भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर में नाबालिग से कुकर्म के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. इस मामले में आरोपी जज और दो अन्य आरोपियों को कोर्ट से (Judge Accused of Misdemeanor Got Bail) बेल मिल गई है.
पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्हें न्यायालय से बुधवार शाम 4.15 बजे सुनवाई का समय मिला था, लेकिन न्यायालय ने दोपहर 2 बजे ही सुनवाई कर आरोपियों को बेल दे दी. ऐसे में पीड़ित परिवार ने न्यायपालिका पर सवाल खड़े करते हुए पक्षपात का आरोप लगाया है.
पीड़ित बच्चे के मामा ने बताया कि मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय जयपुर में चल रही थी. यहां पर न्यायाधीश ने 9 मार्च को सुनवाई की तारीख दी, लेकिन उस दिन सुनवाई नहीं हो सकी और अगली तारीख 10 मार्च दे दी गई. ऐसे ही 10 मार्च के बाद में 11 मार्च, 14 मार्च तारीख दी गई, लेकिन किसी दिन सुनवाई नहीं हुई. न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के लिए 16 मार्च को शाम 4.15 बजे का समय दिया, लेकिन सुनवाई बुधवार को शाम 4.15 बजे के बजाए दोपहर 2 बजे कर दी गई और तीनों आरोपियों को बेल दे दी गई.
धोखे से बेल देने का आरोप : पीड़ित बच्चे के मामा ने न्यायपालिका पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया कि निर्धारित समय से पहले सुनवाई कर बेल दे दिया जाना गलत है. जबकि सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष के वकील को न तो बुलाया गया और न सुना गया. ऐसे में तीनों आरोपियों को धोखे से बेल दे दी गई. जब पीड़ित पक्ष और उसका वकील शाम 4.15 बजे न्यायालय पहुंचे तो पता चला कि दोपहर 2 बजे सुनवाई हो गई है और तीनों आरोपियों को बेल दे दी गई है.
ऐसे न्याय नहीं मिल सकता : बच्चे के मामा ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूरी न्यायपालिका भ्रष्ट है और बिकी हुई है. ऐसे पीड़ित को न्याय नहीं मिल सकता. उन्होंने कहा कि अपराधी न्यायपालिका से जुड़े हुए हैं, इसलिए आरोपियों ने जज को मैनेज किया है.
बेल खारिज कर पुनः सुनवाई हो : पीड़ित बच्चे के परिजनों ने न्यायपालिका से मांग की है कि तीनों आरोपियों की बेल खारिज की जाए और इस मामले की फिर से सुनवाई की जाए, ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके. पीड़ित परिवार ने इस पूरे मामले की जांच करने की मांग की है.
कब-क्या हुआ : 28 अक्टूबर 2021 को शाम 4 बजे जज जितेंद्र क्लब से खेलने के बाद बच्चे को घर छोड़ने आया. उस दौरान पीड़ित की मां ने जज को बच्चे के साथ गलत हरकत करते देख लिया. मां के सामने बच्चे ने यौन दुराचार के सिलसिले की बात बताई. 29 अक्टूबर को पीड़ित की मां ने बच्चे को खेलने के लिए नहीं भेजा, जिस पर जज जितेंद्र गुलिया, अंशुल सोनी, राहुल कटारा, एसीबी सीओ पीएल यादव और पुलिस कर्मी पीड़ित बच्चे के घर आए और बच्चे को जज साहब के घर भेजने का दबाव डालने लगे. नहीं भेजने पर जेल में सड़वाने की धमकी दी.
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29 अक्टूबर की रात को जज जितेंद्र का पीड़ित की मां के पास फोन पहुंचा और पीड़ित की मां को धमकाने की कोशिश की. पीड़ित की मां ने जब बताया कि बच्चे ने पूरी घटना उसे बता दी है, तो जज ने फोन काट दिया. 30 अक्टूबर को दोपहर 11.55 बजे जज जितेंद्र, राहुल कटारा और अंशुल सोनी घर आए और बच्चे के साथ किए कुकर्म के लिए माफी मांगी. इसके बाद बाल आयोग ने मामले में संज्ञान लिया और दबाव बढ़ाया. आरोपी जज और लिपिकों को सस्पेंड कर जेल भेज दिया गया.