भरतपुर. खेत में लगी फसल में पड़ रही इस सफेदी ने धरती पुत्रों की चिंता बढ़ा दी है. सरसों की फसल में यह 'सफेद रोली' रोग तेजी से फैल रहा है. इसकी वजह से सरसों के पौधे में फलियां बहुत कम लग रहीं हैं. सरसों के कई पौधे तो सूख भी रहे हैं. औसत से आधे से भी कम पैदावार की आशंका है.
किसानों के मुताबिक दिसंबर में हुई मावठ और ओलावृष्टि के बाद लंबे समय तक कोहरा छाया रहा. इससे सरसों की फसल में सफेद रोली रोग तेजी से फैल रहा है. इस रोग की वजह से सरसों के पौधे में फलियां बहुत कम लग रहीं हैं, जिससे सीधे-सीधे फसल की पैदावार प्रभावित हो रही है. इस रोग की वजह से सरसों के कई-कई पौधे तो सूख भी रहे हैं.
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औसत से भी कम पैदावार होने की आशंका...
औसत से आधे से भी कम पैदावार होने की आशंका के चलते गगवाना गांव निवासी किसान थानो ने बताया कि इस बार रोग की वजह से सरसों की पैदावार बहुत कम होने की संभावना है. हर साल जहां प्रति बीघा औसतन 10 से 12 मन सरसों की पैदावार होती थी. वहीं इस बार 2 से 3 मन प्रति बीघा की पैदावार होने की संभावना है. ऐसे में किसानों को सरसों की फसल से लागत के बराबर भी आय होना मुश्किल है.
किसान कुछ ऐसे कर सकते हैं 'सफेद रोली' रोग से रोकथाम...
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि इस साल भरतपुर जिले में 2 लाख 15 हजार हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई है. इस बार पछेती सरसों की फसल में सफेद रोली रोग की समस्या सामने आ रही है. इस रोग से बचाव के लिए किसान सरसों के पौधे में से रोग वाले पत्थर को तोड़कर मवेशियों को खिला सकते हैं. इससे पौधों में रोग भी नहीं फैलेगा और मवेशियों को चारा भी मिल जाएगा.
साथ ही रोग के लक्षण दिखने पर डाइथेन एम- 45, थ्रीडोमिल एमजेड- 72 और डब्ल्यूपी नामक फफूंदी नाशक की 2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर रोग वाले पौधे पर छिड़काव कर सकते हैं. 15 से 20 दिन के अंतराल पर इस दवाई का छिड़काव करने से रोग पर रोकथाम लगाई जा सकती है.