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'क्या भारतीय न्यायपालिका पर हिंदू और उच्च जाति के लोगों के वर्चस्व है', पूर्व सीजेआई ने दिया ये जवाब - EX CJI D Y CHANDRACHUD

देश के पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायपालिका से जुड़े कई तथ्यों का दिया जवाब. वंशवाद के आरोप पर भी बोले. जानें क्या कहा.

Former Chief Justice of India D.Y. Chandrachud
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 13, 2025, 6:53 PM IST

Updated : Feb 13, 2025, 7:44 PM IST

नई दिल्ली : भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने देश के न्यायपालिका में वंशवाद और पुरुष, हिंदू और अपर कास्ट के वर्चस्व होने से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि निचली कोर्ट में 50 फीसदी महिलाओं की नियुक्ति हुई है और यह संख्या और बढ़ेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि ज्यूडिशियरी में ऊंचे और जिम्मेदार पदों पर भी महिलाएं होंगी.

पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने उक्त बातें स्टीफन सेकुर के सवालों के जवाब में कहीं. स्टीफन ने उनसे पूछा कि क्या भारत की न्यालपालिका में वंशवाद है और क्या एलीट क्लास, अपर कास्ट और पुरुषों का वर्चस्व है. साथ ही उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता और पूर्व सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ का हवाला देते हुए वंशवाद पर प्रश्न पूछा.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इन बातों से पूरी तरह से सहमत नहीं हैं, बल्कि जो बातें पूछी गई हैं स्थिति उससे एकदम विपरीत है. उन्होंने कहा कि निचली अदालतें न्यायपालिका का आधार हैं और वहां यदि देखेंगे तो जो नई भर्तियां हुई हैं, उनमें 50 प्रतिशत महिलाएं हैं. कई राज्य ऐसे भी हैं, जहां की जिला अदालतों में 60 से 70 प्रतिशत महिलाएं नियुक्त की गई हैं. पूर्व सीजेआई ने कहा कि जहां तक हायर ज्यूडिशियरी की बात है तो वो अभी दस साल पहले के कानून के प्रोफेशन को दर्शाती हैं और आने वाले समय में बड़े पदों पर महिलाओं की भागीदारी देखी जाएगी. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अभी निचली अदालतों में महिलाओं की नियुक्ति हो रही है और जल्द ही बड़े और जिम्मेदार पदों पर महिलाएं होंगी.

उन्होंने कहा कि अभी शिक्षा विशेष रूप से कानून की शिक्षा की पहुंच महिलाओं तक बढ़ी है. वहीं लॉ स्कूल और कॉलेज में जेंडर बैलेंस दिखता है वो अब भारतीय न्यायपालिका के निचले स्तर पर भी नजर आने लगा है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां तक लिंग संतुलन की बात है जिला अदालतों में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है और आने वाले समय में और इजाफा होगा.

वहीं वंशवाद के प्रश्न पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके पिता ने उनसे कहा था कि जब तक वह जज हैं तब तक पूर्व सीजेआई किसी कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करें. इस वजह से जस्टिस चंद्रचूड़ मे हार्वर्ड लॉ स्कूल में तीन साल पढ़ाई की. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी प्रैक्टिस तब शुरू की जब उनके पिता रिटायर हो गए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि वह देखेंगे तो अधिकतर वकील और जज वो हैं जो पहली बार लीगल प्रोफेशन में आए हैं, यानी उनका बैकग्राउंड लॉ का नहीं है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां एलीट क्लास, अपर कास्ट, हिंदुओं के वर्चस्व का सवाल है तो स्थिति इसके एकदम विपरीत है, भारतीय न्यायपालिका में ऐसा कुछ भी नहीं है.

अनुच्छेद 370 का फैसला
स्टीफन सेकुर ने कहा कि कई कानूनी विद्वान अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने वाले न्यायालय के फैसले से बहुत निराश हैं. इस पर पूर्व सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 370, जब इसे संविधान में पेश किया गया था, तो यह संक्रमणकालीन व्यवस्था या संक्रमणकालीन प्रावधानों नामक अध्याय का हिस्सा था और बाद में इसका नाम बदलकर अस्थायी और संक्रमणकालीन प्रावधान कर दिया गया. इसलिए, संविधान के जन्म के समय यह धारणा थी कि जो संक्रमणकालीन था, उसे समाप्त होना होगा और संविधान के पाठ और संदर्भ के साथ विलय करना होगा. उन्होंने कहा कि क्या 75 साल से अधिक एक संक्रमणकालीन प्रावधान को निरस्त करने के लिए बहुत कम है.

वहीं सेकुर ने कहा कि जम्मू और कश्मीर को एक राज्य से संघीय केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल होनी चाहिए और वहां अब लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार है. उन्होंने बताया कि शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है और इसकी बहाली के लिए समयसीमा तय की है. राज्य के सवाल पर पूर्व सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक वचन दिया है कि जम्मू-कश्मीर का दर्जा बरकरार रखा जाएगा.

