भरतपुर. अपना घर आश्रम में रहने वाली रहने वाली महिलाएं गुरुवार को सुबह से ही शृंगार कर करवा चौथ के पूजन की तैयारी में जुटी गई. अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज की पत्नी डॉक्टर माधुरी भारद्वाज इन सभी महिलाओं की देखभाल करती है.
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महिलाएं जिन्हें उनके पतियों ने दर्द के सिवाय कुछ नहीं दिया और दर्द भी ऐसा कि वह मानसिक कमजोरी का शिकार हो गई. अब यह सभी महिलाएं अपना घर आश्रम में रहती हैं और यहां चले इलाज से पूरी तरह स्वस्थ हैं. बताया जा रहा है कि उनके पति आज भी उन्हें स्वीकार करने को तैयार नहीं है.
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अब यह बात अलग है कि करवा चौथ की हर रस्म आंसुओं से भीगी होती है और पति के दर्द को ही उन्होंने अपनी जिंदगी बना लिया है. इन महिलाओं ने सजने-संवरने और मेहंदी की रस्म क्रिया के बाद कहानी सुनी और चौथ माता की पूजा कर अपने पति की सलामती की कामनाएं की. बात करने पर मालूम चलता है कि इन महिलाओं में से कई ऐसी हैं जिनके पतियों ने दूसरी शादी कर ली है और कइयों को तो उनके पति तलाक भी दे चुके हैं. लेकिन, बावजूद इसके भी इन महिलाओं का समर्पण कम नहीं हुआ है.
अपना घर की संचालिका डॉक्टर माधुरी भारद्वाज का कहना है कि इन महिलाओं में संस्कार और समर्पण इतना है कि वह आज भी परंपरानुसार करवा चौथ का व्रत रखकर पति के दीर्घायु होने की कामना कर रही हैं.
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करवा चौथ का व्रत कर रहीं ऐसी कुछ महिलाओं से बात करने पर वहां मौजूद फिरोजाबाद की रूबी जैन ने बताया कि उसके पति दीपक जैन सीए हैं और रोजाना होने वाले गृह क्लेश से वह मानसिक कमजोरी की शिकार हो गई थी. जिसके बाद उनके पति ने दूसरी शादी कर ली. लेकिन, उसके बावजूद भी रूबी जैन अपने पति की सलामती के लिए अब भी करवा चौथ का भूखे-प्यासे रह कर व्रत भी कर रही है.
अपना घर आश्रम में रहने वाली ऐसी कई महिलाओं से जब बात की तो उनका दर्द दिल से निकल कर जुबां पर आया तो सबकी एक ही कहानी नजर आई कि जिस पति ने शादी के समय सात फेरों के दौरान सात जन्म तक साथ निभाने का जो वादा किया था उसे उनके पति तो नहीं निभा पाए लेकिन पत्नियां जरूर उस वायदे को निभाती आ रही है.