लिया. राजस्थान पुलिस में 16 महिला कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिनको डीवाईएसपी शालिनी पाठक खुद कोचिंग देती हैं. साथ ही पुरुष टीम को भी गाइड करती हैं.

भरतपुर. राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान माता-पिता से बेटियों को खेलों में आगे बढ़ाने की अपील की. उन्होंने कहा कि बेटियां कबड्डी के मैदान में ही नहीं, बल्कि जिंदगी के मैदान में भी अच्छा संतुलन बनाएंगी. इसलिए प्रदेश और देश के हर माता-पिता अपने बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाने के लिए उनका साथ दें.

माता-पिता बेटियों को खेलों में आगे बढ़ाएं...

जिंदगी में भी संतुलन बना कर चलती हैं बेटियां...

प्रदेश की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी शालिनी पाठक ने कहा कि सभी माता-पिता को अपनी बेटियों को कबड्डी खेल में आगे बढ़ाना चाहिए. कबड्डी खेल एक मेल और संतुलन का खेल है. जिस तरह से बेटियां कबड्डी के मैदान में संतुलन बनाकर रखती हैं, उसी तरह से शादी के बाद दो परिवारों के बीच भी बराबर संतुलन बनाकर रखती हैं. इसलिए माता-पिता को अपनी बेटियों को खेल के मैदान में आगे बढ़ाना चाहिए.

परिजनों को चोट लगने की चिंता थी...

DySP शालिनी पाठक ने बताया कि मूलतः कबड्डी हिंदुस्तान में मिट्टी और गांव का खेल है. जब उन्होंने अपने परिजनों को बताया कि वह अपना कैरियर कबड्डी खेल में बनाना चाहती हैं, तो उनके परिजनों ने थोड़ी सी चिंता जाहिर की. क्योंकि कबड्डी खेल में घुटने और कोहनी की चोट की आशंका बनी रहती है. इसलिए शुरुआत में परिजनों का मानना था कि वो कबड्डी की बजाय कोई ऐसा खेल चुनें जिसमें चोट लगने की आशंका ना हो. लेकिन शालिनी पाठक के पिता खुद एक राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी रह चुके हैं और भाई भी राष्ट्रीय स्तर के पदक विजेता बॉक्सर रह चुके हैं. इसलिए बाद में सभी परिजन कबड्डी को लेकर सहमत हो गए.

पढ़ें : Special : मेडिकल एंट्रेंस में छात्राओं का दबदबा, रजिस्ट्रेशन से लेकर मेरिट तक में लड़कों पर भारी

आजकल कबड्डी सेफ गेम...

शालिनी पाठक ने बताया कि आजकल कबड्डी खेल एक साइंटिफिक गेम है. इसके प्रशिक्षण में कोच 1-1 मसल्स पर पूरा ध्यान देते हैं, ताकि कम से कम चोट लगने की आशंका रहे. इसलिए जो माता-पिता अपनी बेटियों को कबड्डी खिलाने के बारे में संकोच कर रहे हैं, उनकी बेटियों के लिए कबड्डी एकदम सुरक्षित खेल है.

शालिनी पाठक की उपलब्धियां...

  • राजस्थान की पहली अंतरराष्ट्रीय महिला कबड्डी खिलाड़ी
  • वर्ष 2006 में साउथ एशियन गेम श्रीलंका में भागीदार, गोल्ड मेडल
  • वर्ष 2018 में एशियाई गेम जकार्ता में भाग लिया, सिल्वर मेडल

खेल से संवरी जिंदगी...

शालिनी पाठक ने बताया कि शुरू से ही परिवार में खेलों का माहौल था, इसलिए कबड्डी के माध्यम से ही वर्ष 2008 में राजस्थान पुलिस में उप निरीक्षक के रूप में भर्ती हुई. उसके बाद वर्ष 2015 में पदोन्नति से निरीक्षक बनीं और अब आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत हाल ही में डीवाईएसपी बनी हैं.

गर्ल्स में भी जल्द ही प्रो-कबड्डी आने वाला है...

शालिनी पाठक ने बताया कि जिस तरह से पुरुषों में प्रो-कबड्डी आ गया है, उसी तरह से आगामी दो-तीन वर्षों में गर्ल्स के लिए भी प्रो-कबड्डी गेम्स की शुरुआत होने वाली है. अब कबड्डी राष्ट्रीय स्तर का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल बन चुका है. पूरी दुनिया के 33 देशों में यह खेल खेला जा रहा है. यदि 50 देशों में इस खेल को खेलना शुरू कर दिया जाता है तो ये इंटरनेशनल गेम्स में शामिल हो जाएगा.

गौरतलब है कि भरतपुर में हाल ही में 68वीं राज्य स्तरीय सीनियर कबड्डी प्रतियोगिता सम्पन्न हुई है, जिसमें प्रदेश की 21 महिला कबड्डी टीमों ने भाग लिया. राजस्थान पुलिस में 16 महिला कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिनको डीवाईएसपी शालिनी पाठक खुद कोचिंग देती हैं. साथ ही पुरुष टीम को भी गाइड करती हैं.

Last Updated : Mar 8, 2021, 2:04 PM IST
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