ये भी पढ़ें- ‘अगर मैंने कभी कोर्ट में किसी को ठेस पहुंचाई है, तो कृपया मुझे माफ कर दें’, सीजेआई ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर कहा

नई दिल्ली : भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने देश के न्यायपालिका में वंशवाद और पुरुष, हिंदू और अपर कास्ट के वर्चस्व होने से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि निचली कोर्ट में 50 फीसदी महिलाओं की नियुक्ति हुई है और यह संख्या और बढ़ेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि ज्यूडिशियरी में ऊंचे और जिम्मेदार पदों पर भी महिलाएं होंगी.

पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने उक्त बातें स्टीफन सेकुर के सवालों के जवाब में कहीं. स्टीफन ने उनसे पूछा कि क्या भारत की न्यालपालिका में वंशवाद है और क्या एलीट क्लास, अपर कास्ट और पुरुषों का वर्चस्व है. साथ ही उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता और पूर्व सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ का हवाला देते हुए वंशवाद पर प्रश्न पूछा.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इन बातों से पूरी तरह से सहमत नहीं हैं, बल्कि जो बातें पूछी गई हैं स्थिति उससे एकदम विपरीत है. उन्होंने कहा कि निचली अदालतें न्यायपालिका का आधार हैं और वहां यदि देखेंगे तो जो नई भर्तियां हुई हैं, उनमें 50 प्रतिशत महिलाएं हैं. कई राज्य ऐसे भी हैं, जहां की जिला अदालतों में 60 से 70 प्रतिशत महिलाएं नियुक्त की गई हैं. पूर्व सीजेआई ने कहा कि जहां तक हायर ज्यूडिशियरी की बात है तो वो अभी दस साल पहले के कानून के प्रोफेशन को दर्शाती हैं और आने वाले समय में बड़े पदों पर महिलाओं की भागीदारी देखी जाएगी. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अभी निचली अदालतों में महिलाओं की नियुक्ति हो रही है और जल्द ही बड़े और जिम्मेदार पदों पर महिलाएं होंगी.

उन्होंने कहा कि अभी शिक्षा विशेष रूप से कानून की शिक्षा की पहुंच महिलाओं तक बढ़ी है. वहीं लॉ स्कूल और कॉलेज में जेंडर बैलेंस दिखता है वो अब भारतीय न्यायपालिका के निचले स्तर पर भी नजर आने लगा है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां तक लिंग संतुलन की बात है जिला अदालतों में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है और आने वाले समय में और इजाफा होगा.

वहीं वंशवाद के प्रश्न पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके पिता ने उनसे कहा था कि जब तक वह जज हैं तब तक पूर्व सीजेआई किसी कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करें. इस वजह से जस्टिस चंद्रचूड़ मे हार्वर्ड लॉ स्कूल में तीन साल पढ़ाई की. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी प्रैक्टिस तब शुरू की जब उनके पिता रिटायर हो गए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि वह देखेंगे तो अधिकतर वकील और जज वो हैं जो पहली बार लीगल प्रोफेशन में आए हैं, यानी उनका बैकग्राउंड लॉ का नहीं है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां एलीट क्लास, अपर कास्ट, हिंदुओं के वर्चस्व का सवाल है तो स्थिति इसके एकदम विपरीत है, भारतीय न्यायपालिका में ऐसा कुछ भी नहीं है.

अनुच्छेद 370 का फैसला
स्टीफन सेकुर ने कहा कि कई कानूनी विद्वान अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखने वाले न्यायालय के फैसले से बहुत निराश हैं. इस पर पूर्व सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 370, जब इसे संविधान में पेश किया गया था, तो यह संक्रमणकालीन व्यवस्था या संक्रमणकालीन प्रावधानों नामक अध्याय का हिस्सा था और बाद में इसका नाम बदलकर अस्थायी और संक्रमणकालीन प्रावधान कर दिया गया. इसलिए, संविधान के जन्म के समय यह धारणा थी कि जो संक्रमणकालीन था, उसे समाप्त होना होगा और संविधान के पाठ और संदर्भ के साथ विलय करना होगा. उन्होंने कहा कि क्या 75 साल से अधिक एक संक्रमणकालीन प्रावधान को निरस्त करने के लिए बहुत कम है.

वहीं सेकुर ने कहा कि जम्मू और कश्मीर को एक राज्य से संघीय केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल होनी चाहिए और वहां अब लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार है. उन्होंने बताया कि शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है और इसकी बहाली के लिए समयसीमा तय की है. राज्य के सवाल पर पूर्व सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक वचन दिया है कि जम्मू-कश्मीर का दर्जा बरकरार रखा जाएगा.

ये भी पढ़ें- ‘अगर मैंने कभी कोर्ट में किसी को ठेस पहुंचाई है, तो कृपया मुझे माफ कर दें’, सीजेआई ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर कहा

Last Updated : Feb 13, 2025, 7:44 PM IST
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