भरतपुर. भरतपुर पक्षी विहार (Bharatpur Bird Sanctuary) बर्ड्स की जन्नत माना जाता रहा है. विगत कुछ वर्षों में भरतपुर का केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों की विमुखता झेल रहा है. बरसों पहले कई प्रवासी पक्षी केवलादेव से मुंह मोड़ चुके हैं. अब यह कवायद की जा रही है कि इन पक्षियों को फिर घना के लिए आकर्षित किया जाए.
केवलादेव नेशनल पार्क में फ्रेंच डवलपमेंट एजेंसी फ्रेंसेज डी डवलपमेंट के डेलीगेशन की मौजूदगी अच्छी खबर है. बदलते मौसम और पानी की कमी के चलते केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से मुंह मोड़ चुके प्रवासी पक्षियों को अब फिर से आकर्षित करने के प्रयास किए जाएंगे. घना पार्क में जैव विविधता को भी बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे. इसके लिए फ्रेंच एजेंसी फ्रेंसेज डी डेवलपमेंट (एएफडी) राजस्थान सरकार की मदद करेगी. एजेंसी की मदद से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की चारों तरफ बसे हुए गांवों के निवासियों के लिए उद्यान आधारित रोजगार के अवसर भी तैयार किए जाएंगे. इसके लिए एजेंसी राजस्थान सरकार की आर्थिक मदद भी करेगी.
जैव विविधता बढ़ाने पर जोर
भरतपुर पक्षी विहार (Bharatpur Bird Sanctuary) जैव विविधता के कारण जाना जाता है. केवलादेव में जैव विविधता के संरक्षण (Conservation of Biodiversity in Keoladeo) की दरकार है. उद्यान के डीएफओ मोहित गुप्ता ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का एक अप्रूव्ड मैनेजमेंट प्लान है. इसी प्लान के तहत उन प्रवासी पक्षियों को फिर से आकर्षित करने का प्रयास किया जाएगा, जो यहां पर आना बंद हो गए हैं.
साथ ही यहां से कोटा के मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिज़र्व में चीतल भेजे जाएंगे और अन्य किसी स्थान से यहां अन्य वन्य जीव लाये जाएंगे. इसके लिए फ्रांसीसी विकास एजेंसी भी उद्यान की आर्थिक एवं अन्य पहलुओं पर मदद करेगी. मोहित गुप्ता ने बताया कि केवलादेव पहुंचे फ्रांसीसी दल (French delegation in Keoladeo National Park) ने दो दिन तक उद्यान का विजिट किया और यहां पर जैव विविधता बढ़ाने एवं ज्यादा से ज्यादा प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने को लेकर विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ चर्चा की.
आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में होमस्टे से रोजगार
मोहित गुप्ता ने बताया कि फ्रांसीसी दल ने उद्यान के नेचर गाइड और रिक्शा चालकों से चर्चा की। उनके कार्य करने के तरीके को समझा। साथ ही फ्रांसीसी दल ने उद्यान के चारों तरफ बसे गांव में पर्यटकों के लिए होमस्टे जैसी सुविधाएं विकसित करके ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए अवसर विकसित करने का सुझाव दिया है। इससे विदेशी और देशी पर्यटकों को वाइल्डलाइफ टूरिज्म के साथ ही ग्रामीण परिवेश से रूबरू होने का मौका भी मिलेगा। ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा। भरतपुर में फेंच डवलपमेंट एजेंसी (French Development Agency in bharatpur) विकास के कार्यों के लिए आर्थिक मदद भी करने वाली है.
फ्रांसीसी दल की मलाह गांव की इको डेवलमेंट कमेटी के साथ बैठक कराई गई. इस दौरान गांव की महिलाओं ने रोजगार की कमी की बात सामने रखी. इस पर फ्रांसीसी दल ने उद्यान आधारित रोजगार के साधन विकसित करने का सुझाव दिया.
पढ़ें- राजस्थान: केवलादेव घना में प्रवासी पक्षियों ने डाला डेरा, पर्यटन के पटरी पर लौटने की उम्मीद
अब सुझाव के साथ रिपोर्ट भेजेगा फ्रांसीसी दल
मोहित गुप्ता ने बताया कि फ्रांस के दल ने दो दिन तक उद्यान और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया. अब यह दल उद्यान पर अपनी एक रिपोर्ट तैयार करेगा और उसमें उद्यान व जैव विविधता संरक्षण, रोजगार के अवसरों को लेकर अपने सुझाव भी देगा. उसके आधार पर उद्यान में कई कार्य किए जाएंगे. इसके लिए फ्रांसीसी विकास एजेंसी आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराएगी.
क्या है राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना
असल में राजस्थान सरकार की ओर से राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना पर कार्य किया जा रहा है. इस परियोजना पर फ्रांसीसी विकास एजेंसी आर्थिक मदद उपलब्ध करा रही है. इसी के तहत राजस्थान के भरतपुर, अलवर, बारां, भीलवाड़ा, बूंदी, दौसा, धौलपुर, जयपुर, झालावाड़, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर और टोंक जिलों में बड़े पैमाने पर पौधरोपण जैसे कार्य भी कराए जाएंगे.
ईटीवी भारत उठा चुका है मुद्दा
बीते कई दशकों में बदलते मौसम और पाने की वजह से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से मुंह मोड़ चुके प्रवासी पक्षियों को लेकर ईटीवी भारत भी कई बार मुद्दा उठा चुका है. ईटीवी भारत ने 'साइबेरियन सारस के बाद राजहंस ने भी मोड़ा मुंह, प्रदूषित पानी बड़ी वजह' और 'पानी की कमी के कारण केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से मुंह मोड़ रहे प्रवासी पक्षी शीर्षक से खबरें प्रकाशित कर उद्यान प्रशासन और राजस्थान सरकार का इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया था.